आइए, एक-एक करके तीनों विधेयकों को समझते हैं।
सबसे पहले, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा जहां एक किसान भारत में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है। इसके अंतर्गत इंटर-स्टेट और इंट्रा-स्टेट ट्रेडिंग,(1) @narendramodi
यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की भी इजाजत होगी। किसान विपणन में आने वाली लागत पर बचत करेंगे। वर्तमान व्यवस्था के तहत एक किसान केवल APMC या एक पंजीकृत लाइसेंसधारी या राज्य सरकार के माध्यम से ही अपनी उपज बेच सकता है।(2) @narendramodi
वह अपनी उपज को ई-ट्रेडिंग या इंट्रा-स्टेट ट्रेडिंग के माध्यम से नहीं बेच सकता है। विपक्ष का कहना है कि किसानों को एपीएमसी से पर्याप्त कीमत मिलती थी, बाजार विनियमित होता था और राज्य सरकारें मंडी शुल्क कमाती थीं। (3) @narendramodi
एक किसान अपनी उपज को निश्चित दरों पर बेचने के लिए कंपनियों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों और बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध या कॉन्ट्रैक्ट कर सकता है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अग्रीमेंट में कृषि उत्पादों के ग्रेड, गुणवत्ता, मानकों और कीमतों के लिए नियम (4)
और शर्तें निर्धारित होंगी।
सरकार का कहना:- भले ही उत्पादों की कीमत में गिरावट आ जाए, किसानों को समझौते में तय दरों के अनुसार ही भुगतान किया जाएगा। समझौते में बोनस और प्रीमियम का भी प्रावधान होगा। (5) @narendramodi
तीसरा है आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक। भारत में अधिकांश कृषि उत्पादों का सरप्लस है, लेकिन आवश्यक वस्तु अधिनियम के कारण कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, प्रोसेसिंग और निर्यात में कम निवेश होता है।(6) @narendramodi
जब भी किसी फसल का उत्पादन काफी ज्यादा होता है तो किसान कीमतों में गिरावट और खेतों में अनाज और सब्जियों के सड़ने के कारण अच्छे रिटर्न पाने में असफल रहते हैं। नया विधेयक युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, अत्यधिक मूल्य वृद्धि और अन्य स्थितियों को छोड़कर उत्पादन, भंडारण,(7) @narendramodi
आवाजाही और वितरण पर सरकारी नियंत्रण को खत्म कर देगा। यह कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई चेन को आधुनिक बनाने में मदद करेगा, और अंततः किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में होगा। किसी भी उत्पाद के स्टॉक की सीमा तभी लागू होगी जब उसकी कीमत दोगुनी हो जाएगी।(8) @narendramodi
@richaanirudh 🌿🍀☘️🌾कृषि विधेयक🌾🍀☘️
Thread-
फरवरी 2011 में जब डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, उन्होंने एक बेहतर मार्केटिंग चेन बनाने के लिए डिलीवरी सिस्टम को आधुनिक बनाने का आह्वान किया था। उन्होंने तब निजी क्षेत्र को कृषि क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए कहा था। कांग्रेस ने भी अपने (1)
@richaanirudh पिछले चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के लिए इन उपायों का वादा किया था। लेकिन अब कांग्रेस ने पूरी तरह से यू-टर्न ले लिया है और अब वह इन विधेयकों को ‘किसान विरोधी’ बता रही है।
आइए, एक-एक करके तीनों विधेयकों को समझते हैं।
सबसे पहले, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (2)
@richaanirudh (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा जहां एक किसान भारत में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है। इसके अंतर्गत इंटर-स्टेट और इंट्रा-स्टेट ट्रेडिंग, यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की भी इजाजत होगी। किसान विपणन में आने वाली लागत पर बचत करेंगे।(3)
#Make_in_India’ was launched with much fanfare. However, despite opening up several sectoral caps for FDI and improving ‘ease of doing business’ ranking, manufacturing has not picked up as expected. Manufacturing value-added in Q3 2018 is estimated to have moderated to 6.7% (1)
,sharply down from April-June’s 12.4%. The sector is facing headwinds from both demand and supply sides. Demand has softened as can be seen by growing inventory in the auto sector and softer sales figures of FMCG companies. (2) @narendramodi
The supply side is still limping back after the disruption of the informal SME sectors by demonetization and GST. The eight core sectors that make up about 40% of India’s total industrial output — coal, crude oil, natural gas, refinery products, fertilizer, steel, (3)
#Swachh_Bharat
The Swachh Bharat Mission was announced to make India ‘open defecation-free’ by 2019. Over 9 crore toilets have been built, and coverage of rural sanitation has risen to 98% from about 40% in 2014. (1) @narendramodi#ModiJiAt70
Many municipality areas in the country have been declared open defecation-free (ODF). The program brought discussion about cleanliness and sanitation to the mainstream. This may be the Modi government’s most successful program, and an important one, with effects on the (2)
health and dignity of the poor. However, ground-level reports from some areas show implementation failures -- toilets were built in a hurry with no proper water supply or drainage system resulting in unusable toilets. (3) @narendramodi#ModiJiAt70