इस वंश का सबसे प्रतापी राजा बिम्बिसार (544 ई. पू. से 493 ई. पू.) था। इस वंश ने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया। बिम्बिसार का उपनाम श्रेणिक था। हर्यक वंश कुल के लोग नागवंश की एक उपशाखा थे। इसने कौशल एवं वैशाली के राज परिवारों से 1)
वैवाहिक सम्बन्ध क़ायम किया। उसकी पहली पत्नी महाकोसला पसेनजीत की बहन थी, जिससे उसे काशी नगर का राजस्व प्राप्त हुआ। उसकी दूसरी पत्नी चेल्लना वैशाली के लिच्छवी प्रमुख चेटक की बहन थी। इसके
पश्चात् उसने मद्र देश (कुरु के समीप) की राजकुमारी क्षेमा के साथ अपना विवाह कर मद्रों का
2)
सहयोग और समर्थन प्राप्त किया। महाबग्ग में उसकी 500 पत्नियों का उल्लेख है। कुशल प्रशासन की आवश्यकता पर सर्वप्रथम बिम्बिसार ने ही ज़ोर दिया था। बौद्ध साहित्य में उसके कुछ पदाधिकारियों के नाम मिलते हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
1. सब्बन्थक महामात्त (सर्वमहापात्र)- यह
3)
सामान्य प्रशासन का प्रमुख पदाधिकारी होता था। 2. बोहारिक महामात्त (व्यवहारिक महामात्र)-यह प्रधान न्यायिक अधिकारी अथवा न्यायाधीश होता था। 3. सेनानायक महामात्त-यह सेना का प्रधान अधिकारी होता था।
बिम्बिसार स्वयं शासन की समस्याओं में रुचि लेता था। महाबग्ग जातक में कहा गया
4)
है कि उसकी राजसभा में 80 हज़ार ग्रामों के प्रतिनिधि भाग लेते थे। जैन ग्रन्थ उसे अपने मत का पोषक मानते हैं। दीर्धनिकाय से पता चलता है कि बिम्बिसार ने चम्पा के प्रसिद्ध ब्राह्मण सोनदण्ड को वहाँ की पूरी आमदनी दान में दे दी थी। पुराणों के अनुसार बिम्बिसार ने क़रीब 32 वर्ष तक
5)
शासन किया। बिम्बिसार महात्मा बुद्ध का मित्र एवं संरक्षक था। विनयपिटक से ज्ञात होता है कि बुद्ध से मिलने के बाद उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया और
बेलुवन नामक उद्यान बुद्ध तथा संघ के निमित्त कर दिया था। अन्तिम समय में अजातशत्रु ने अपने
पिता बिम्बिसार की हत्या कर दी।
6)
बिम्बिसार ने राजगृह नामक नवीन नगर की स्थापना करवाई थी।
बिम्बिसार का अवन्ति से अच्छा सम्बन्ध था, क्योंकि जब अवन्ति के राजा प्रद्योत बीमार थे, तो बिम्बिसार ने अपने वैद्य जीवक को भेजा था। बिम्बिसार ने अंग और चम्पा को जीता और वहाँ पर
अपने पुत्र अजातशत्रु को उपराजा बनाया।
7)
बिम्बिसार की हत्या इसके पुत्र अजातशत्रु ने 493 ई.पू. कर मे कर दि और मगध का राजा बन गया अजातशत्रु का उपनाम कुणिक था इसने लगभग 32 साल तक शासन किया अजातशत्रु जैन धर्म का अनुयायी था अजातशत्रु कि हत्या उसके पुत्र उदायिन ने 461 ई.पू. मे कर दी हर्यक वंश का अन्तिम राजा उदायिन
8)
का पुत्र नागदशक था नागदशक के पुत्र शिशुनाग ने 412 ई.पू. मेबीउन्हे हटा के शिशुनाग वंश की स्थापना की।
1. मगध राज्य के उत्थान में कौन-कौन वंशों का योगदान रहा?— वृहदत वंश, हर्यक वंश, शिशुनाग वंश, नंद वंश, मौर्य वंश 2. मगध की पहली राजधानी कहाँ थी और किसने इसका निर्माण
9)
करवाया था?— राजगृह, बिम्बसार ने 3. बिम्बिसार का राजवैध कौन था?— जीवक 4. बिम्बिसार का वध किसने किया था?— पुत्र आजातशत्रु ने 5. बिम्बिसार कौन-सा धर्म अपनाया था?— बौद्ध धर्म 6. पितृहन्ता के नाम से इतिहास में कौन कुख्यात हैं?— आजातशत्रु 7. अजातशत्रु किस धर्म को मानता था?—
10)
जैन धर्म को 8. उदयन ने किस नगर की स्थापना की और अपनी राजधानी बनायी?— पाटलिपुत्र को
हर्यक वंश ( पहला वंश )
बिम्बिसार (544 ई0पू0 से 492 ई0पू0)
बिम्बिसार को सोनिया या श्रेणिक नाम से भी जाना जाता था । मत्स्य पुराण मे क्षेत्रोजस का नाम मिलता है। अनुश्रुतियों के अनुसार
11)
पिता हेमजीत से राजसिंहासन को हथियाया था। मगध को संगठित करने के लिए संधि और युद्ध की नीति अपनाई। इसने सबसे पहले गंगा नदी के महत्व को समझा और इसके किनारे नगरों के राजाओं से वैवाहिक सम्बन्धों के अन्तर्गत संधि की।
1 कोशल की राजकुमारी कोशला देवी के साथ विवाह किया जिसका राजस्व
12)
एक लाख प्रति वर्ष था।
2 वैषाली के चेटक की पुत्री चेल्लाना से विवाह किया।
3 मद्र देश की राजकुमारी खेमा के साथ विवाह किया।
महावग्ग में उसकी 500 रानियों का उल्लेख मिलता है । इसके अलावा इसने अन्य जनपदों को राजदूत भेजे । अवन्ति के राजा प्रद्योत के पास राजचिकित्सक जीवक को
13)
भेजा इसी नीति के अन्तर्गत गांधार का राजदूत प्रतिषाक्य इसकी सभा मे आया। सिंध क्षेत्र से भी दूत आये थे। मैत्री के साथ-2 विस्तार की नीति को अपनाया । पश्चिम की तरफ संधि करके पूर्व की तरफ बढ़ा। अंग पर अधिकार किया इस विजय का उल्लेख बिदुर पण्डित जातक कथा मे मिलता
14)
है। इसने मैत्री के
साथ-2 आंतरिक व्यवस्था मे सुधार किया यह पहला राजा था जिसने प्रशासन को समझा,मंत्रिवर्ग का निर्माण किया मंत्रियों से विचार-विमर्श किया। इसने प्रारंभिक नौकरशाही तथा कानून व्यवस्था का निर्माण किया। स़ड़कों के महत्व को समझा, भूमि की पैमाइश किया, शेरशाह की तरह
15)
पैदावार का मूल्यांकन किया। सैद्धान्तिक रूप से भूमि को राजा की संपत्ति बनाने प्रयास किया। भूमि पर राजस्व का 1/6 प्रतिशत कर लगाया। कुछ विद्धानों का मत है कि इसके पुत्र अजातशत्रु ने इसकी हत्या की थी ।
अजातशत्रु
आजदशत्रु चेल्लाना का पुत्र था । अजातशत्रु का नाम अषोक चन्द्र
16)
मिलता है। अनेक विद्धान इसे मगध का वास्तविक संस्थापक मानते थी। इसने प्रसेनजित- कोशल के राजा से युद्ध किया तथा हार गया। बाद मे वजीरा की शादी अजातशत्रु से हुई दहेज मे काशी प्रदेश मिला । इसके सम्राज्य में अंग, वैशाली, वाराणसी शामिल थे। इसके समय मे माना जाता थी कि महाषिलाकंटक
17)
तथा रथमूश क नामक हथियारों का प्रयोग प्रारम्भ हुआ। भरहुत शिलालेख पर बुद्ध तथा अजातशत्रु के भेंट का उल्लेख मिलता है । इसके समय मे महावीर और गौतम बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ।
इसके समय मे पहली बौद्ध संगीति हुई । संभवतः इसने राजगृह मे बुद्ध के अवषेषों का स्तूप बनवाया।
18)
इसके प्रयासों से निचले गंगा घाटी के व्यापार पर मगध का अधिकार हुआ।
उदयिन
बौद्ध साहित्य स्रोतों ने उदायी या उदयिन को अजातशत्रु का उत्तराधिकारी मानाहै । महावंश के अनुसार इसने पिता की हत्या कर गद्दी प्राप्त किया। परिषिष्टपर्वन मे कहा गया हैं की - इसने पाटलिपुत्र की
19)
स्थापना की और राजधानी बसाई। इसने अपनी राजधानी मे जैन चैत्य बनवाए
इसलिए कुछ विद्धानो के अनुसार यह जैन था।
Tricks-मगध साम्राज्य पर शासन करने वाले वंश क्रम से
20)
Trick- "हर शिव नमो सुकसा"
हर - हर्यक वंश
शिव - शिशुनाग वंश
न - नन्द वंश
मो - मोर्य वंश
सु - सुंग वंश
कं - कण्व वंश
सा - सातवाहन वंश
21).
डॉ . अल्बर्ट एलिस .
अमेरिकेतील नामांकित मानसोपचारतज्ञ . यांना मानसशास्त्रज्ञ सुद्धा म्हणता येईल . विवेकनिष्ठ मानसोपचार पद्धती (rational emotive behaviour thearapy ) हा त्यांचा मनाच्या जगातील सर्वात महत्वाचा शोध . अनेकांना मानसिक स्थैर्य मिळवून देणाऱ्या या पद्धतीचा शोध 1)
खरंतर त्यांनी स्वतःला स्थिरता मिळवून देण्यासाठी लावला होता . या शोधाची सुरुवात त्यांनी लहानपणीच केली होती . भावनेच्या आहारी न जाता , तर्कसंगत बुद्धी वापरून केलेला विचार मनाला स्थिर करतो हा त्यांचा अनुभव त्यांनी जगाला पटवून दिला . त्यासाठी अनेक उदाहरणे आणि दाखले दिले .
2)
आणि आयुष्याच्या उत्तरार्धात त्यांच्या कार्याची दखल घेणे सर्व जगाला भाग पडले . त्यांनी मांडलेले काही सिद्धांत सोप्या भाषेत पुढीलप्रमाणे आहेत .
१) माणसाच्या आयुष्यात घडणाऱ्या घटनांवर त्याच्या प्रतिक्रिया आणि कृती अवलंबून नसतात , तर त्या घटनांकडे तो कोणत्या दृष्टीकोनातून बघतो
3)
नुकतीच नाणेघाटला जाऊन आले होते.त्यासंदर्भात #मर्यादित वाचन केलं होतं.त्यातून हे कळालं की, हा नाणेघाट म्हणजे घाटांचा राजा.हा इसवीसनपूर्व काळात बांधला गेलाय.हे वाचूनच रोमांच उभे राहिले. काय ते कसब? अभियांत्रिकीमधला चमत्कारच.
सातवाहन सम्राज्ञी गौतमीपुत्र 1)
सातकर्णीची पत्नी नागणिका हिचा नाणेघाटातल्या लेणीतला तो प्रख्यात शिलालेख. पहिल्यांदा गेले तेव्हा वेड्यासारखी धावत गेले होते त्या भित्तीकडे. त्या पाषाणातल्या अक्षराईत हरवून गेले होते.मला न समजणाऱ्या ब्राम्ही भाषेतली ती अक्षरं पण विलक्षण प्रेमानं,कदाचित इतिहासाच्या फारसं न 2)
जपता आलेल्या वेडामूळे माझे हात त्या अक्षरांवरनं फिरत होते.नागणिका इथेच असेल का? माझ्या आसपास?माझी ही ओढ बघत असेल का?तिला छान वाटत असेल का आपला शिलालेख असा चिरंजीवी झालेला पाहून? तिचा चुडाभरला अमानवी हात माझ्यासोबतच तीही त्या अक्षरांवरनं फिरवत असेल का? धुक्यासारख्या तरल
3)
इथल्याच (पनवेल स्टॅंडजवळ) एका छोटेखानी हाॅटेलवाल्याने बाबासाहेबांना पाणी नाकारले त्यावेळी अस्वस्थ झालेले, गरीब मजूर असलेले सोनबा येलवे बाबासाहेबांसाठी पाणी आणायला गेले.
पाणी आणले, तोपर्यंत बाबासाहेब पुढील प्रवासाला निघूनही गेले होते. 1)
बाबासाहेब परत याच मार्गाने येतील तेव्हा त्यांना पाणी मिळायला हवे आणि ते मी देईन या इच्छाशक्तीने ते दरदिवशी पाणी घेऊन येत. परंतु बाबासाहेब परत त्या मार्गाने आले नाहीत.
...आणि वाट पाहून अखेर, इथेच सोनबा येलवेंचा मृत्यू झाला.
2)
त्यांच्या स्मृतिप्रीत्यर्थ पनवेल महानगरपालिकेने ही पाणपोई बांधली आहे. येणार्या-जाणार्यांना पाणी मिळावे या उदात्त हेतूने.
उशीरा का होईना, बाबासाहेबांच्या प्रेमाखातर त्याग करणारी व्यक्तिमत्त्वं उजेडात येत आहेत.
3)
मनुस्मृती दहन केल्यानंतर तत्कालीन काही ब्राह्मण्यग्रस्त वृत्तपत्रांनी टीकात्मक लेखन केले. त्यावर बाबासाहेबांनी बहिष्कृत भारत पत्रातून त्यांचा समाचार घेतला. वाचा !
- आनंद गायकवाड
आमच्या मित्रांचा दुसरा असा एक आक्षेप आहे की मनुस्मृती ही जुन्या काळी अंमलांत असलेल्या 1)
नियमांची एक जंत्री आहे. त्या जंत्रीतील नियम आज कोणास लागू नाहीत. मग असले जुने बाड जाळण्यात काय अर्थ आहे ? मनुस्मृती हे एक जुने बाड आहे असे आमच्या मित्राप्रमाणे आम्हासही म्हणता आले असते तर आम्हास मोठाच आनंद झाला असता. परंतु दुर्दैवाने आम्हांस तसे म्हणता येत नाही. आणि आमची
2)
खात्री आहे की, भावी स्वराज्याचा चंद्रोदय केव्हा होतो हे पाहण्याकरिता, आमच्या मित्रांचे डोळे आकाशाकडे लागले नसते तर आपल्या पायाखाली काय जळते आहे हे त्यांना निरखून पाहताच आले असते. मनुस्मृती हे एक जुने बाड आहे, ते राहिले तरी काही हरकत नाही असा युक्तिवाद करण्याऱ्या गृहस्थांना
3)
जमालगढी सध्याच्या पाकिस्तानातील खबैर पक्ख्तुन्ख्वामधील मरदानच्या कटलांग मरदान मिर्गापासून १३ किमी अंतरावर हे शहर आहे. जमालगढी येथे प्राचीन स्तूप व विहारांचे अवशेष सापडले आहेत.
जमालगढी येथील स्तूप व विहार १/५ शतकातील भरभराटीचे बौद्ध ठिकाण होते. 1)
जमालगढीचे स्थानीय नाव "जमालगढी कंदारत" किंवा "काफिरो कोटे" असे आहे. जमालगढीच्या भग्नावशेषांचा प्रथम शोध ब्रिटीश पुरात्ववेत्ता व गाढे अभ्यासक अलेक्झांडर कॅनिंगहॅम यांनी इसवी सन १८४८ मध्ये लावला.
कर्नल ल्युम्स्डेन यांनी जमालगढी येथे उत्खनन केले होते पण तेव्हा तेथे विशेष 2)
काही सापडले नाही. नंतर इसवी सन १८७१ मध्ये लेफ्टनंट क्राॅमटन यांनी पुन्हा येथे उत्खनन केले व अनेक बौद्धशिल्पे सापडली आहेत.
चित्र क्रमांक एक जमालगढी, मरदान, पाकिस्तान बौद्ध नगरीचे भग्नावशेष.
चित्र क्रमांक दोन १/३ शतकातील राणी महामायेचे स्वप्न शिल्प जमालगढी, मरदान,
3)
आम के पेड़ के नीचे ब्राह्मण तुलसीदास रामचरित्रमानस लिख रहे थे. अचानक पेड़ से आम तुलसीदास के सर पर गिरा. तुलसीदास बहुत खुश हुआ, उसने आम को ईश्वर का दिया हुआ उपहार समझकर खा लिया !
मुग़ल राज में गाय कट रही थी, मुग़ल समोसे में गाय का मांस भर भर कर खा रहे थे. 1)
लेकिन तुलसीदास को कोई आपत्ति नही थी, वह मग्न होकर आनंदित होकर, लगा लिखने "ढोल गंवार पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी" !
किसान का बेटा इसाक न्यूटन सेब के पेड़ के नीचे विज्ञान की पढ़ाई कर रहा था. अचानक से एक सेब न्यूटन के सर पर गिर गया. न्यूटन ने सेब उठाया उसे ध्यान से
2)
देखने लगे मानो कभी सेब देखा ही नही. लेकिन न्यूटन सेब नही देख रहे थे वह सोच रहे आखिर सेब नीचे क्यों गिरा ?
सेब ऊपर क्यों नही गया... नीचे ही क्यों आया ?. ऊपर चांद है वह क्यों नही गिरता. धरती में जरूर कोई फ़ोर्स है. ताक़त है जो चीजों को अपनी ओर आकर्षित करती है !
3)