राष्ट्रपिता नहीं उनके पुत्र हरिलाल गाँधी की..
नाम तो सुना होगा आपने..?
@Sheshapatangi
पिता पुत्र के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब
गाँधी जी ने कानून की पढ़ाई के लिए उन्हें इंग्लैंड जाने से रोक दिया।
कहा कि पाश्चात्य शिक्षा स्वतंत्रता संग्राम में काम नहीं आएगी।
1918 में उनकी पत्नी गुलाब की मृत्यु इंफ्ल्यूएंजा से हुई।
बाद में जब हरिलाल ने गुलाब की विधवा बहन कुमी से विवाह करना चाहा तो गाँधी जी ने अनुमति नहीं दी।
दुखी हो कर हरिलाल अत्यधिक शराब पीने लगे।
गाँधी जी हरिलाल और उनके पुत्र कांतिलाल के बीच आ गए..
हरिलाल अपने पुत्र को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे। उन्होंने अपने पुत्र को पत्र लिखकर कहा कि वह उनका अनुसरण ना करे और बेहतर शिक्षा प्राप्त करे।
1935 में गाँधी जी ने कांतिलाल को लिखे पत्रों में हरिलाल पर झूठे आरोप लगाए।
गाँधी जी से अलग होने के बाद भी हरिलाल ने अपने जीवन को सुधारने की कोशिश नहीं की
बल्कि और गिरते चले गए।
इसके बाद उन्हें मुस्लिम वेशभूषा में भारत भर में जगह जगह ले जाया जाता और पाकिस्तान की मांग करते हुए उनके सामने गाँधी जी को गालियाँ दी जाती।
और अपना नाम रखा हीरालाल..
उनका उद्देश्य हीन जीवन ऐसे ही चलता रहा और गाँधी जी के अंतिम संस्कार में भी किसी ने रोते हुए हीरालाल को नहीं पहचाना।
उनकी मृत देह कमाठीपुरा में पाई गईं।चिकित्सकों ने उनकी मृत्यु का कारण लीवर सिरोसिस और संभवतया सिफलिस बताया।
उनकी जेब में मिले एक नंबर पर फोन करने से पता चला कि वे कौन थे।
बस इतना ही..🙏