पाण्डेय साहेब हमलोग तीन बार
डेरा पहुंचा, वहां एक झाजी थे जो खाना मेरा बनाते थे. उन्होंने मुझे खाने के लिए कहा, मैंने कहा आज भूख नहीं है झाजी आप
विस्तर पर गया तो नींद नहीं आ रही थी, जोड़ने लगा कहाँ से 2.5 लाख आएगा. पाण्डेयजी तो बोले हैं की हाउसिंग लोन लिए
बोझिल मन से सुबह उठा. 6.30 बजे थे.7 बजे बैंक जाना था. समय से हम तीनों पहुँच गए. एक एक करके सारे बिन का नोट हमलोगों ने बाहर करना शुरू किया. 40 बिन थे जिसमें नोट सबमें भरे हुए थे. एक एक बिन से रूपये चेक कर फिर वापस
बैंक में कैश डील करने वाले सभी लोगों को जब दिनभर का हिसाब मिल जाता है तभी उनकी सांसों गति सही होती है. यही है बैंक की नौकरी|
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