♦19 जून 1966 के रोज स्थापित शिवसेना का इतिहास दिलचस्प है।"तकवादी" और अवसरवादी राजनीति का इतिहास शिवसेना में उसकी स्थापना से ही देखने को मिलता है।
😲शिवसेना शुरुआत के दशकों में कांग्रेस के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुडी रही थी।😲
♦1960 और 1970 के दशकों में कांग्रेस ने वामपंथी लेबर युनियनो के त्रास से थककर उन्हें काबु
♦सबको जानकर आश्चर्य होगा किन्तु 1970 में मुंबई में मेयर के चुनाव में जीत हासिल करने के लिए शिवसेना ने मुस्लिम लीग के साथ भी गठजोड़ किया था।
♦1971में शिवसेना ने इंदिरा कांग्रेस से दूरी बनाकर संगठन कांग्रेस के साथ गठजोड़ किया और तीन बैठकों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन
♦उसके बाद 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया तो शिवसेना ने उसे खुल्ला समर्थन दिया था और 1977 में कांग्रेस के खिलाफ एक भी उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था।
♦1977 में ही मुंबई महानगरपालिका में कांग्रेस के मेयर पद के उम्मीदवार मुरली देवड़ा को समर्थन
♦1978 में जनता पार्टी के साथ समझौता न होने पर शिवसेना ने इंदिरा कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडा था।
♦ कांग्रेस और शिवसेना बीच इंदिरा गांधी के निधन के बाद संबंध बिगड़ने लगे थे।♦राजीव गांधी के समय से ही संबंध खराब होने लगे और सोनिया और राहुल गांधी के आने के बाद
♦इंदिरा गांधी के जीते-जी तो शिवसेना सिर्फ मराठी और मराठी अस्मिता के लिए ही कार्यरत थी।
♦1984 में भाजपा ने राम जन्मभूमि आंदोलन कर रही विश्व हिन्दू परिषद को समर्थन देने और उसके साथ जुड़ने का फैसला किया तो शिवसेना ने भी कट्टर हिन्दुत्व की ओर मुडने की शुरुआत की थी। उसके बाद शिवसेना का भाजपा
♦️ बावजूद इसके NDA के उम्मीदवार को समर्थन न देकर राष्ट्रपति चुनाव में दो बार कांग्रेस के उम्मीदवार को (प्रतिभा पाटिल एवं प्रणव मुखर्जी) समर्थन देकर भाजपा और NDA को झटका दिया था।
♦उसी प्रकार कांग्रेस के दिग्गज नेता और अब NCP के अध्यक्ष शरद पवार के साथ पिछले
♦शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वो "मातोश्री" की मुलाकात बार-बार लेते थे। उनके बीच विचारधारा में ' उत्तर- दक्षिण' का फर्क होने के बावजूद उनके बीच पारिवारिक संबंध रहे है।
♦बालासाहेब ठाकरे शरद पवार को "शरदबाबू" कहकर
♦उसी प्रकार जब आदित्य ठाकरे ने चुनाव लडने का फैसला किया
♦भाजपा ने जो निर्णय लिया है वह अभी के लिए भले ही भाजपा को नुक्सान करे लेकिन भविष्य में भाजपा के लिए आशीर्वादरूप
🙏🙏