11 जून 1897 को शाहजहांपुर में जन्म लेने आजादी के इस दीवाने राम प्रसाद बिस्मिल की
बात करते हैं..
स्वामी ने उनका उत्साहवर्धन किया।
इस बीच काँग्रेस ने लखनऊ में अधिवेशन रखा।
रामप्रसाद ने "मातृवेदी" नामक क्रांतिकारी संगठन बनाया व गैंदा लाल दीक्षित नामक एक अध्यापक से संपर्क साधा।
अनुभवी लोग उनके साथ हों।
दीक्षित ने भी शिवाजी समिति के नाम से एक सशस्त्र संगठन बनाया हुआ था।
"देशवासियों के नाम संदेश" जो उन्होंने अपनी कविता "मैनपुरी की प्रतिज्ञा" के साथ बाँटा।
पैसों की व्यवस्था के लिए वे मैनपुरी में लूटपाट करने लगे।
एक बार अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया..रामप्रसाद तो भाग निकले किंतु दीक्षित और स्वामी पकड़े गए।
रामप्रसाद का वक्तव्य अदालत में दर्ज किया गया।
इस सत्र में पूर्ण स्वराज की माँग रखी गई जो गाँधी जी को पसंद नहीं आई किंतु सभी सहमति के साथ असहयोग आंदोलन के लिए काम करने लगे।
चौरी चौरा और उसके बाद के विश्वासघात ने सबको चौंका दिया था..
काँग्रेसअध्यक्ष चितरंजन दास ने कांग्रेस छोड़ मोतीलालनेहरू के साथ स्वराज पार्टी की स्थापना की।
लाला हरदयाल की अनुमति से रामप्रसाद ने पार्टी का संविधान लिखा।
इस में सचिंद्रनाथ सान्याल व बंगाल के एक अन्य क्रांतिकारी जादूगोपाल मुखर्जी ने
उनके साथ थे।
3 अक्टूबर 1924 को कानपुर में सचिंद्र नाथ सान्याल के सभापतित्व में संवेधानिक समिति की बैठक आयोजित की गई जिसमें तय किया गया कि पार्टी का नाम हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) होगा।
#HindustanRepublicanAssociation (HRA).
काकोरी उत्तरप्रदेश में लखनऊ के पास स्थित रेलवे स्टेशन है।
9 अगस्त 1925 को हुई यह ऐतिहासिक घटना
काकोरी कांड के नाम से जानी जाती है।
18 महीनों के बाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान,रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को फांसी की सजा सुनाई गई।
19/12/1927 को बिस्मिल को गोरखपुर जेल और अशफ़ाक उल्लाह खान को फैजाबाद जेल में फांसी पर चढ़ाया गया।
जब बलिदान का समय आया तो उनके चेहरे पर छाई दिव्यता देख अधिकारी भी चकित थे।
बिस्मिल #वंदेमातरम् और भारत माता की जय कहते हुए मस्ती से चल रहे थे।
बंदूक और कलम के सिपाही ने एक नायक की तरह मृत्यु को गले लगा लिया।
#बिस्मिल का अंतिम संस्कार राप्ती नदी के किनारे किया गया।उस स्थान को अब राजघाट कहा जाता है।
(बिस्मिल के पिता की गोद में उनका शव)
दिए गए लिंक में राम प्रसाद बिस्मिल की क्षमा याचिकाओं और उनके भगत सिंह,चंद्र शेखर आजाद और मदन मोहन मालवीय के साथ हुए पत्रव्यवहार के बारे में बताया गया है।
बस इतना ही।
#वंदेमातरम्
🙏
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