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राम नाम कर अमित प्रभावा। संत पुरान उपनिषद गावा॥1॥
भावार्थ:- संतों, पुराणों और उपनिषदों ने राम नाम के असीम प्रभाव का गान किया है॥
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भावार्थ:- हे प्रभो! मैं आपसे पूछता हूँ कि वे राम कौन हैं? हे कृपानिधान! मुझे समझाकर कहिए।
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नारि बिरहँ दुखु लहेउ अपारा। भयउ रोषु रन रावनु मारा॥
भावार्थ:-एक राम तो अवध नरेश दशरथजी के कुमार हैं, उनका चरित्र सारा संसार जानता है। उन्होंने स्त्री के विरह में अपार दुःख उठाया और क्रोध आने पर युद्ध में रावण को मार डाला।
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सत्यधाम सर्बग्य तुम्ह कहहु बिबेकु बिचारि॥
भावार्थ:-हे प्रभो! वही राम हैं या और कोई दूसरे हैं, जिनको शिवजी जपते हैं? आप सत्य के धाम हैं और सब कुछ जानते हैं, ज्ञान विचार कर कहिए।
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Now the Purvapaksha of Vedic Nirguniyas through the doubt of Sati, daughter of Daskha, when She saw Sri Rama crying for Sita in the jungle.
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Tulsidas writes:
सतीं सो दसा संभु कै देखी। उर उपजा संदेहु बिसेषी॥
संकरु जगतबंद्य जगदीसा। सुर नर मुनि सब नावत सीसा॥3॥
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भए मगन छबि तासु बिलोकी। अजहुँ प्रीति उर रहति न रोकी॥4॥
भावार्थ:-उन्होंने एक राजपुत्र को सच्चिदानंद परधाम कहकर प्रणाम किया और उसकी शोभा देखकर वे इतने प्रेममग्न हो गए कि अब तक उनके हृदय में प्रीति रोकने से भी नहीं रुकती।
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ब्रह्म जो ब्यापक बिरज अज अकल अनीह अभेद।
सो कि देह धरि होइ नर जाहि न जानत बेद॥
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And because Scriptures say that Sri Vishnu takes Avatar So why would even He search His wife like an ignorant?
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खोजइ सो कि अग्य इव नारी। ग्यानधाम श्रीपति असुरारी॥1॥
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प्रभु जे मुनि परमारथबादी। कहहिं राम कहुँ ब्रह्म अनादी॥
भावार्थ:-हे प्रभो! जो परमार्थतत्व (ब्रह्म) के ज्ञाता और वक्ता मुनि हैं, वे श्री रामचन्द्रजी को अनादि ब्रह्म कहते हैं...
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भावार्थ:-ये राम वही अयोध्या के राजा के पुत्र हैं? या अजन्मे, निर्गुण और अगोचर कोई और राम हैं?
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भावार्थ:-यदि वे राजपुत्र हैं तो ब्रह्म कैसे? (और यदि ब्रह्म हैं तो) स्त्री के विरह में उनकी मति बावली कैसे हो गई?
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भावार्थ:-पहले तो वह कारण विचारकर बतलाइए, जिससे निर्गुण ब्रह्म सगुण रूप धारण करता है
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नाथ धरेउ नरतनु केहि हेतू। मोहि समुझाइ कहहु बृषकेतू॥
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