इन्दिरा गांधी के दौर में कांग्रेस का एक रटा रटाया जुमला था विदेशी हाथ।
अब समझ में आया कि कांग्रेसी कैसे कैसे हथकण्डे अपनाकर मालामाल होते रहे हैं।
पिछले 20 वर्षों से हम आयात की हुई दालें ही खा रहे हैं।
जिसमें मोदी जी ने 2 वर्ष पहले कटौती की है ।और अब कोरोना के चलते तो आयात
एकदम बंद कर दिया है। इसी के लिए तो अब यह रुदाली है,किसान आंदोलन तो सिर्फ बहाना है।
मनमोहन सरकार ने 2005 में अपनी एक गुप्त संधिनुसार भारत में दाल की उपज पर सब्सिडी बंद कर दी थी।उसके दो वर्षों उपरांत ही एक नयी सरकारी नीति बनाई और नयी संधियाँ की गयी, जिसमें तय हुआ कि भारत ,
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व नीदरलैंड से दालें आयात करेगा।
2005 में कनाडा ने अपने यहाँ बड़ी बड़ी दाल उगाने की फार्म खोली ,जिनमें अधिकतर पंजाबी सिखों को ही रखा गया।
उनके संगठनों को पहले गुरुद्वारा फिर खालिस्तानियों को मैनेजर बना सक्षम किया गया।
तो 2007 में कनाडा में दालों की इतनी उपज
हुई कि वहां इसे पीली(Yellow) क्रांति नाम दिया गया।क्यूंकि उनके ग्राहक तो भारत की मंडियों के एजेंट थे,
जिनमें कुछ कांग्रेसी-पंजाबी परिवार, महाराजा पटियाला परिवार व बादल परिवार भी आता है।
आज मोदी की कृषि नीति ने इन सब दलालों की आय पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है।
अब यदि भारत उनकी
मार्केट नहीं रहती तो इतना धन जो कनाडा व अन्य देशों ने अपने देशों में इन फार्म्स पर लगाया है, वह ही व्यर्थ नहीं होगा बल्कि उनके यहां बेरोज़गारी बढेगी और इतनी बड़ी भारत की मार्कीट उनके हाथ से निकल जाने से आर्थिक नुकसान तो होगा ही।
इस पूरे घोटाले में कांग्रेस सबसे बड़ी दलाल है।
मोदी जी इनके एक एक घोटाले का पर्दाफाश करके, नेस्तानाबूद कर रहे हैं। इनकी काली आय के हर दरवाजे को बंद कर रहे हैं।
यह हाय तौबा इसी को तो लेकर है।
इसलिये तो कनाडा भी बिलबिलाया हुआ है।अपनी संसद में इस पर बहस करता है ,और अपने वहां के खालिस्तानी गुर्गों को भारत भेजकर भाजपा को धमका रहा
है,और खालिस्तानी तो हैं ही कांग्रेस की सृजनता और पाकिस्तान के चहेते।
गृहमंत्री भी अभी इन्हें इसलिय नहीं उठवाना चाहते, क्योंकि अभी तक कांग्रेस व अन्यों का पूरा पर्दाफाश नहीं हुआ है।
अभी तो खेल शुरू हुआ है, इन सांपों की ठोडी को पत्थर पर रगड़ रगड़ कर मारना शुरू हो चुका है।
अकालियों,
कांग्रेसियों,आपापियों व टिकेत का पाला बदल का कारण यही है,
वरना जो कल तक यही मांग कर रहे थे,आज मोदी सरकार ने वह मांग पूरी कर दी तो भी विरोध?
असल में वह नूरा कुश्ती थी और यह नाटक जिसके पीछे है-
विदेशी हाथ।😡 @ekhivillain@om_mahima@Real_swatantra@JyotiReal_1@PistolPandey
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इसका जवाब एक जानकार राजनैतिक वैद्य ने बड़ा सुंदर समझाया, आयुर्वेद और मेडिकल सांईस में शहद को अमृत के समान माना गया हैं।
लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि शहद को अगर कुत्ता चाट ले तो वह मर जाता हैं।यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह शहद कुत्तों के लिये जहर है
शुद्ध
देशी गाय के घी को आयुर्वेद और मेडिकल सांईस औषधीय गुणों का भंडार मानता हैं।
मगर आश्चर्य, गंदगी से प्रसन्न रहने वाली मक्खी कभी शुद्ध देशी घी को नहीं खा सकती।
गलती से अगर मक्खी देशी घी पर बैठ कर चख भी ले तो वो तुरंत तड़प तड़प कर वहीं मर जाती है।
आर्युवेद में मिश्री को भी औषधीय और
श्रेष्ठ मिष्ठान्न माना गया हैं।
लेकिन आश्चर्य, अगर गधे को एक डली मिश्री खिला दी जाए, तो कुछ समय में उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे।
यह अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान, मिश्री गधा कभी नहीं खा सकता हैं।
नीम के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई निम्बोली में कई रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं।
1945 में बेगमाबाद का नाम बदलकर मोदीनगर किया गया था, पूरे देश से लोग अपनी रोटी की तलाश में मोदीनगर की मोदी मिल्स में नौकरी करने आते थे !
उद्योगपति श्री गुर्जर मल मोदी का वह साम्राज्य था.मोदी पोन, मोदी टायर, मोदी कपड़ा मिल, मोदी
वनस्पति, मोदी चीनी मिल... और फिर मोदी हॉस्पिटल, मोदी धर्मशाला, मोदी कॉलेज, मोदी ये. मोदी वो.
फिर एक दिन लाल झंडे वाले वहाँ आए, वैसे ही जैसे पंजाब के किसानों के साथ आजकल नज़र आते हैं.उन्होंने मजदूरों को समझाया कि कैसे वर्ग संघर्ष में मिल मालिक, तुम मजदूरों का शोषण करता है ! तो
चाहे मोदी उन्हें मंदिर, कॉलेज, अस्पताल, घर, विवाह के लिए भवन, यहां तक की घर की पुताई के पैसे तक दे रहा हो, लेकिन असल में वो उनका शोषण कर रहा है !
और फिर शुरू हुई क्रांति.बताया जाता है कि एक बार जब मोदी साहब की पत्नी मंदिर गईं, तो मजदूर नेताओं ने कपड़े उतारकर उनके सामने नग्न-
सउदी अरब के एक प्रोफेसर का कथन है कि- भारत स्वयं टूट रहा है, वहाँ इस्लाम तेज गति से बढ़ रहा है और हर वर्ष हजारों मुसलमान पुलिस, सेना और राज्य शासन व्यवस्था में आ रहे हैं और भारत में इस्लाम का विस्तार हो रहा है I
आज भारत विध्वंस के कगार पर है। जिस प्रकार किसी राष्ट्र को
उठ कर बनने में कई वर्ष लगते हैं, उसी प्रकार उसके ध्वंस होने में भी वक्त लगता हैं I
भारत एकदम रातों रात समाप्त नहीं होगा। इसे धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा। हम मुस्लिम उस पर बहुत गंभीरता से काम कर रहे हैं पूरे विश्व में निश्चय ही भारत नष्ट कर दिया जाएगा I
भारत के हिन्दुओं की
स्थिति जल्द ही इराक के यजीदियों की भांति हो जाएगी। जो इस्लाम से सैकड़ों साल पहले से इराक में रहते थे,और मुस्लिम बढ़ने से आज अपने ही देश में प्रताड़ित हैं। या ईरान के पारसियों की तरह जिनका इस्लाम आने पर वहां समूल नाश कर दिया गया।
ये इस्लामी मुल्क स्टाइल धरना प्रदर्शन है !
और मोदी को मिले बहुमत का दादागीरी से दमन है
जब से हिंदुत्ववादियों की सरकार सत्ता में आई है धरना प्रदर्शन का एक नया ट्रेंड देखने को मिला है
ये ट्रेंड है. धरना लंबा खींचो। सड़कों को जाम करो.लोगों को परेशान करो और सरकार पर लाठीचार्ज या
गोलियां बरसाने का दबाव डालो
ये ट्रेंड पूरा इस्लामी मुल्कों और मिडिल ईस्ट के देशों से इम्पोर्ट (आयातित) किया गया है
इसकी शुरुआत हुई थी तहरीर चौक से। तहरीर चौक के बाद पूरे मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के मुस्लिम देशों में जैस्मिन रिवॉल्यूशन हुआ और बड़े बड़े तानाशाहों की सत्ता उखड़ गई
इसके बाद तहरीर चौक टाइप का प्रोटेस्ट पाकिस्तान के नेताओं ने भी इंपोर्ट कर लिया
पाकिस्तान में भी बार-बार इस तरह के धरना प्रदर्शन होते हैं जब एक एक महीने के लिए पार्टियों के नेता इस्लामाबाद घेरकर बैठ जाते हैं
भारत में भी शाहीनबाग में तहरीर चौक से ही प्रेरणा ली गई थी
विरोध
सनातनी भाई बहनों, आप जानते हो मुस्लिम सलवार क्यों पहनते है?
कुर्ते के साथ पायजामा पहना जाता है लेकिन पठानी कुर्ते और सलवार की जोड़ी क्यों है, हिन्दू वीरों की ये गौरव गाथा जानिए
मेरे सनातनी भाई बहनों
मुस्लिमों के रोज रोज के झगड़ों और औरतों व् बच्चों पर अत्याचारों से परेशान
होकर महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति हरी सिंह नलवा ने उनको उनकी औकात बताने के लिये अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया।
मुस्लिमों को गाजरमूली की तरह काटा और अफगानिस्तान पर अधिकार कर लिया।
हजारों मुस्लिमों को बंदी बनाकर एक बाड़े में रोक दिया कि कल इन सबको काट देंगे ताकि फिर ना रहेगा
बांस ना बजेगी बांसुरी।
उनकी बीवियां आकर रोने लगीं, उनकी जान बख्शने की विनती करने लगी, हिन्दू धर्म का वास्ता देने लगी।
आखिर नारी जाति को रोते देख हरी सिंह नलवा जी का हृदय पसीज गया और उन्होंने कहा कि ठीक है कल आप बाड़े के सामने एक एक सलवार ले कर पहुँच जाना, जिसका पति सलवार
बहुत ही ज्वलंत और चिंताजनक मुद्दा है यह क्या आप जानते है? भारत में सबसे बड़ा कॉर्पोरेट कौन है?🙄🤔
टाटा ? नहीं।
अम्बानी ? नहीं।
अदानी ? नहीं।
चौंकिए मत और आगे पढ़िए।
3,00,000 लाख करोड़ सम्पति वाला कोई और नहीं यह है , The_Syro_Malabar_Church_केरल।
इसका
10000 से ज्यादा संस्थानों पर कण्ट्रोल है और इसकी अन्य बहुत सी सहायक ऑर्गेनाइजेशन्स भी हैं।
मेरी समझ में यह एक ऐसा छद्म बिज़नेस ऑर्गेनाइजेशन है, जो सम्पत्ति के मामले में भारत में टाटा, अम्बानी आदि का मुकाबला करने में सक्षम है। ये सारे औद्योगिक घराने इसके आसपास भी नहीं हैं।
यकीन नहीं हो रहा है ना ,?
तो ठीक है,ये आंकडे देखिए।
इनके अधीन
👉9000 प्रीस्ट
👉37000 नन
👉50 लाख चर्च मेम्बर
👉34 Dioceses
👉3763 चर्च
👉71 पादरी शिक्षा संस्थान
👉4860 शिक्षा संस्थान
👉2614 हॉस्पिटल्स और क्लिनिक
👉77 ईसाई शिक्षा संस्थान