उर्जित पटेल का हाल ही में एक बयान आया कि केंद्र सरकार चाहती थी कि RBI कर्ज न चुकाने वाले के खिलाफ नरम रहे। साहब को अब कही से अटेंसन नही मिल रहा तो बेतुके बयान शुरू कर दिए। एक हमारे और RBI गवर्नर थे रघुराम राजन, ये भी जॉब में रहते कुछ ज्यादा नही कर पाए
तो अब ये देश की आर्थिक स्थिति सुधारने की सलाह देते फिर रहे है। एक है हमारे शक्तिकांत दास जी, फिलहाल अभी ये चुप है क्योंकि इनको ये ओहदा केंद्र सरकार ने खैरात में दी है। इनको अभी मुफ्त में पब्लिसिटी मिल रही है, शायद इसीलिए इनके बयान केंद्र सरकार के खिलाफ अभी तक नही आ रहे है।
लाइमलाइट में रहने वाले को रिटायरमेंट के बाद कि जिंदगी शायद काल कोठरी जैसी लगती है। खुद से जब कुछ नही हो पाए फिर अपनी पूरी भड़ास मौजूदा सरकार पर थोप देना, जैसे हमारे पप्पू खान(यहाँ भावनाओ को समझना है) है। इन लोगो को जब कही से अटेंसन मिलना बंद हो जाता है
तब ये बौखला कर नई-नई तरकीब सोचने लगते है, जैसे बेतुके बयान देना , किताबे लिखना ताकि अपनी लाइमलाइट वाली जिंदगी कहि काल कोठरी न बन जाये। बैंको का NPA बढ़ना न हमारे राजन जी के समय रुका और ना ही पटेल जी के समय। हमारे दास जी के समय तो ये आसमान छू रहा है।
खैर ये तो होना ही है। अब केंद्र सरकार सभी PSB को प्राइवेट कर रही है और अब तो RRBs को IPPB के साथ मर्ज भी करने की तैयारी में है। जब 1 SEP 2018 को IPPB को पेमेंट बैंक के रूप में गठन किया गया तो भी उर्जित पटेल शत्रुध्न सिन्हा की तरह खामोश रहे।
आज IPPB का हाल ये हो गया है कि 15000 करोड़ घाटे में चल रहा है और मौजूदा केंद्र सरकार और RBI अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए RRBs को लॉस मेकिंग IPPB के साथ मर्ज करने की तैयारी में है। एक प्रॉफिट मेकिंग PSB में CPC लागू करने से देश की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगती है
और लॉस मेकिंग एंटिटी को देने में ठीक हो जाती है। खैर सरकारें बदलती रहेंगी अपनी पालिसी बैंको पर थोपती रहेगी और हमारे लाइमलाइट के दीवाने देखते रहेंगे। आज इनलोगो ने बैंकों की ये दुर्दसा कर दी है कि शायद ही ऐसा कभी हुआ होगा।
अगर किसी को उपरोक्त बातें अच्छी न लगी हो तो सॉरी, ये मेरे अपने पर्सनल व्यू थे।
#StopPrivatizationOfBanks