अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि कृषि कानूनों के विरोध में जो लोग खड़े हैं उनका इस्तेमाल "Poetic Justice Foundation" जैसी संस्थाएँ कर रही हैं जो खालिस्तान के बारे में प्रचार करने वालों की खुली समर्थक हैं, एक क्षण रुक कर इसके दूरगामी परिणाम के बारे में सोचना आवश्यक है। #IndiaTogether
PJF जैसी संस्थाएँ हरकत में कब आती हैं? जब उनके निशाने पर जो देश होता है उसमें कमज़ोरी के लक्षण दिखने शुरू हो जाएँ। भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि से हर नागरिक का भावनात्मक जुड़ाव है। #IndiaAgainstPropaganda#IndiaTogether#India
कहने की ज़रुरत नहीं है कि हमारे कुछ किसान, भ्रमित ही क्यों न हों, जब इस प्रकार विरोध पर बैठें तो हमारी भावनाओं को ठेस पहुँचती है। #IndiaAgainstPropaganda#IndiaTogether#India
प्रधान मंत्री, कृषि मंत्री, केंद्रीय मंत्री मंडल, कृषि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री एवं अंतर्राष्ट्रीय कृषि संस्थाओं ने इन कानूनों के बारे में फैलाई गयी भ्रांतियों के निवारण के लिए आगे बढ़ कर अपना पक्ष रखा है। किसानों से खुले मन से बातचीत की गयी है। #IndiaAgainstPropaganda#India
हर बिंदु पर चर्चा के लिए आमंत्रण दिया गया है। यहाँ तक कि यह पेशकश भी दी गयी कि डेढ़ साल तक कानूनों को लागू नहीं किया जायेगा। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश भी मान्य नहीं समझे इन्होने। यह सभी को पता है कि विरोध पर बैठे किसान देश के हर किसान का प्रतिनिधित्व नहीं करते। #India
फिर भी आशा थी कि बातचीत के माध्यम से यह टकराव सुलझ जायेगा। लोकतंत्र में ऐसा ही होता है। परन्तु निश्चित रूप से देश के आंतरिक व बाहरी शत्रु लोकतंत्र में चल रही इस प्रक्रिया में अपना लाभ भुनाने से बाज नहीं आते। #IndiaAgainstPropaganda#IndiaTogether#IndiaStandsTogether#India
सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो PJF जैसी संस्थाएँ इस विरोध की आड़ में अपने ना'पाक' मंसूबों में जान फूँक रहे हैं। दोनों हाथों से धन लुटा कर ऐसे प्रभावशाली लोगों से भारतीय कृषकों के लिए समर्थन खरीद रहे हैं जिन्हें कृषि मसलों का लेशमात्र ज्ञान भी नहीं। #IndiaAgainstPropaganda
और समर्थन जुटा कर बीच में खालिस्तान की मांग को फुसफुसा देते हैं। अब ऐसे वीडियो भी सामने आ गए जहाँ ये डंके की चोट पर कह रहे हैं कि यदि कृषि कानून वापस भी ले लिए जाएँ, तब भी आंदोलन चलता रहेगा जब तक खालिस्तान नहीं बन जाता। #IndiaAgainstPropaganda#IndiaStandsTogether#IndiaTogether
मैं पूछता हूँ कौन सा खालिस्तान भाई?विभाजन के पूर्व पंजाब का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज के पाकिस्तान में है।कनाडा समेत कई देशों में सिखों की बहुत बड़ी संख्या है।तो खालिस्तान की सीमाएँ क्या होंगी?शायद आतंक के उस उत्पादक देश से पूछना सही रहेगा जहाँ इस ना'पाक' आंदोलन का सृजन हुआ था।
धर्म के आधार पर विभाजन का परिणाम हम देख ही चुके हैं। पंजाब में जाइये। वहाँ के लोगों से बात करिये जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी बहु-बेटियाँ, पिता-पुत्र-भाई खोये हैं। उन्हें आतंकवाद से एक साधारण भारतीय के मुकाबले कहीं अधिक घृणा है। सिख समुदाय भारत का एक अत्यंत आदरणीय समुदाय है।
जिन्होंने धर्म और अपने हमवतनों के लिए मुग़लों से लोहा लिया, अपने बेटों के शीश कटवा लिए और ऐसे पंथ की स्थापना की जो विश्व भर में सेवा और सद्भाव का पर्याय बन गया, क्या वे कभी खालिस्तान जैसी ना'पाक' मांग का समर्थन कर सकते हैं? #IndiaAgainstPropaganda#IndiaStandsTogether#India
जिस देश में PJF का वह सदस्य लोगों को उकसा रहा था, उसी देश के कई परिवारों ने 1985 में विमान धमाके में अपनों को खोया था जब खालिस्तान आंदोलन के आतंकियों ने एयर इंडिया के विमान को धमाके में उड़ा दिया था। #IndiaAgainstPropaganda#IndiaStandsTogether#IndiaTogether#India
मैं यहाँ विरोध में बैठे किसान संगठनों के नेताओं से कहना चाहूंगा की शायद अभी आप को PJF सुविधाजनक लग रहा है। बाद में आप की पहचान उन लोगों के रूप में होगी जिन्होंने हमारे महान लोकतंत्र में सेंध लगवा दी क्योंकि उस समय कुछ विदेशियों के ट्वीट और प्रचार आपके समर्थन में आ गए। #India
रट्टू तोते की तरह जो बिकाऊ लोग, जिन्हें इन मसलों की समझ नहीं है, वे अपने फ़ोन से एक वाक्य लिख रहे हैं, और इसका फायदा वह उठा रहे हैं जो हमारे देश को कमज़ोर देखने का जुनून पाले हुए हैं। ऐसे लोग स्वयं के स्वार्थ में काम कर रहे हैं, न कि किसान या देश के हित में। #IndiaStandsTogether
परन्तु जो ताकतें भारत के लोकतंत्र और उसकी शक्ति को हलके में ले रहीं हैं उन्हें मैं एक सन्देश देना चाहूंगा। पहले लोकतंत्र को समझिये। फिर भारत को। जिस चाय और योग को आप बदनाम करना चाहते हैं, वे विश्व भर के लोग अपने दिल में बसाये हुए हैं। वे बिकाऊ नहीं हैं। #IndiaAgainstPropaganda
किसी भी स्तर की साजिश और धन से यह प्रेम और आदर नहीं मिट सकता जो भारत ने अपने सद्कर्मों से कमाया है। हमारे देश में कुछ दीमक जैसे लोग हैं जो तब खुश होते हैं जब भारत का सर झुकता है। वे हारेंगे। लोग उन्हें पहचानते हैं। भारत एक है। हमेशा रहेगा। #IndiaAgainstPropaganda#IndiaTogether
Now that it is clear that the people protesting the #FarmBills have been misused like pawns by organisations such as ‘Poetic Justice Foundation,’ which are open supporters of Khalistan, we should step back and understand the true ramifications of this situation.
When do organisations such as PJF become active?
When they sense weakness in a country which is on their radar. India is an agrarian country. Agriculture has always been a sensitive issue, close to the heart of every Indian. #IndiaAgainstPropaganda#IndiaTogether#India
As the #NationalWarMemorial is inaugurated, it becomes important to put this in perspective. During my tenure as the army chief, I had written to the then PM on multiple occasions to give the soldiers their due & build the war memorial. (1/n)
Unfortunately, my requests fell on deaf ears & a helpless man offered little explanation to why we couldn’t build a memorial. Today @RahulGandhi & his party must explain why we could do something in 5 years, but, it couldn’t be done by the @INCIndia for decades (2/n)
Before some of you accuse me of politicking, please look at an article from 2013, where in an interview I had mentioned these issues with the UPA. bit.ly/2EeCCsz (3/n)
Someone shared this poem with me which has apparently been written by a boy in Ambala. Captures the true sentiment of courage, conviction & selflessness of the armed forces, please read:
We both left home at 18.
You cleared JEE,
I got recommended.
You got IIT,
I got NDA. (1/n)
You pursued your degree,
I had the toughest training.
Your day started at 7 and ended at 5,
Mine started at 4 till 9 and
Some nights also included.
You had your convocation ceremony,
I had my POP.
(2/n)
Best company took you and
Best package was awarded,
I was ordered to join my paltan
With 2 stars piped on my shoulders.
You got a job,
I got a way of life.
Every eve you got to see your family,
I just wished i got to see my parents soon. (3/n)