A Girl child has been rescued by #Gujrat_Police tonight, She was #Trafficked from #WestBengal, @NCPCR_ issued directions for the same On the report of mission mukti foundation.
More details are awaited,will keep posting.
आज रात #गुज़रात_पुलिस द्वारा एक बच्ची को बचाया गया है, बालिका #पश्चिम_बंगाल से #बाल_तस्करी की शिकार हुई थी, @NCPCR_ ने मिशन मुक्ती फाउंडेशन की रिपोर्ट पर इसके लिए निर्देश जारी किए थे।
अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है, पोस्ट करते रहेंगे।
The perpetrator Sohaid Ul Rehman has been arrested by #Gujarat_Police and process of handling over to #WestBengal police is ongoing.
The victim girl child was a student of 7th class physically abused by accused has been produced before CWC
अपराधी सोहिद उल रहमान को #गुज़रात_पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और #पश्चिम_बंगाल_पुलिस को सौंपने की प्रक्रिया जारी है। पीड़ित बच्ची 7 वीं कक्षा की छात्रा थी, जिसका आरोपी ने शारीरिक शोषण किया था, बच्ची को सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया है, एवं मेडिकल सहायता दी जा रही है।
For me and shri Dharmendra Bhandari official of @NCPCR_ ,This rescue operation was #Laxmi_Puja in true sense.
we got succeed in rescuing this child.
मेरे और @NCPCR_ के अधिकारी श्री धर्मेंद्र भंडारी के लिए, यह बचाव अभियान सच्चे अर्थों में #Laxmi_Puja था। हम इस बच्चे को बचाने में सफल हो गए।
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
कृतज्ञता प्रधानमंत्री जी
मेरे पिता पेशे से वकील थे,मेरी माँ चिकित्सक हैं, सभी भाई अपने अलग अलग नौकरी व्यवसाय करते हैं।
परिवारिक कृषि भूमि पर कृषि कार्य हम लोग स्वयं ही करते रहे हैं, मुझे अच्छी तरह से याद है छात्र जीवन में जब परीक्षा का समय होता था तभी फसल आने का समय होता है।1/7
मज़बूरी यह होती थी कि फसल केवल मंडी में ही बिकेगी फसल बेंचने के लिए मंडी खेत से ५४ किलोमीटर दूर शहर में है,मेरे ज़िले विदिशा की कृषि मंडी मध्यप्रदेश की बड़ी मंडियों में से एक है।कितने ही इग्ज़ाम दिन हमने मंडी की ख़ाक छानते ट्रैक्टर ट्राली के ऊपर बैठ कर किताब पढ़ते बिताए हैं।2/7
बचपन के स्कूली दिनो से छात्र जीवन के जोश के अतिरेक वाले दिन हों या सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्र में सक्रियता वाले समय अथवा व्यावसायिक उत्तरदायित्व निभाने का समय ही क्यों ना हो वक्त के हर दौर में हर साल अपनी उपज को मंडी में बेंचने के लिए लाना अपने आप में एक संघर्ष रहा है।3/7