अपने से कनिष्ठ सहकर्मी को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने पर अपने पद से त्यागपत्र दे दिया..
कौडूर सदानंद हेगडे..जो लोकसभा के अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष और काँग्रेस से राज्यसभा के सदस्य रहे..
1966 में दिल्ली और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश पद पर नियुक्त किए जाने के बाद 1967 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा आप सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनाए गए।
भारत के न्यायिक इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था।
जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह के अनुसार ये प्रगतिशील सोच के न्यायाधीशों के स्थान पर
मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की अपेक्षित सोच के न्यायाधीशों को बढ़ावा देने का एक प्रयास था।
तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष नीलम संजीव रेड्डी के राष्ट्रपति पद हेतु प्रत्याशी बनाए जाने पर 21 जून 1977 को हेगडे लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए।
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हेगडे ने चुनावी राजनीति छोड़ दी।
1980 में भाजपा की स्थापना पर वे भाजपा से जुड़े और थोड़े समय के लिए इसके उपाध्यक्ष रहे।
फिर उन्होंने निट्टे गाँव में उच्च शिक्षा के लिए NITTE education trust की स्थापना की।
उनके तीन पुत्र और तीन पुत्रियों में जस्टिस संतोष हेगडे एवं निट्टे विवि के विनायक हेगडे के नाम चिर-परिचित हैं।
उनके निधन पर @IndianExpress में शोक संदेश-
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