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उनसे सब डरते थे..
अंग्रेज भी और कांग्रेस के नरमपंथी भी .
क्रांतिकारी सोच के जनक कहे जाते थे वे..
पूर्ण स्वराज की माँग की थी उन्होंने..
"Europe Asks:Who is Shree Krishna"
के लेखक..
आइए आज उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हैं #विपिन_चंद्र_पाल को..
@Sheshapatangi
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लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक के साथ स्वतंत्रता के लिए क्रांति की पक्षधर लाल-बाल-पाल की तिकड़ी का अंग थे आप..
विपिन का जन्म 07/11/1858 को सिलहट में हुआ।
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#विपिन_चंद्र_पाल पहले थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के सुनियोजित विरोध की बात सोची।
1906 में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन की
वर्षगाँठ पर आपने केवल 500रुपये से एक अंग्रेजी दैनिक, "बंदे मातरम" के प्रकाशन का साहसिक निर्णय लिया.. ImageImage
जिसे आगे चल कर स्वाधीनता संग्राम में अपनी एक जगह बनानी थी।पाल ने अरबिंदोघोष से #वंदेमातरम के संपादकमंडल से जुड़ने का निवेदन किया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया।1905-1920 देश में पूर्ण स्वराज,स्वदेशी,अंग्रेजों के बहिष्कार और शैक्षणिक सुधार की धूम मची थी. Image
लाल-बाल-पाल की तिकड़ी ने वक्तृत्व,सोच और कार्यों से जनमानस को झकझोर कर जगा दिया था..1885 में कांग्रेस की स्थापना से लेकर अब तक जो नरम पंथी इस पर अपना नियंत्रण बनाए हुए थे इन पंद्रह सालों में लोगों ने उन्हें लगभग भुला दिया..
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18/09/1906 के दिन #वंदेमातरम में छपे एक लेख में आपने लिखा: "हो सकता है कि हम अंग्रेजों की ताकत का मुकाबला ताकत से नहीं कर पाएं लेकिन हम उनके लिए भारत पर राज करना किसी भी दिन पूरी तरह असंभव कर सकते हैं".

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"हमारा ध्येय स्वतंत्रता है अर्थात् सभी प्रकार के विदेशी नियंत्रण से मुक्ति।
हमारा तरीका शांतिपूर्ण विरोध है यानि सरकार के लिए किसी भी प्रकार का कोई कार्य करने से इंकार."
हम में से अधिकतर जानते हैं कि 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल को जाति के आधार पर बाँटा।

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किंतु क्या आप जानते हैं लालाजी और तिलक के साथ पाल ने यह सुनिश्चित किया कि अंग्रेज अपने इरादों में कामयाब न हो..6 साल बाद 1911 में उन्हें बंगाल को पुनः एक करना पड़ा।
उन्होंने पूरे देश की यात्रा की और.. Image
लोगों में अंग्रेजों के विरोध की एक लहर जगाई.बहिष्कार केवल अंग्रेजी वस्तुओं का नहीं था बल्कि अंग्रेजी संस्थानों का भी था। दलों,कमेटियों,बैठकों,प्रदर्शनों और ओजस्वी भाषणों ने देश में आग लगा दी थी।सरकार जितना इसे दबाने की कोशिश करती ये उतनी ही भड़कती थी।
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अंग्रेजों ने गरम दल के नेताओं पर एक हमला सा बोल दिया.अखबार बंद कर दिया गया;तिलक को मांडला जेल में 6 साल के लिए बंद कर दिया।विपिन को श्री अरबिंदो के खिलाफ साक्ष्य न देने पर गिरफ्तार कर लिया गया।
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इसके साथ ही अंग्रेजों ने मुस्लिम नेताओं और नरमपंथियों से मित्रता कर ली और आँदोलन को कमजोर कर दिया। ये सब तब हो रहा था जब कलकत्ता सत्र में देशभक्त लोग स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों को बहिष्कार की धमकी दे रहे थे..
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इस समय विपिन सब ओर स्वदेशी आंदोलन की अलख जगा रहे थे।
जनवरी 1907 में वे पूर्वी बंगाल, इलाहाबाद, बनारस, विशाखापटनम,कटक, काकीनाड, वर्तमान राजमुंदरी होते हुए मद्रास पहुँचे. Image
2/51907 से 9/5/1907 के बीच विपिन ने मद्रास बीच पर 5 भाषण दिए और महाकवि भारती, सुब्रह्मण्य शिवा तथा श्रीनिवास शास्त्री की उपस्थिति में राष्ट्रीय आंदोलन के दर्शन, लक्ष्य,रूपरेखा और रणनीति पर विस्तार से चर्चा की।

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बंगाल के विभाजन के बाद #वंदेमातरम हर क्रांतिकारी की जुबां पर था।"स्वदेशी",अंग्रेजों का "बहिष्कार"और "वंदेमातरम" आजादी के दीवानों लिए ऊर्जावान क्रांति का पर्याय बन गए थे।
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12/08/1901 को पाल ने अंग्रेजी साप्ताहिक "New India" का प्रकाशन प्रारंभ किया। इसके संस्थापक संपादक पाल ने सधे हुए शब्दों में पहले अंक इसके आदर्श बताए:"इसका दृष्टिकोण इसकी आत्मा पूरी तरह राष्ट्रीय है..
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और इसका उद्देश्य वैश्विक अभिलाषाओं के साथ भारतीय सभ्यता की आध्यात्मिक, नैतिक और बौद्धिक उपलब्धियों का गहन आराधन है।"
"New India" का ध्यान एकतरफ़ा राजनैतिक विरोध पर केन्द्रित न होकर भारत का आर्थिक और शैक्षणिक पुनर्निर्माण था सांस्कृतिक पुनर्जागरण के साथ। Image
विपिन ने 1921 के काँग्रेस सत्र में गाँधी जी से उलझ गए :"आप जादू चाहते थे,मैंने तर्क देने का प्रयास किया किंतु उत्तेजित मस्तिष्क तर्क की नहीं सुनता..आप मंत्र चाहते थे,मैं कोई ऋषि नहीं हूँ, मंत्र नहीं दे सकता।" Image
.."सत्य जानते हुए मैंने कभी अर्द्ध सत्य भी नहीं कहा I मैंने कभी लोगों को आँखों पर पट्टी बांध कर अपने साथ आने को नहीं कहा।"
गाँधी जी की तुलना लिओ टालस्टाय से करते हुए पाल ने कहा कि "टालस्टाय एक ईमानदार अराजकतावादी था,जबकि गाँधी उसके सामने निरंकुश पोप थे।" Image
पाल कांग्रेस के उन वरिष्ठ नेताओं में से थे जिन्होंने 1920 में गाँधी जी के असहयोग प्रस्ताव का विरोध किया क्योंकि इसमें स्वशासन की बात नहीं कही गई थी।

पहली पत्नी की मृत्यु के बाद पाल ने एक विधवा से विवाह कर ब्रह्म समाज को अपना लिया। Image
जो जातिवाद में विश्वास नहीं रखता..पाल लैंगिक समानता के प्रबल समर्थक थे।एक पत्रकार के रूप में पाल ने #वंदेमातरम और "NewIndia" के अतिरिक्त Bengal Public Opinion और ट्रिब्यून के लिए काम किया जहां उन्होंने अपनी तरह के राष्ट्रवाद का प्रचार किया।
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चीन व संसार के अन्य हिस्सों में जारी राजनीतिक उठापटक के संदर्भ में भारत को चेतावनी वाले अनेक लेख लिखे।ये समझाते हुए कि भारत पर अगला खतरा कहाँ से आएगा पाल ने "Our Real Danger"शीर्षक से लेख लिखा।
मित्रों यहाँ दिए गए लिंक अवश्य पढ़ें.
kalchiron.blogspot.com/2010/11/bipinc… Image
किंतु उनकी मृत्यु बड़ी दुखदायक थी.
वे सामाजिक बुराइयों को जड़ से मिटाना चाहते थे और राष्ट्रीय आलोचना के स्थान पर राष्ट्रवाद की भावना जगाना चाहते थे।
सरकार के साथ असहयोग जैसे लचर विरोध प्रदर्शन में उनका विश्वास नहीं था।
मगर सारे कांग्रेसी यही कर रहे थे.. Image
विपिन ने एक बार फिर कांग्रेस छोड़ दी और अंतिम दस वर्ष एकांतवास में बिताए..
आज ही के दिन 1932 में उनका स्वर्गवास हुआ।
ये ना भूलें कि अट्ठारहवीं शताब्दी से आरंभ निरंतर संघर्ष से ही हम अंग्रेजों से स्वतंत्र हो पाए हैं. न कि किसी अहिंसक मंत्र से..
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अनुवाद एवं व्याकरणिक त्रुटियों के लिए
क्षमा प्रार्थना..

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