बहुत ही ज्यादा विवादस्पद और जानलेवा विषय है... इस विषय मे हंसी मजाक बिल्कुल भी Allow नही है...
मैं जब भी इस बारे में सोचता हूँ दिमाग मे बस एक ही खयाल आता है...
मुझे लगता है मजहब बहुत ही कमजोर होता है, छोटी छोटी बातों में बहुत ज्यादा हर्ट हो जाता है
कोरोना का समय चल रहा है, इस समय आपके मजहब को कोरोना हो गया तो फिर क्या करोगे...??
मजहब को रोज सुबह उठ कर Exercise करनी चाहिए, इतनी कमजोरी में भी मजहब मेहनत करके ठेकेदारों के घर भर रहा है...
इतना कमजोर होकर किसी दिन चल बसा तो ठेकेदार क्या खाएंगे पियेंगे...??
ये तो भूखे मर जायेंगे न 😥
मजहब डरता है बोलने से, क्योंकि मजहब के ठेकेदार मजहब से बड़े हो गए है... अगर मजहब ने बीच मे कुछ बोला तो ठेकेदार उसको भी नही छोड़ेंगे
मुझे आज रास्ते मे लड़खड़ाते हुए मिला था, बुदबुदाते हुए उसने ये सब बोला...
खास तौर पर उसने ये बोला है कि उसका नाम मत लेना, नही तो वो फिर से खतरे में आ जायेगा 😥
"मजहब नही सीखाता, आपस मे बैर रखना.."
मित्रो ये मजहब के नाम पर भड़क रहे लोगो को मजहब की चिंता है ही नही, नही तो यूं मजहब को सड़कों पर बदनाम नही करते...
मित्रो सारे फसाद की जड़ मजहब नही, वोटभक्षी नेता है जो अब आदमखोर बन गए है😥