हर परिवार से 1 आदमी किसान आंदोलन में चलो’ – पंजाब की पंचायतों का तुगल की फरमान, नहीं तो ₹2100 जुर्माना*
दिल्ली और आस-पास के कई राज्यों में चल रहे ‘किसान आंदोलन’ के रविवार (जनवरी 31, 2021) को 4 महीने पूरे हो गए हैं। इसके बावजूद इसमें और ईंधन झोंकने की कवायद जारी है।
पंजाब में अब पंचायतों ने फरमान जारी करना शुरू कर दिया है। कई पंचायतें अपने-अपने गाँव के प्रत्येक परिवारों को कम से कम एक सदस्य आंदोलन में दिल्ली भेजने का फरमान सुना रही है। पंजाब में ऐसी कई पंचायतें हैं।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि ऐसे फरमान पंचायतों के आधिकारिक लेटर हेड पर
जारी किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस परिवार का कोई सदस्य दिल्ली में चल रहे ‘किसान आंदोलन’ में नहीं गया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इससे पहले किसान एक्टिविस्ट्स को टास्क सौंपा गया था कि वो भीड़ जुटाएँ और लोगों को दिल्ली लेकर जाएँ। ”
पंजाब में अक्टूबर 1, 2020 को ऐसे प्रदर्शन शुरू हुए थे।
तब रेलवे ट्रैक्टर्स, टोल प्लाजा और मॉल्स जैसे कारोबारी स्थलों को निशाना बनाया गया था। कुछ भाजपा नेताओं और कारोबारियों के आवासों तक को भी नहीं बख्शा गया था। अब स्थिति ये है कि पूरे पंजाब में लगभग 80 ऐसे स्थल हैं,
जहाँ आंदोलन चल रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर तो ये जारी है ही। मालवा में 5 पंचायतों ने ऐसा फरमान जारी किया। प्रस्ताव पारित कर के सभी परिवारों को आदेश सुनाया गया।
भठिंडा जिले के करारवाला गाँव के सरपंच अवतार सिंह ने कहा कि पूरे गाँव ने आश्वासन दिया है कि वो इस अभियान में उनका
समर्थन करेंगे। पंचायत ने यहाँ फरमान सुनाया है कि अगर आदेश का उल्लंघन किया जाता है तो 2100 रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा। फरीदकोट के कोटकपूरा स्थित सिवियन गाँव के सरपंच करनैल सिंह ने कहा कि जिस परिवार का व्यक्ति दिल्ली आंदोलन में नहीं जाएगा, उसे जुर्माना भरना पड़ेगा।
बरनाला जिले के ठीकरीवाल गाँव में भी ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया। ये गाँव स्वतंत्रता सेनानी सेवा सिंह ठीकरीवाल के लिए जाना जाता है। इस पंचायत ने भी निर्णय लिया है कि गाँव से 25 लोगों का जत्था नियमित रूप से दिल्ली जाता रहेगा। मनसा के बुढलाडा स्थित बारे गाँव और भठिंडा के नाथेला
गाँव ने भी इसी तरह का निर्णय लिया। दिल्ली में प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ाने के लिए ऐसे ही तरीके आजमाए जा रहे हैं।
हिंसा के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी सामने आई थी। जिसमें तथाकथित किसानों की एक ट्रॉली विदेशी दारू और उसके साथ खाने-पीने के अन्य समानों से भरी देखी गई थी
वहीं जब पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर ही लाठी और पत्थरों से हमला बोल दिया। किसान को कहते हुए सुना जा सकता है, “हम तो आ गए थे घूमने। मज़ा आ रहा है पूरा। यहीं खाना, यहीं पीना, यहीं रहना है
इतिहास लिखने वालों को बुराई सिर्फ हिन्दू धर्म में ही नजर आई ,
वर्ना बुर्का, तीन तलाक और हलाला,मुतहा निकाह तो उनकी मां बहनों के पसंदीदा शौक थे😜😂
गरीब किसान टिकैत करोडो ₹ का मालिक है !! अगर बिल वापस न हुआ तो बेचारा शाम की रोटी का जुगाड़ भी न होगा इनका
मोदी आए तब पता चला कि - हामिद अंसारी, नसीरूद्दीन शाह ,जावेद अख्तर और सैफ अली खान भी गजवा-ए-हिन्द में ही लगे हुए हैं..!
अर्ज़ किया है 70 साल में तबाह होकर भी तबाही नहीं दिखती ये चमचागिरी है जनाब इसकी दवाई नहीं बिकती |
पहले निशाने पर टाटा बिड़ला हुआ करते थे अब अडानी अंबानी हैं!!
पर राहुल बजाज शुरू से दूध के धुले हैं क्योंकि दादा जो थे उनके.. ग्रैंडफादर, वो कांग्रेसी थे!
चमचे सर्जिकल स्ट्राइक पर मेजर बन गए थे
GST पर CA बने हुए थे,
कृषि बिल के टाइम कृषि विशेषज्ञ थे
अब बजट के अर्थशास्त्री बने है
मान्य मला की आपली संस्कृती आहे की पुरुषाने शिखा तसेच कपाळी तिलक लावलाच पाहिजे
मी मंदिरात गेलो की हमखास तिलक लावतोच
शिखा तर RSS शाखेत जायच्या अगोदरपासून म्हणजे किमान 40 वर्षे आहे
भले मी माझ्या घरात अल्पसंख्य आहे
पण कुंकू लावण्याची सक्ती आहे
मुलगी टिकली लावते तर बायको कुंकू
लावते.
बायकोचे आणि मुलीचे कपाळ मोकळे दिसले की
(केव्हातरी चुकून दिसते म्हणा)मस्तकच फिरते.
मग ताबडतोब वाक्य निघते धर्म बदललायस काय?
जे पटत नाही ते नाही चालवून घेणार
कोण काहीही म्हणो
आणि मुलं तरी कुठे टिळा लावून बाहेर पडतात
हे बोलून आपल्या चुकीच्या वागण्याचे किंवा चुकीच्या धर्माचरणाचे समर्थन करण्याचा कसा काय विवेक
आपण स्वतः आधी पहिले योग्य आहोत काय ते आपण चेक करणे
ही मी टिळा लावून बाहेर माझ्या जॉबवर येऊ शकत नाही कारण माझे काम च असे आहे की तिथे घामाने चिंब
देश को बचाने की क़ीमत क्या होती है ? ये कोई दिल्ली पुलिस से पूछे !
- सिपाही अपने कमांडर के आदेश पर अपनी जान दांव पर लगा देता है... और सबसे दर्दनाक स्थिति तब होती है जब कमांडर उससे बोलता है कि तुम्हें हाथ नहीं उठाना है और दुश्मन के वार को सिर्फ झेलते रहना है
दिल्ली में यही हुआ... एक तरफ जब उपद्रवी दिल्ली में तलवारें लहरा रहे थे... पुलिस वालों पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश कर रहे थे... उस वक्त भी दिल्ली पुलिस ने अपार संयम का परिचय दिया और न्यूनतम बल प्रयोग किया
दिल्ली पुलिस ने एक भी गोली नहीं चलाई...अगर किसी सिख को एक भी गोली लग
गई होती तो पाकिस्तान और खालिस्तान का एजेंडा पूरा हो गया होता... लेकिन इस एजेंडे को असफल करने के लिए दिल्ली पुलिस के करीब 400 जवानों ने अपनी जान प्लेट में सजा दी... आज दिल्ली पुलिस के करीब 400 जवान जख्मी हैं और कई जवानों की लाल किले की खाई में गिरने से कमर भी टूट गई है।
बरंच उतरवायची अजूनही बाकी आहे अभि
ही पिवळी b ग्रेडी पिलावळ
स्वराज्याचे सरसेनापती प्रतापराव गुजर ह्यांना बलात्कारी म्हणते
ज्या गुजरांच्या अखंड घराण्याने छत्रपतींच्या घराण्यासाठी आपले घराणे पणाला लावले
औरंग्या ने जेव्हा महाराणी येसूबाई व शंभूपुत्र शाहू ह्यांस कैदेत टाकले त्यावेळी
प्रतापराव गुजर ह्यांचेही भाऊ कैदेत होते
औरंग्याने काही काळाने शाहू ला मुस्लिम बनवण्याचे फर्मान काढले तेव्हा ह्या प्रतापरावांच्या भावाने शाहू च्या बदल्यात स्वतः मुस्लिम झाला व शाहू ला होऊ दिले नाही
हे पिवळी माकडं असंही म्हणतात की
पहिले बाजीराव पेशवे हे बाळाजी विश्वनाथ चे पुत्र
नव्हते तर ते
सरसेनापती धनाजी जाधव ह्यांच्या अनौरस संबंधाने आणि बाळाजी विश्वनाथ ह्यांच्या पत्नी ला झालेला पुत्र होता. म्हणून तो पराक्रमी होता
काय पण लॉजिक लावतात
पण हे लॉजिक लावताना आपोआपच मान्य केले जाते की पहिले बाजीराव हे अजेय अपराजित योद्धा होते
पण ही असली लॉजिक लावताना ही
हेच ते बेणं आहे
ह्याचीच कहाणी बाहेर सर्वमान्य करून घेतलेली आहे म्हणजे गेल्या 70 वर्षात सरकार तर्फे अब्जावधी रुपये खर्च करून पसरवलेला सर्वात मोठा फेक नेरेटिव्ह की
"दे दी हमे आजादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के संत(हैवान) तू ने कर दिया कमाल"
हैवान हा शब्द मी टाकलाय
मी स्वप्नात ही हे गाणे म्हणून ह्याला संत उपाधी देऊच शकत नाही
आणि हाच फेक नेरेटिव्ह सेलेबल झाला व अजूनही आहे
ज्यांच्या हाती सत्तेच्या चाव्या असणारी आजवरची ब्युरोक्रसी बऱ्याच प्रमाणात बाहेर सेटल झाली
व त्यांनी ह्या आजवरच्या सरकारात मोठी भूमिका अदा केलेली आहे हा फेक नेरेटिव्ह सेलेबल
बनवण्यात
त्यात भारताची प्रतिमा उजळली ?
छे ! उजळली असेल तरीही ती आभासी होती हे आता हळूहळू सिद्ध होऊ लागतेय
हे सर्व 1 दम नाही होणारेय ,ह्याला ही वेळ हा लागणारच
जसजसा भारत स्वयंपूर्णतेच्या मार्गावर अग्रेसर होईल
तसतसे हे फेक नेरेटिव्ह धराशाई होताना आपण आपल्याच पिढीत बघू
माझ्या चांगले लक्षात आहे 7 वी ला असताना मी ग्रंथालयातून "गांधीहत्या आणि मी" हे पुस्तक वाचायला आणले होते
ते पुस्तक वाचून नव्हे मनन करून परत द्यायला गेलो
रीतसर होते त्या स्थितीत परत ही दिले
शाळेतून आलो की रोज मी ग्रंथालयात जात असे तसा कडक दंडक होता घरात
तिथून आल्यावर RSS शाखा व नंतर परत घरी
काही दिवसांनी ते पुस्तक कुणीतरी घेऊन तिथेच निवांतपणे वाचत बसलेले होते.
मी ते पुस्तक बघितले माझे मस्तकच फिरले
त्या व्यक्ती ची जायची वाट बघत होतो ती व्यक्ती निघताना पुस्तक रॅक मध्ये ठेवून निघाली
मी ही तडक घरी आलो
तिथून येताना वध असे लिहिलेला कागद घेतला
व 4 5 भाताची शिते घेतली
परत येऊन रॅक मधील ते पुस्तक काढून हत्या च्या ठिकाणी "वध" हा शब्द चिकटवला
आता "गांधीवध आणि मी" असे नाव झाले होते
तो एकच दिवस होता ज्या दिवशी मला शाखेत जाता आले नव्हते
कारण हे कृत्य करायला वेळ व