केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव है। स्थगित हो चुके कृषि क़ानूनों को दो साल तक सिर्फ़ बिहार में सख़्ती से लागू किया जाए। विरोध करने वालों की हड्डियाँ चटका दी जाएँ। दो साल बाद जब बाक़ी किसान देखेंगे कि बिहार के किसान मालामाल हो गए हैं तो वे क़ानून को खुद ही लागू कर लेंगे!
ठीक है?
बिहार की खेती को दो साल के लिए अडाणी भाई और अंबानी भाई को सौंप दिया जाए। सरकार उनके लिए लठैत की भूमिका निभाए। नए क़ानून के तहत कॉरपोरेट घराने दो साल में बिहार के किसानों को मालामाल करके दिखाएं। बाक़ी देश का किसान तो अपने आप राज़ी हो जाएगा।
बिहार का किसान देश में सबसे गरीब है। उसे ठोक-पीटकर अमीर बनाने का इससे अच्छा मौक़ा नहीं मिलेगा। किसान क़ानून के माध्यम से उन्हें ज़बर्दस्ती अमीर बनाया जाए। अडानी और अंबानी ये कर सकते हैं। सरकार डंडे की ताक़त से बिहारियों को अमीर बनाए।
बिहार के किसानों को यूँ भी 2006 से इन क़ानूनों की आदत है। नीतीश जी की उनपर कृपा रही है। वे काफ़ी मालामाल हो चुके हैं। बाक़ी काम ये तीन क़ानून कर देंगे। सब तरफ़ ख़ुशहाली छा जाएगी। पंजाब-हरियाणा के किसान बिहार के खेतों में मज़दूरी करेंगे और मनीऑर्डर से पैसा अपने घर भेजेंगे।
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