My Authors
Read all threads
#कोलेजियम_सिस्टम_क्या_है?

*कोलेजियम सिस्टम सर्वोच्च न्यायालय में स्थापित एक समिति है। इस समिति में मुख्य न्यायाधीश सहित पांच वरिष्ठ जज होते है। इस समिति के द्वारा ही उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति होती है। यह व्यवस्था वर्ष 1993 में आयी । इसके
1)
पहले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (2)और 217 (1) के द्वारा होता था। अनुच्छेद 124 में प्रावधानित है कि राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की सहमति से जजो की नियुक्ति करेगा। इस अंनुच्छेद में यह भी प्रावधानित है कि राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के जजों से परामर्श
2)
लेकर नियुक्ति करेगा। परामर्श मानना या न मानना राष्ट्र्पति के विवेक पर निर्भर करता है। लेकिन यहीं पर परामर्श शब्द पर पेंच फंस गया। हुआ यह कि सर्वोच्च न्यायालय में1993 में एक PIL दाखिल हुआ। वादकारी Advocate on Record Association Vs Union of India
3)
1993 था। इस केस में मुख्य न्यायाधीश जे एस वर्मा सहित नौ जजो की बेंच ने यह फैसला पारित कर दिया कि अनुच्छेद 124(2)में लिखित शब्द परामर्श यानी Consultation के स्थान पर Concurrence यानी सहमति पढ़ा जाय। संविधान में वर्णित शब्द बदल दिया गया और यह भी आदेश हुआ कि पांच जजों की एक
4)
समिति होगी जिसे कोलेजियम कहा जायेगा। इसी कोलेजियम के माध्यम से उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में जजो की नियुक्ति होगी।*
*इस कोलेजियम का कोई प्रोसिजर निर्धारित नहीं है मात्र नौ बिंदु अंकित है। नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ववत है लेकिन अब जिन वकीलो का नाम
5)
न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए भेजा जाएगा उनकी नियुक्ति करना राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होगा। एक बार आपत्ति लगा कर कोलेजियम को वापस कर सकते हैं लेकिन पुनः प्रस्ताव भेजने की स्थिति में नियुक्ति करना ही पड़ेगा। इस सिस्टम द्वारा किसी भी वकील जिसकी वकालत दस वर्ष पूरी
6)
हो गयी हो जज नियुक्ति हो जायेगा। इसमे भाई भतीजावाद । जातिवाद। क्षेत्रवाद की पूरी गुंजाइस है। देखा गया है कि भारत देश के कोई 400 परिवारो के ही बाप बेटा जज होते चले आ रहे है। यही कारण है कि इन न्यायालयों में बहुजन समाज का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है। जब तक यह व्यवस्था रहेगी
7)
भाई भतीजावाद होता रहेगा। यहाँ स्पष्ट कर देना चाहती हूँ कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312(1) में अखिल भारतीय सेवा( Including Indian Judicial services) का प्राविधान है। जिसके तहत IAS IPS का सेलेक्शन होता है। लेकिन IJS के लिए आयोग नहीं बना। इसीलिए उक्त न्यायालयों में जजों
8)
की नियुक्ति IAS के तर्ज पर न होकर सीधे जज की नियुक्ति जज द्वारा हो रही है। यह विधान दुनिया के किसी भी देश में नहीं है मात्र भारत में ही है। क्यों है। आप खुद समझ रहे होंगे।*
*वर्ष 2014 में बीजेपी तथा कांग्रेस संयुक्त रूप से National Judicial Appointment Commission बनाया ।
9)
लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया। मेरा मत है कि बिना Indian Judicial Srevices Commissionस्थापित हुए बहुजन समाज का प्रतिनिधित्व संभव नहीं है और प्रतिनिधित्व बिना समाज की समस्याओं का निराकरण संभव नही है।जरूरत है आम जनमानस के बीच कोलेजियम जैसी असंबैधानिक सिस्टम
10
के खिलाफ जनमत को जागरूक किया जाए।बहुजनो को इसके दुष्परिणाम के बारे में बताया जाए।हर चट्टी चौराहे पर कोलेजियम हमारी चर्चा की विषय वस्तु होनी चाहिए।*
11)
Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh.

Keep Current with @Jollyboy

Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

Twitter may remove this content at anytime, convert it as a PDF, save and print for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video

1) Follow Thread Reader App on Twitter so you can easily mention us!

2) Go to a Twitter thread (series of Tweets by the same owner) and mention us with a keyword "unroll" @threadreaderapp unroll

You can practice here first or read more on our help page!

Follow Us on Twitter!

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3.00/month or $30.00/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!