कहाँ गए प्यार के पैरोकार.. इश्क के ठेकेदार.. मोहब्बत के कद्रदान.. ??
कहाँ बुरके में छिप गई तथाकथित आधुनिक सोच, उदारवादी फिलासफी वाली फमिनिस्ट.. ??
कहाँ गायब हो गई "ब्राह्मण लड़की धलित लड़के" के प्यार की ठेकेदार बनकर "हल्ला बोलने" वाली अंजना कश्यप और आजतक ??
दिल्ली में एक 19 वर्ष के नौजवान राहुल को सिर्फ इसलिये पीट-पीटकर निर्ममतापूर्वक मार दिया गया क्योंकि उसकी एक मुस्लिम लड़की से मित्रता थी ..
मुस्लिम लड़की के घरवालों ने राहुल की मात्र इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह गैर-मज़हबी था..
कहाँ गए वे भौंपू जो दिन-रात प्यार का धर्म नही होता कहकर बजते थे ??
कहाँ गए मुरारी बापू, जो रामकथा की आड़ में प्रेम पर लेक्चर देते हैं ??
लवजिहाद का समर्थन करने वाली सेक्युलर गैंग पर्दे की ओट में क्यों छिप गई ??..
और कहाँ गए केजरीवाल जो झारखंड के तरबेज पर छाती पीटते है..
करोड़ो मुआवजा देते हैं.. यहाँ 10 लाख देकर चुप्पी साध ली..
कहाँ हैं संजय सिंह ??
कहाँ संजय राउत ?? दिल्ली की घटना से लेकर राजस्थान में जलते पुजारी की चीखें सुनाई नही देती ?? या शिवसेना ने अपना हिंदुत्व दस जनपत के चरणों में सत्ता खातिर गिरवी रख दिया..
जवाब तो देना ही होगा.. देश की जनता को..
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कल अक्षय कुमार,अजय देवगन,अनिल कपूर, ऋतिक-राकेश रोशन, तनिष्क,पारले और बजाज ने अपनी केंचुली उतार फेंकी ! मैं यह नहीं समझता कि इस तमाशे के लिए.... सिर्फ मोमिन साम्प्रदायिकता, दाऊद गिरोह,दुबई नेक्सस या पेट्रो डॉलर ज़िम्मेदार होंगे !...
जिन लोगों ने अक्षय कुमार की 'OMG' देखी होगी... वह इस शख्स द्वारा 'द गब्बर इज़ बैक' और देशप्रेम-राष्ट्रवाद पर आधारित कुछ फिल्मों से गढ़ी गई इमेज से कभी प्रभावित नहीं होंगे ! अक्षय कुमार की सोंच अपनी पत्नी ट्विंकल खन्ना से अलग नहीं हो सकती जो खुद को हिन्दू नहीं...
मात्र भारतीय मानते हैं... अमिताभ की तरह..
सूखे,कांटेदार और बिलबिलाकर कर रख देने वाले शब्दों का मैं यूहीं चितेरा नहीं बन गया हूँ .... साफ कहता हूं... जो लोग हिंदुत्व-सनातन के अर्चक नहीं हैं... जो लोग हिंदुत्व को देश से बड़ा नहीं मानते....
एक समय पारसी धर्म ईरान का प्राचीन धर्म हुआ करता था, ईरान के बाहर रोमन साम्राज्य और यूरोप के विशाल क्षेत्रों में भी इसका प्रचार-प्रसार था,
परन्तु ईरान पर इस्लामी विजय के पश्चात पारसियों को इस्लाम कबूल करना पड़ा,
वहीं अपने धर्म को बचाने के लिए अनेक पारसियो ने अपना गृहदेश छोड़कर भारत में शरण ली,
इस्लामिक अत्याचार से त्रस्त होकर पारसियों का पहला समूह लगभग 766 ईस्वी में दमण और दीव पहुंचा, यहां से वे गुजरात और कुछ लोग मुंबई में बस गए,
एक समय जो धर्म दुनिया के एक बड़े भूभाग पर फैला हुआ था
आज उस पारसी धर्म के अनुयायियों की पूरी दुनिया में कुल आबादी सम्भवतः 1 लाख से अधिक नहीं है, ईरान में कुछ हजार पारसियों को छोड़कर लगभग सभी पारसी अब भारत में ही रहते हैं और उनमें से भी अधिकांश अब मुंबई में हैं,
टाटा समूह के संचालक रतनदेव टाटा और सायरस मिस्त्री दोनो ही उसी
यह रही बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की सार्वजनिक स्वीकृति। वीडियो में प्रज्ञा ठाकुर साफ बोल रही हैं, परमबीर ने बेल्ट से उनकी पिटाई की। ठाणे पुलिस कमिश्नर रहते हुए परमबीर सिंह ने उन पर शारिरिक प्रताड़ना की।
वाकई हैरान करती है प्रज्ञा ठाकुर की खामोशी! इनकी निष्क्रियता।
जो सांसद बनने के बाद भी आज तक IPC की धारा 330 और 331 के तहत मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ FIR दर्ज कराने का साहस ना जुटा सकीं ? या फिर मामला "नूरा कुश्ती" का है।
यदि सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद अपने ऊपर हुए ही अत्याचार,
कानून के हनन पर "न्याय" की लड़ाई लड़ने का साहस नहीं कर पा रहा है तो लाखों-करोड़ों "विशेषाधिकार विहीन" समाज से क्या अपेक्षा करेंगे ?
किसी आम आदमी के लिए तो पुलिस का अदना सा सिपाही भी "आतंक" है। ऐसा सांसद या नेता क्या दूसरों का ? अपने समाज का संघर्ष करेगा ?
ये न्यूज चैनल आजतक, इंडिया टीवी, NDTV या ABP न्यूज आदि नहीं बल्कि जॉर्ज सोरेस का 7 हज़ार करोड़ रूपया बोल रहा हैं...
बहुत ध्यान से पढ़िए...🙏
कांग्रेस शासित राजस्थान में बलात्कार सरीखे जघन्य अपराध की दर उत्तरप्रदेश की तुलना में 5 गुना से अधिक है.
पिछले 12 दिनों में नाबालिग बालिकाओं के साथ बलात्कार की 16 घटनाएं राजस्थान में हो चुकी हैं. लेकिन न्यूजचैनल आजतक, इंडिया टीवी, NDTV या ABP न्यूज की कोई टीम कभी राजस्थान नहीं गयी.पर इन न्यूजचैनलों की टीम पिछले 5 दिनों से उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लहू की प्यासी है
उनके खिलाफ सफ़ेद झूठ का भयानक ज़हर और आग उगल के उत्तरप्रदेश को जातीय दंगों की आग में झोंकने में जुटी हुई हैं. यह सब अनायास या अचानक नहीं हो रहा है.
केवल सवा 4 महीने पहले दावोस में एक ईसाई मिशनरी के अरबपति गुर्गे जॉर्ज सोरोस ने बाकायदा प्रेसवार्ता कर के अंतरराष्ट्रीय मीडिया के
गांधी जैसों को हमने अपना लीडर क्यों माना ? बुद्ध और अशोक हमारे आदर्श क्यों बन गए ? हमे "ठुमक चलत राम चंद" और माखनचोर कृष्ण का ही यही रूप क्यों भाता है ? अस्त्र संधान करने वाले राम-कृष्ण का विद्रोही स्वरूप हम जीवन मे उतारने को क्यों उत्सुक नहीं रहते ?
धर्म अर्थ काम मोक्ष और उद्धार की बात करने वाले कथावाचक हमे क्यों भाते हैं ? शिवाजी, राणाप्रताप और लक्ष्मी बाई.... हिन्दूसमाज के आदर्श और पथप्रेरक क्यों नहीं बन पाए ?
मुहम्मद साहब से लेकर ओवैसी तक जो मोमिन... मोमिन हित के लिए खड़ा हुआ ...
मोमिनों ने बगैर उहापोह में पड़े उन्हें अपना लीडर मानने में कोई देर नहीं की, क्यों ? हिन्दू धर्म को छोड़कर जाने वाला... विस्लाम को अंगीकार करने वाला यकायक इतना धर्मनिष्ठ (मज़हबी) कैसे हो जाता है कि 5 वक्त की नमाज़ पढ़ने लगता है और तीसों दिन रोज़ा रखने लगता है ?
ग्रेटर नॉएडा में क्रिकेट स्टेडियम है, F1 ट्रैक बुद्धा इंटर्नैशनल सर्किट भी है। गोल्फ कोर्स है यमुना इक्स्प्रेस वे है।अलीगढ़ हाथरस आगरा कुछ ही घंटो में पहुँच जाते हैं। स्कूल कॉलेज शोपिंग मॉल बड़े बड़े एमएनसी के ऑफ़िस सब हैं। जेपी यूनिटेक चड्ढा माल्या का बसाया हाई टेक शहर।
अब यहाँ फ़िल्म सिटी भी बन जाएगी, इस से पहले विश्व का पाँचवा सब से बड़ा एयरपोर्ट भी बन जाएगा। ज़ेवर एयरपोर्ट,
ख़ैर बात ये है ग्रेटर नॉएडा हाई टेक हो रहा है मुंबई बैंगलोर से भी आगे निकल रहा है। काफ़ी कुछ बन गया है शानदार चौड़ी सड़के हैं ऑफ़िस स्कूल यूनिवर्सिटी शोपिंग मॉल हैं बड़ी बड़ी बिल्डिंग ओपन स्पेस, फिर भी यहाँ का रियल स्टेट मार खा रहा है।