@ReallySwara जैसी स्त्रियों की सोच ही असली चुनौती है
-कम्युनिस्टों के इतने बुरे दिन चल रहे हैं कि उनका बौद्धिक नेतृत्व आजकल@ReallySwara के हाथों में हैं
-और स्वरा भास्कर का कहना है कि वो हिंदू हैं और उनकी आस्था को तांडव फिल्म से कोई ठेस नहीं पहुँचती है
-भारत के तमाम कम्युनिस्टों
ने इस उद्घोष को खूब बढ़ा चढ़ा कर पेश भी किया Twitter पर स्वरा हिंदुत्व के विरोध का चेहरा बन चुकी है
- हिंदू धर्म पर इस तरह की सार्वजनिक टिप्पणियाँ और भी ज्यादा निर्लज्ज है । इन निर्लज्ज टिप्पणियों का जवाब इस तरह भी दिया जा सकता है कि सोनू पंजाब वेश्यावृत्ति का धंधा करती है, पुलिस
उसे बार-बार पकड़ती है और वो जब भी छूटती है दोबारा अपने धंधे में लग जाती है क्योंकि उसकी आस्था को भी कभी कोई ठेस नहीं पहुँचती है (कॉमरेड नाराज मत होना। वेश्या भी गरीब और मज़लूम होती है मार्क्स के नज़रिये से सोचना फिर बुरा नहीं लगेगा तुमको)
-स्वरा भास्कर की तुलना अगर सोनू पंजाबन से
कर दी जाए तो स्वरा और उसके समर्थकों को झटका लगेगा क्योंकि स्वरा की आस्था सिर्फ अपने ही प्रति है । ऐसे आत्ममुग्ध और आत्मकेंद्रित लोगों की हर आस्था खुद पर आकर ही खत्म हो जाती है । और वैसे भी उन्हें देश और धर्म से कोई मतलब नहीं रहता है
-स्वरा खुद को हिंदू मानती है लेकिन स्वरा में
स्त्रियोचित गुण भी नहीं हैं । स्वरा पुरुष मन वाली स्त्री है ।और वो पुरुषों की बनाई हुई भोग विलास अय्याशी वाली दुनिया की स्वप्न सुंदरी बनने का ही ख्वाब देखती है या पैसों के लिए वैसा ही बन जाना उसकी मजबूरी है।वो भले ही खुद को स्त्रीवादी कहे लेकिन असलियत में वो पुरुषों के बनाये हुए
सिस्टम की कठपुतली है जो पुरुषों के आनंद के लिए ही बनी हुई है।और ये निर्माण भी उसने खुद ही किया है।इसमें किसी हिंदू संगठन का कोई योगदान नहीं है
-अगर हम भारत का इतिहास उठाकर देखें तो ऐसे असंख्य पुरुष मिल जाएंगे जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं के दरबारों में हाज़िरी लगाई और उनकी आस्था
को कभी कोई ठेस नहीं पहुँची। वो भी हिंदू ही थे।इसलिए हिंदू होना कोई प्रश्न ही नहीं है।
-लेकिन ऐसी कोई स्त्री शायद इतिहास में नजर नहीं आती है जिसने विदेशी आक्रांताओं के सामने सरेंडर किया हो या फिर अपना सिर झुकाया हो।स्त्री होने की वजह से बलात् हरम में धकेले जाना दूसरी बात है
-लेकिन
अब समय बदल गया है,कम्युनिस्ट और सेकुलर शिक्षा पद्धति की वजह से स्वरा ही नहीं उसके जैसी हजारों लड़कियों ने जिहादी और कम्युनिस्ट विचारधारा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।अपना सिर झुका चुकी है और सरेंडर कर दी है
-इतिहास गवाह है,स्त्रियों ने पुरुषों को विदेशियों से संघर्ष करने की
प्रेरणा दी।वीर माताओं ने ऐसे वीर पुत्रों को जन्म दिया जिन्होंने ग़ुलामी की ज़ंजीरों को तोड़ दिया।स्वराज का स्वप्न भी बंधन में रहने वाली स्त्रियों के मन में ही फूटा।लेकिन मैं उन महान स्त्रियों का नाम स्वरा भास्कर पर लिखे गए लेख में लेना भी उनका अपमान समझती हूँ। इसलिए संकेत ही
पर्याप्त है।
- कुल मिलाकर,जिस स्वरा भास्कर के उठाए गए सवालों पर लोग चुटकी लेते हैं,फब्तियां कसते हैं,वास्तव में उसकी जैसी स्त्रियाँ ही हिंदुत्व, देश धर्म और सनातन संस्कृति के सामने असली चुनौती हैं।
अगर बंगाल को जिहादियों से बचा लो तो यही नेता जी सुभाष चंद्र बोस को असली श्रद्धांजलि होगी
-हर साल फूल मालाएँ अर्पण करने से महापुरुषों के प्रति श्रद्धा प्रकट नहीं होती है ।महापुरुषों को असली श्रद्धांजलि है महापुरुषों को आदर्श मानकर उनके बताए रास्तों पर चलना
-23 जनवरी को सुभाष चंद्र
बोस की 125वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है । सरकार ने इस विशेष दिन को अब पराक्रम दिवस घोषित कर दिया है । लेकिन सत्य ये है कि भारत माँ की छाती पर जिहादी और कम्युनिस्ट पराक्रम दिखा रहे हैं और भारत माँ के बेटे सोए हुए हैं
- आज से 125 साल पहले जब सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था तब पूरा
बंगाल एक था।उसमें ढाका भी था और कोलकाता भी था।लेकिन आज जब हम नेता जी के जन्म की 125वीं जयंती मना रहे हैं तो आधे से ज्यादा बंगाल,पहले पूर्वी पाकिस्तान और फिर बांग्लादेश के रूप में जिहाद के मुंह में समा चुका है और अब मर्मता बानो के राज में बाकी बचा हुआ बंगाल भी धीरे धीरे जिहादी काल
कुछ बंधु किसान बिलों पर सरकार के latest offer (18 महीने के लिए स्थगन) पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं लेकिन मेरे कुछ प्रश्न एवं टिप्पणियां
१. इतने दिनों में बिल समर्थक किसान सड़कों पर क्यों नहीं उतरे ?
२.विपक्षी दल पूरी तरह इस मुद्दे पर मोदीजी को घेरने की तैयारी कर चुके हैं।अगर कुछ
"किसान" पुलिस की कार्यवाही में "शहीद" हो जायें तो पूरे देश में सरकार को किसान विरोधी सिद्ध कर देंगे ये अपने मीडिया बंधुओं के साथ... तब सब सरकार की आलोचना में व्यस्त हो जायेंगे।
३. राष्ट्रवादियों को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि पंजाब के चुनाव सिर पर हैं और चीन- पाकिस्तान खालिस्तानी
sentiments को भड़काने में लगा हुआ है। पंजाब भी कश्मीर , बंगाल और northeast जितना ही sensitive हो गया है.. 😟
४. हरियाणा की सरकार भी खतरे में है।अब भाजपा को हरियाणा और पंजाब में खुद को मजबूत करना है।कृषि सुधार तो हो ही जायेंगे.. एक साल और देर सही।लेकिन माहौल तो बन ही चुका है और
कोलकाता क्यों मुम्बई से पीछे रह गया जबकि ब्रिटिश काल में दोनों की महत्ता समान थी ?
श्री कमल पदम ने इसका उत्तर कोरा साइट पर दिया है।
मैं कोलकाता में उन दिनों पैदा हुआ जब मुंबई को कोलकाता के समक्ष पिछड़ा हुआ शहर माना जाता था। कोलकाता में तब भारत की टॉप 5 कंपनियों ,
में से तीन बिड़ला, जेके, थापर के मुख्यालय थे। टाटा मुम्बई से कोलकाता शिफ्ट होने वाले थे, इसके लिए टावर भी बना लिया था।
कोलकाता लगभग सभी बहुद्देशीय कंपनियों का मुख्यालय था। भारत के सभी एयरपोर्ट को मिलाकर भी सबसे अधिक उड़ानें कोलकाता से संचालित होती थीं।
कोलकाता
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का केंद्र था और साथ ही विभिन्न संस्कृतियों का भी। ये बौद्धिकों, कलाकारों, फ़िल्म जगत से जुड़े लोगों का पसंदीदा स्थान था।
लेकिन पश्चिम बंगाल एक विस्फोट के मुहाने पर बैठा था। राज्य सरकार ने इसी समय कृषि क्षेत्र में भूमि सुधार का काम छोड़ दिया।
(1) -"इस्लाम धर्म नहीं एक मानसिक रोग है" - शी जिनपिंग (चीनी राष्ट्रपति)
(2) - "इस्लाम एक आदमी में उतना ही खतरनाक है जितना एक कुत्ते में रैबीज़" - विंस्टन चर्चिल (भूतपूर्व प्रधानमंत्री - इंग्लैंड)
(3) - "99 % मुसलमान सोच से
कट्टर आतंकवादी ही होते हैं चाहे वह भाईचारे का कितना ही दिखावा करें" - सलमान रुश्दी ।
(4) - "आतंकवादी कुरआन का गलत अर्थ नहीं निकाल रहे, जो लोग मानते हैं कि कोई भी धर्म गलत नहीं सिखाता उन्होंने कुरआन कभी पढी ही नहीं, कुरआन ही आतंकवाद की जड़ है" - तसलीमा नसरीन
(5) - "इस्लामिक आतंकवादी मरीज हैं और कुरआन इस बीमारी की जड़ है इसलिये कुरान पर ही प्रतिबंध लगाना होगा" - डॉ. वफा सुल्तान ।
(6) - "जब तक यह पुस्तक कुरआन है दुनिया में कोई शांति नहीं होगी" - विलियम ग्लैडस्टोन (भूतपूर्व प्रधानमंत्री - ब्रिटेन) ।
इन्दिरा गांधी के दौर में कांग्रेस का एक रटा रटाया जुमला था विदेशी हाथ।
अब समझ में आया कि कांग्रेसी कैसे कैसे हथकण्डे अपनाकर मालामाल होते रहे हैं।
पिछले 20 वर्षों से हम आयात की हुई दालें ही खा रहे हैं।
जिसमें मोदी जी ने 2 वर्ष पहले कटौती की है ।और अब कोरोना के चलते तो आयात
एकदम बंद कर दिया है। इसी के लिए तो अब यह रुदाली है,किसान आंदोलन तो सिर्फ बहाना है।
मनमोहन सरकार ने 2005 में अपनी एक गुप्त संधिनुसार भारत में दाल की उपज पर सब्सिडी बंद कर दी थी।उसके दो वर्षों उपरांत ही एक नयी सरकारी नीति बनाई और नयी संधियाँ की गयी, जिसमें तय हुआ कि भारत ,
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व नीदरलैंड से दालें आयात करेगा।
2005 में कनाडा ने अपने यहाँ बड़ी बड़ी दाल उगाने की फार्म खोली ,जिनमें अधिकतर पंजाबी सिखों को ही रखा गया।
उनके संगठनों को पहले गुरुद्वारा फिर खालिस्तानियों को मैनेजर बना सक्षम किया गया।
तो 2007 में कनाडा में दालों की इतनी उपज
इसका जवाब एक जानकार राजनैतिक वैद्य ने बड़ा सुंदर समझाया, आयुर्वेद और मेडिकल सांईस में शहद को अमृत के समान माना गया हैं।
लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि शहद को अगर कुत्ता चाट ले तो वह मर जाता हैं।यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह शहद कुत्तों के लिये जहर है
शुद्ध
देशी गाय के घी को आयुर्वेद और मेडिकल सांईस औषधीय गुणों का भंडार मानता हैं।
मगर आश्चर्य, गंदगी से प्रसन्न रहने वाली मक्खी कभी शुद्ध देशी घी को नहीं खा सकती।
गलती से अगर मक्खी देशी घी पर बैठ कर चख भी ले तो वो तुरंत तड़प तड़प कर वहीं मर जाती है।
आर्युवेद में मिश्री को भी औषधीय और
श्रेष्ठ मिष्ठान्न माना गया हैं।
लेकिन आश्चर्य, अगर गधे को एक डली मिश्री खिला दी जाए, तो कुछ समय में उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे।
यह अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान, मिश्री गधा कभी नहीं खा सकता हैं।
नीम के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई निम्बोली में कई रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं।