At Shaniwarwada, a historical fort in the city of #Pune. Built between 1730-1732 by Shrimant Baji Rao Peshwa, the surrounding fortification were constructed by his son Nanasaheb Peshwa. 1/6 #Peshwas#MarathaHistory #Shaniwarwada
It is said that the Shaniwarwada complex was seven storeys high. The fort was largely destroyed by a fire in 1828 which raged for seven days. 2/6 #Peshwas#MarathaHistory #Shaniwarwada
Now the heavy granite ramparts, the gateways and deep foundations and ruins of the buildings within the fort can be seen. 3/6 #Peshwas#MarathaHistory#Shaniwarwada
Shrimant Baji Rao Peshwa’s statue at the entrance of Shaniwarwada is the only statue of him in the whole of india made in modern times. 4/6 #Peshwas#MarathaHistory#Shaniwarwada
The magnificent Dilli Darwaza, the main gate of the fort, made of the typical basalt rock of the area. 5/6 #Peshwas#MarathaHistory #Shaniwarwada
14 जनवरी 1761 की सुबह। जैसे ही मराठा सेना अपने शिविर से बाहर निकली, अफ़गान सैन्य-संधि के खिलाफ 18वीं सदी के सबसे बड़े युद्ध का बिगुल बज उठा। सुबह 9 बजे अफ़गान राइट विंग और सेंटर ने मराठा स्क्वायर पर हमला किया। इब्राहिम ख़ान गार्दी का रोहिल्लाओं से सामना हुआ।
हर हर महादेव!.. 1/6
..भाऊ, विश्वासराव, पवार, जनकोजी और तुकोजी सिंधिया, विंचूरकर और गायकवाड़ अफ़गानों से भिड़ गए। ’हुजूरत’ अश्वारोही दल ’अफ़गान केंद्र’ से बाहर निकला। वज़ीर शाह वली ने अपने लोगों को डटे रहने का आग्रह किया। उसने कहा, “काबुल बड़ी दूर है! #HindviSwarajya .. 2/6
..दोपहर बाद,मराठा अब्दाली के शिविर के पास पहुंच चुके थे।उसने अपने ’हरम’ को तेज दौड़ने वाले ऊंटों पर बैठा कर भगवा दिया। फिर अपनी फौज़ तैयार की।भगोड़े सैनिकों को पकड़कर उसने आगे के मोर्चे पर झोंक दिया।मराठा आक्रमण अवरुद्ध हो गया..तभी एक गोली हाथी पर सवार विश्वासराव को जाकर लगी..3/6
Morning of 14 January 1761. As the Maratha army poured out of their camp the stage was set for the biggest confrontation of the 18th century against the Afghan alliance. At 9 am, the Maratha Square was attacked by the Afghan Rt wing and Centre. Ibrahim Khan Gardi faced the.. 1/6
..Rohillas.The Maratha Centre with Bhau, Vishwasrao, Pawar, Jankoji and Tukoji Scindia, Vinchurkar and Gaekwad clashed with the Afghans. The Huzurat cavalry broke thro' The Afghan Centre. Wazir Shah Wali urged his men not to flee. 'Kabul is far off!' he exclaimed. After noon..2/6
..the Marathas were close to Abdali's tent. He ordered his harem to get on fast camels in readiness to flee. Then he mobilised his army, brought back the soldiers who fled and threw them to the front. The Maratha attack stalled.. Then, a bullet hit Vishwasrao on his elephant..3/6
14 जानेवारी 1761 सकाळी मराठे छावणी मधून बाहेर पडले। अफगाण सैन्याने हल्ला केला. इब्राहिम गारदी व अबदालीच्या उजव्या फळी वरील रोहिले यात युद्ध सुरू झाले। सदाशिवराव भाऊ, विश्वासराव, जनकोजी शिंदे, पवार, गायकवाड, विंचूरकर यानी प्रतिहल्ला केला। तुंबळ युद्ध झाले। अफगाण मध्य फळी.. 1/6
..फोडून मराठे लोण्या मध्ये सुरी सारखी हुजूरात घुसली। वजीर शाहवली पायउतार झाला, आपल्या पळणार्या पठाण सैनिकांना 'काबूल खूप दूर आहे। कुठे चाललात?' सांगून थांबवू लागला। पिछाडीला अबदालीच्या तंबू जवळ मराठे येऊ लागले तसे त्याने आपल्या स्त्रियांना उंटावर पलायन च्या तयारीत बसवले... 2/6
..पुन्हा अफगाण सैन्यातून पळून आलेल्याना लढायला धाडले। दुपार झाली होती. तोच एक गोळी लागून विश्वासराव गतप्राण झाले। इब्राहिम खान जखमी झाला। भाऊ, जनकोजी व तुकोजी शिंदे, पवार, भापकर लढत होते। तुकोजी, पवार, भापकर व शेवटी भाऊ रणांगणावर लढत वीरगती मिळाली। जनकोजीना रोहिल्याने पकडले..3/6