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Sep 24, 2020 7 tweets 2 min read Read on X
आज मोदी जी के फिटनेस कार्यक्रम"फिट इंडिया" में विभिन्न हस्तियों के साथ विराट कोहली भी शामिल किया जा रहा है

ये विराट कोहली है

1.जो एक प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकार द्वारा कश्मीर पर सवाल पूछने पर टका सा जवाब देते हुए कहते हैं:- हम क्रिकेटर्स हैं।राजनीति से हमारा क्या लेना-देना? Image
2. ये वही कोहली है जिनकी पत्नी अनुष्का दो-दो वेब सीरीज में बहुसंख्यक समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती है. और उस पर अड़ी रहती है.

3. वही कोहली जिन्हें दीपावली के पटाखों में पशु पीड़ा नजर आती है. लेकिन कुर्बानी पर केवल बधाई निकलती है.
4. ये वही विराट कोहली है जो चैम्पियन्स ट्राफी के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ मैच की रणनीति बनाने की बजाए, अपने ईगो को मैच, खेल व देश से ऊपर रखकर कोच कुंबले को हटाने की रणनीति बनाते हैं. भारत मैच हार जाता है.

5. चाटूकारिता पसन्द कोहली रायडू को वर्ल्डकप से बाहर रखते हैं.
6 देश से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर कोहली चुप्पी साध लेते है.

ऐसे व्यक्ति को युवा आइकॉन के रूप में फिटनेस कार्यक्रम में बुलाने का क्या औचित्य ??.

एक तरफ देश IPL के बहिष्कार की मुहिम चला रहा है. ऐसे वक्त पर विराट कोहली को राष्ट्रीय खेल मंत्रालय स्तर के
बड़े कार्यक्रम में बुलाकर क्या जाने-अनजाने IPL का अप्रत्यक्ष प्रमोशन नही हो रहा है ??.

प्रधानमंत्री संवाद स्तर के कार्यक्रम में IPL के दौरान क्रिकेटर बुलाने की आवश्यकता ही क्या है. और यदि इतनी ही आवश्यकता थी तो ऐसे क्रिकेटर को चुना जाता जो, IPL न खेल रहा हो.
केवल भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान होना ही युवा आईकॉन होने की शर्त नही है. और भी "फिट" खिलाड़ी हैं.

राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमो में हस्तियों को बुलाने के पूर्व देश के मिजाज और जनता की भावनाओं का ख्याल अवश्य रखा जाना चाहिए.
किन्तु दुःखद सोशल मीडिया पर चल रही #boycottipl2020 की मुहिम के बीच... जाने-अनजाने ही सही,

आज IPL को #संजीवनी अवश्य मिल गई..

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Jan 29, 2021
भारत में जब उच्च स्तरीय परीक्षा होते हैं, औरतों से मंगलसूत्र कान की बाली तक उतरवा ली जाती है, गले के लॉकट ताबीज तक उतरवा लिए जाते हैं।

मगर सिक्खों को कृपाण ले जाने की इजाजत है।

भारत में हवाई जहाज सफ़र में जेब में गलती से नेल कटर रह जाए तो हड़कम्प मच जाता है।
मगर सिक्खों को कृपाण ले जाने की इजाजत है।

अदालत में एक गवाह को कृपाण ले जाने से रोका गया, उस ने हाई कोर्ट में अपील किया, कोर्ट बोला ये हथियार नहीं, बल्कि यह सिखों का धार्मिक प्रतीक है और उन्हें इसे धारण करने का पूर्ण अधिकार है।

ये कुछ साल पुरानी बात है,
लंदन की अदालत में भी ऐसा ही कुछ मामला सामने आया, एक स्कूल ने बच्चे को कृपाण लाने से मना कर दिया, तब कोई “सर” मोटा सिंह ने कहा ‘‘मैं इस बात में कोई समस्या नहीं पाता कि किसी युवा सिख को कृपाण पहनने की अनुमति दी जाए। मैं पिछले 35-40 वर्षों से कृपाण धारण करता हूं.
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Jan 29, 2021
सिंधु बार्डर पर बैठे गद्दार आंदोलनकारियों के खिलाफ फूटा आसपास के गांवों के किसानों का गुस्सा. भारी झड़प..

कल ग्रामीणों के सिंधु बार्डर खाली करवाने के अल्टीमेटम के बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे रही. लेकिन आज ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और खालिस्तान मुर्दाबाद,
तिरंगे का अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान. जैसे नारो के साथ देशभक्त किसानों ने किसानों के वेश में सिंधु बार्डर पर बैठे गद्दारो को सड़के खाली करवाने के लिए पुनः पुलिस से अपील की..

लेकिन जब पुलिस ने इन्हें रोका तो भीड़ ने खुद ही आंदोलन कारियो के तम्बू उखाड़ने शुरू कर दिए.
जिसे देखते हुए आंदोलनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी. ताजा समाचार मिलने तक झड़प चालू है. लेकिन पुलिस गद्दारो को हटाने की बजाए दूसरी भीड़ को हटा रही है.

मोटा भाई अब छोड़िए लोकतंत्र का तमाशा अन्यथा जनता निराश हो जाएगी. जो आपमे पूर्व गृहमंत्री सरदार पटेल की छवि देखती है.
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Jan 29, 2021
राकेश टिकैत खुद को जाट बताकर जो सहानुभूति कार्ड खेल रहे है. जाट भाईयो टिकैत के जातिवाद में उलझकर भावनाओं में बहने की बजाए टिकैत से प्रश्न पूछो 2013 के वक्त ये कहां थे ?? जब जाट समुदाय को इनकी सबसे अधिक जरूरत थी. तब इन्हें जाटो की याद नही आई.
जाट भाइयो याद करो उस वक्त आपके साथ कौन खड़े थे ? किन्होंने आपके लिए सड़कों पर उतरकर साथ दिया था.

2013 में जब आजम के इशारे पर शांतिदूतों ने जाटों पर जानलेवा हमला किया था, तब टिकैत जाट समुदाय को अकेला छोड़कर कहां छुप गए थे. उस वक्त जाटो की मदद संजीव बालियान, सोमदत्त जैसे
भाजपा नेताओं ने की थी. लेकिन कांग्रेस, राहुल, प्रियंका, अखिलेश और टिकैत चुपचाप तमाशा देख रहे थे.

आज वही टिकैत कांग्रेस के गुणगान कर रहे है. जिनके पिता महेंद्र टिकैत को राजीव गांधी ने आंदोलन से बैरंग अपमानित कर लौटाया था. वो टिकैत कांग्रेस संग गलबहियां कर रहे है

जागो जाट भाइयों
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Jan 29, 2021
कल रात यह 64 दिन का प्रहसन समाप्त हो जाना चाहिए था, जितना ज़हर अकेले इस टिकैत ने घोला है,इसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है ! न BJP विधायक परिदृश्य में आये और बमुश्किल 30-40 नागरिक , पिछले 64 दिन की तकलीफों को लेकर, काफी दूर, थोड़ी बहुत नारे बाज़ी करते दिखाई पड़े थे...
लेकिन टिकैत ने कथित किसानों को पीटे जाने का झूठा वितंडा खड़ा कर दिया... दिखावटी रोना धोना शुरू कर दिया... यूपी पुलिस और सरकार दवाब में आ गई ! अस्वस्थ होने का भी नाटक किया.... बहरहाल मौज से टिकैत ने रात में खाना खाया, रात में नींद भी ली ! ढाक के वही तीन पात !
गाजीपुर में सेकुलर मीडिया लगातार रोते हुए टिकैत की बाइट शेयर कर रहा है !
गाजीपुर फ्लाईओवर देश का सबसे बड़ा और सबसे चौड़ा फ्लाईओवर है, दिल्ली की लाइफ लाइन है, पिछले 64 दिन से फ्लाईओवर के बीचोबीच सबसे ऊंचे स्थान पर कम से 50 मीटर चौड़ाई में टिकैत ने
Read 6 tweets
Jan 28, 2021
अरे वो लालकिले में घुसे थे तो अपनी मर्जी से !
पर ये बताओ कि निकले किसकी मर्जी से ??

लालकिले को तहस नहस करके अपने घोड़ो (ट्रैक्टरों) पर सवार होकर, तलवार लहराते, लाठी भांजते, तिरंगे को पैरों तले रौंदते और खालिस्तान के जयकारे लगाते...वो हरामखोर देशद्रोही लालकिले से निकले कैसे ???
तुम्हारा आई टी सेल और तुम्हारे मंत्री और प्रवक्ता कह रहे हैं कि क्या एक और जलियांवाला होने देते ??

शर्म नहीं आयी इस सरकार को यह मूर्खता और कायरतापूर्ण बकवास दलील देते हुए ?!

अरे भीतरघातियों जलियांवाला बाग में राष्ट्र प्रेमी जुटे थे....आजादी के मतवाले जुटे थे।
यहां कौन सा राष्ट्र प्रेमी था लालकिले में...जो तुम इन गद्दार देशद्रोहियों की तुलना जलियांवाला बाग के वीर पुत्रों से कर रहे हो ??
अपनी नपुंसकता कब तक छुपाओगे तुम ???

नरेंद्र मोदी आपको जवाब देना पड़ेगा। इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा।
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Jan 27, 2021
#विकल्प समाधान नहीं है।
समस्या है।

कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए यदि सुरक्षा बलों को लगाया जाता है तो उन्हें कम से कम आत्म रक्षा का अधिकार तो दिया ही जाना चाहिए।

वैकल्पिक वर्ण व्यवस्था में वैकल्पिक राजा और वैकल्पिक क्षत्रिय अपना धर्म निभा ही नहीं सकते।
देश और समाज की सुरक्षा का खतरा इन्हीं वैकल्पिक वर्णों से है।

वैकल्पिक ब्राम्हण - निशुल्क शिक्षा नहीं दे सकता।
वैकल्पिक क्षत्रिय - दूसरों की रक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकता।
वैकल्पिक वणिक - स्वरोजगार के प्रकल्प नहीं विकसित कर सकता।
वैकल्पिक शूद्र - सेवा भाव से सेवा नहीं कर सकता। और न ही मैन्युफैक्चरिंग कर सकता है।

इन तीन व्यवस्थाओं से ही समाज आज भी चल रहा है - पूरे विश्व में।

नाम बदल देने से सत्य का स्वरूप नहीं बदल सकता।
जल को वाटर बोलने से उसके गुण धर्म में कोई परिवर्तन हो सकता है क्या?
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