ये लाइने आप अक्सर सुनते होंगे। विशेषकर नाथूराम गोड़से ने जब कहा था कि जब तक अटक पर भगवा नही फहराता और सिंधु नदी तिरंगे के नीचे नही बहती तब तक मेरी अस्थियां विसर्जित न की जाय।
आज हम उसी अटक और अटक के किले की
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#अटक_का_रेगिस्तान_और_अटक_का_किला!
अटक और अटक का बहुचर्चित किला केवल एक किला नहीं है बल्कि भारत के इतिहास का वो पृष्ठ है,जिसे हर भारतीय को जरूर पढ़ना चाहिये...जो भारत की लूट के दास्तानो को संभाले हुए है...इस किले के बहाने आज आप जान पाएंगे कि भारत के
जब सम्राट भरत ने हमारे देश का नक्शा डिजाइन किया होगा तब उन्होंने छोटी से छोटी चीज का ध्यान रखा...जैसे भारत की रक्षा,दक्षिण और पूर्व में समुद्र था तो उत्तर में हिमालय,मगर पश्चिम में सहायता के लिए कुछ नहीं था।
खैर बात करते हैं अफगानिस्तान की जिसके आगे यानी पश्चिम मे ईरान का रेगिस्तान था
भरत के बाद सम्राट रघु,प्रभु श्री राम,सम्राट कुरु और धर्मराज युधिष्ठिर ने इस पूरे भूभाग को बार बार एकसूत्र में बांध कर उस पर शासन किया...मगर ईरान में फिर भी बसावट नही की गई।
इसके बाद जब मौर्य वंश की सत्ता
विदेशियों को रोकने का बीड़ा रखने वालो ने सबसे पहले सन् 1579 में काबुल में घुस कर भारत विरोधी सोच और तत्वों का संहार ही नही बल्कि यह भी भाँप लिया था कि काबुल से संकट हमेशा दिल्ली
1581 में बनकर तैयार अटक किला वह मजबूत प्राचीर था जिसने सदियों तक भारत को बचा लिया..लेकिन सन् 1739 में नादिरशाह ने धोखे से अटक किले में प्रवेश किया और
1739 से 1757 तक नादिरशाह और उसका गुलाम अहमद शाह अब्दाली भारत को लूटते रहे मगर इसी दौर में मराठे एक महाशक्ति बनकर उभरे...मराठों ने उत्तर भारत मे प्रवेश किया...अजमेर,आगरा और दिल्ली को जीतते हुए पंजाब में
अहमद शाह अब्दाली ने धोखे से गायकवाड़ का कत्ल करवा दिया और पाँचवी बार भारत में घुस आया...इस बार पेशवा ने अपने चचेरे भाई सदाशिव भाऊ को अब्दाली को खदेड़ने के उद्देश्य से भेजा।भाऊ ने अब्दाली से लड़ने के लिये यमुना के दोआब क्षेत्र को चुना था मगर विधाता ने ऐसी स्थिति
लेकिन सन् 1767 में सिखों ने इस पर फिर कब्जा कर लिया जिसके एवज में बदला लेने अब्दाली फिर भारत आया तथा लाहौर में हिन्दुओ और सिखों का
अब्दाली ने पंजाब से हिन्दू धर्म का नामोनिशान मिटा देने का पूरा प्रयास किया तथा वाराणसी से ज्यादा मंदिर वाले शहर लाहौर को तो लगभग पूरी तरह बर्बाद करके रख दिया....सन् 1805 में महान सिख सम्राट रणजीत सिंह ने अपने बाहुबल से एक बार पुन: अटक को दोबारा आजाद करके
महाराज रणजीत सिंह जी ने अटक किले से अफगानों को सदा के लिए उखाड़ फेंका तथा लाहौर में अफगानों द्वारा तोड़े गए मंदिरों और गुरुद्वारों की पुनः स्थापना किया...महाराज रणजीत सिंह एक आदर्श राजा थे उनके कारण कश्मीर और पंजाब में स्वराज्य की स्थापना हुई!!!
दरअसल अटक के इस किले ने वर्षो क्या सदियों तक भारत को बचाये रखा...लेकिन अंग्रेज और कांग्रेस की दुरभिसंधि के कारण 1947 में यह बहादुर किला स्वयं इस्लामिक आतंकवाद की भेंट चढ़
आज भी यह किला पाकिस्तान की सेना का शिविर बना हुआ है सदियों
महात्मा गांधी के वध के बाद नाथूराम गोडसे ने बयान दिया था कि जब तक अटक पर भगवा नहीं फहराता और सिंधु नदी तिरंगे के नीचे नही बहती तब तक मेरी
गोडसे जी की इसी एक बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह किला 1581 से लेकर 2020 तक हर समय हमारे लिए कितना आवश्यक है...यह किला दिखने में सामान्य हो सकता है मगर अब आतंकवादियों के लिये इसे भारत का गेटवे बना दिया गया है।
🙏🇮🇳🕉️हिन्दुराष्ट्रम🕉️🇮🇳🙏