शिवलिंग के पीछे छुपा हुआ वैज्ञानिक रहस्य.. The interesting and untold story of Shivlinga
What is Shiva Lingam? Story of Shivling
शिवलिंग का मतलब क्या होता है ..???
शिवलिंग किस चीज का प्रतिनिधित्व करता है……??????
दरअसल कुछ अल्पबुद्धि किस्म के प्राणियों ने परम पवित्र शिवलिंग को जननांग समझ कर पता नही क्या-क्या और कपोल कल्पित अवधारणाएं फैला रखी हैं
परन्तु शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है।
The whole universe rotates through a shaft called …….. shiva lingam.
दरअसल यह गलतफहमी भाषा के रूपांतरण और, मलेच्छों द्वारा हमारे पुरातन धर्मग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने तथा, अंग्रेजों द्वारा इसकी व्याख्या से उत्पन्न हुआ हो सकता है
खैर…
जैसा कि हम सभी जानते है, कि...
एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं…!
उदाहरण के लिए…
यदि हम हिंदी के एक शब्द “”सूत्र”’ को ही ले लें तो…
सूत्र मतलब… डोरी/धागा
गणितीय सूत्र…कोई भाष्य… अथवा लेखन भी हो सकता है, जैसे कि…. नासदीय सूत्र……ब्रह्म सूत्र इत्यादि…! @Gandhi_to_Modi
उसी प्रकार…“अर्थ” शब्द का भावार्थ : सम्पति भी हो सकता है… और… मतलब (मीनिंग) भी…!
ठीक बिल्कुल उसी प्रकार… शिवलिंग के सन्दर्भ में… लिंग शब्द से अभिप्राय … चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है।
ध्यान देने योग्य बात है कि…”लिंग” एक संस्कृत का शब्द है… @annapurnaupadhy
जिसके निम्न अर्थ है :
@@@@ त आकाशे न विधन्ते -वै०। अ ० २ । आ ० १ । सू ० ५
अर्थात….. रूप, रस, गंध और स्पर्श ……..ये लक्षण आकाश में नही है ….. किन्तु शब्द ही आकाश का गुण है ।
@@@@ निष्क्रमणम् प्रवेशनमित्याकशस्य लिंगम् -वै०। अ ० २ । आ ० १ । सू ० २ ०
अर्थात… @Banarsi_Pandit
अर्थात… जिसमे प्रवेश करना व् निकलना होता है… वह आकाश का लिंग है… अर्थात ये आकाश के गुण है।
@@@@ अपरस्मिन्नपरं युगपच्चिरं क्षिप्रमिति काललिङ्गानि । -वै०। अ ० २ । आ ० २ । सू ० ६
अर्थात….. जिसमे अपर, पर, (युगपत) एक वर, (चिरम) विलम्ब, क्षिप्रम शीघ्र इत्यादि प्रयोग होते है,,,,
इसे काल कहते है, और ये …. काल के लिंग है ।
@@@@ इत इदमिति यतस्यद्दिश्यं लिंगम । -वै०। अ ० २ । आ ० २ । सू ० १ ०
अर्थात… जिसमे पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ऊपर व् नीचे का व्यवहार होता है ….उसी को दिशा कहते है... मतलब कि….ये सभी दिशा के लिंग है। @maratha_voice @VoiceOfMahakal
@@@@इच्छाद्वेषप्रयत्नसुखदुःखज्ञानान्यात्मनो लिंगमिति -न्याय० अ ० १ । आ ० १ । सू ० १ ०
अर्थात… जिसमे (इच्छा) राग, (द्वेष) वैर, (प्रयत्न) पुरुषार्थ, सुख, दुःख, (ज्ञान) जानना आदि गुण हो, वो जीवात्मा है…… और, ये सभी जीवात्मा के लिंग अर्थात कर्म व् गुण है। @rajnime@Mukesh__Patel
इसीलिए… शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने के कारन... इसे लिंग कहा गया है।
स्कन्दपुराण में स्पष्ट कहा है कि… आकाश स्वयं लिंग है… एवं, धरती उसका पीठ या आधार है और , ब्रह्माण्ड का हर चीज… अनन्त शून्य से पैदा होकर अंततः उसी में लय होने के कारण...
इसे लिंग कहा है …
यही कारन है कि… इसे कई अन्य नामो से भी संबोधित किया गया है …जैसे कि …प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग (cosmic pillar/lingam) … इत्यादि…!
ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा शिवलिंग में निहित है!
अगर इसे धार्मिक अथवा आध्यात्म की दृष्टि से बोलने की जगह … शुद्ध वैज्ञानिक भाषा में बोला जाए तो हम कह सकते हैं कि… शिवलिंग…और कुछ नहीं बल्कि… हमारे ब्रह्मांड की आकृति है! (The universe is a sign of Shiva Lingam)
अगर इसे धार्मिक अथवा आध्यात्म की भाषा में बोला जाए तो… शिवलिंग… भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-अनादि रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक है…!
अर्थात…. शिवलिंग हमें बताता है कि… इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है…
बल्कि, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों ही समान हैं..!
शिवलिंग की पूजा को ठीक से समझने के लिए
...आप जरा आईनसटीन का वो सूत्र याद करें… जिसके आधार पर उसने परमाणु बम बनाया था…!
क्योंकि… उस सूत्र ने ही परमाणु के अन्दर छिपी अनंत ऊर्जा की एक झलक दिखाई, जो कितनी विध्वंसक थी,...
ये सर्वविदित है।
और… परमाणु बम का वो सूत्र था…..
e / c = m c {e=mc^2}
अब ध्यान दें कि ….ये सूत्र एक सिद्धांत है …. जिसके अनुसार पदार्थ को पूर्णतया ऊर्जा में बदला जा सकता है, अर्थात… पदार्थ और उर्जा … दो अलग-अलग चीज नहीं… बल्कि , एक ही चीज हैं…
परन्तु… @Gajendr76545359
वे दो अलग-अलग चीज बनकर ही सृष्टि का निर्माण करते हैं….!
और…जिस बात आईनसटीन ने अभी बताया उस रहस्य को तो …हमारे ऋषियो ने हजारो-लाखों साल पहले ही ख़ोज लिया था।
यह सर्वविदित है कि… हमारे संतों/ऋषियों ने हमें वेदों और उपनिषदों का ज्ञान लिखित रूप में प्रदान किया है…
परन्तु,...
उन्होंने कभी यह दावा नहीं किया कि यह उनका काम है.. बल्कि, उन्होंने हर काम के अंत में स्वीकार किया कि…वे हमें वही बता रहे हैं… जो, उन्हें अपने पूर्वजों द्वारा कहा गया है।
लगभग 13.7 खरब वर्ष पुराना…ये सार्वभौमिक ज्ञान हमें तमिल और संस्कृत जैसी महान भाषाओँ में उपलब्ध होता है...
और, भावार्थ बदल जाने के कारण… इसे किसी अन्य भाषा में पूर्णतया (exact) अनुवाद नही किया जा सकता … कम से कम अंग्रेजी जैसी कमजोर भाषा में तो बिलकुल नही।
इसके लिए… एक बहुत ही छोटा सा उदाहरण देना ही पर्याप्त होगा कि… आज ”गूगल ट्रांसलेटर” में लगभग सभी भाषाओँ का समावेश है…
परन्तु…
संस्कृत का नही … क्योकि संस्कृत का व्याकरण विशाल तथा दुर्लभ है …!
अब कुछ मित्रों द्वारा एक मूर्खतापूर्ण सवाल यह उठाया जा सकता है कि…संस्कृत इतनी इम्पोर्टेन्ट नही इसलिए नही होगी…तो, उसका जबाब यही है कि… यदि संस्कृत इम्पोर्टेन्ट नही तो नासा संस्कृत क्यों अपनाना चाहती है ??
हुआ दरअसल कुछ ऐसा है कि… जब कालांतर में ज्ञान के स्तर में गिरावट आई, तब पाश्चात्य वैज्ञानिको ने वेदों / उपनिषदों/ पुराणो आदि को समझने में मूर्खता की …क्योकि,...
क्योकि, उनकी बुद्धिमत्ता वेदों में निहित प्रकाश से साक्षात्कार करने योग्य नही थी ।
इसे ज्यादा सरल भाषा में …इस तरह भी समझ सकते है कि,… बैटरी चालित 12 वोल्ट धारण करनेवाले विद्युत् बल्ब में अगर घरों में आनेवाले वोल्ट (240) प्रवाहित कर दिया जाए तो उस बल्ब की क्या दुर्गति होगी ???
जाहिर सी बात है कि… उसका फिलामेंट अविलम्ब उड़ जायेगा।
यही उन बेचारे वैज्ञानिकों के साथ हुआ… और, वेद जैसे गूढ़ ग्रन्थ पढ़कर … उनका भी फिलामेंट उड़ गया और…#मैक्समूलर जैसे मुढ़ ने तो … वेदों को काल्पनिक तक बता दिया !
शिवलिंग का प्रकृति में बनना.. हम अपने दैनिक जीवन में भी देख सकते है।
जब कि …किसी स्थान पर अकस्मात् उर्जा का उत्सर्जन होता है, तो , उर्जा का फैलाव अपने मूलस्थान के चारों ओर एक वृताकार पथ में तथा उपर व नीचे की ओर अग्रसर होता है... अर्थात दशोदिशाओं... @BishtRiteshS@Arawn_scilla
(आठों दिशा की प्रत्येक डिग्री (360 डिग्री)+ऊपर व नीचे ) होता है.. जिसके फलस्वरूप एक क्षणिक शिवलिंग आकृति की प्राप्ति होती है।
उसी प्रकार…बम विस्फोट से प्राप्त उर्जा का प्रतिरूप…एवं, शांत जल में कंकर फेंकने पर प्राप्त तरंग (उर्जा) का प्रतिरूप भी शिवलिंग का निर्माण करते हैं….!
दरअसल…. सृष्टि के आरम्भ में महाविस्फोट के पश्चात् उर्जा का प्रवाह वृत्ताकार पथ में तथा ऊपर व नीचे की ओर हुआ फलस्वरूप एक महाशिवलिंग का प्राकट्य हुआ… जिसका वर्णन हमें लिंगपुराण, शिवमहापुराण, स्कन्द पुराण आदि में इस प्रकार मिलता है कि …
आरम्भ में निर्मित शिवलिंग इतना विशाल (अनंत) था, की देवता आदि मिल कर भी उस लिंग के आदि और अंत का छोर या शाश्वत अंत न पा सके।
हमारे पुराणो में कहा गया है कि… प्रत्येक महायुग के पश्चात समस्त संसार… इसी शिवलिंग में समाहित (लय) होता है तथा इसी से पुनः सृजन होता है ।
इस तरह सामान्य भाषा में कहा जाए तो उसी आदिशक्ति के आदिस्वरुप (शिवलिंग) से इस समस्त संसार की उत्पति हुई, तथा उसका यह गोलाकार/सर्पिलाकार स्वरुप प्रत्यक्ष अथवा प्ररोक्ष तथा प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से हमारे चारों और स्थित है…
और, शिवलिंग का प्रतिरूप ब्रह्माण्ड के हर जगह मौजूद है
जैसे कि…. 1. हमारी आकाश गंगा , हमारी पडोसी अन्य आकाश गंगाएँ (पांच -सात -दस नही, अनंत है) , ग्रहों, उल्काओं आदि की गति (पथ), ब्लैक होल की रचना , संपूर्ण पृथ्वी पर पाए गये सर्पिलाकार चिन्ह (जो अभी तक रहस्य बने हए है.. और, हजारों की संख्या में है..
तथा, जिनमे से अधिकतर पिरामिडों से भी पुराने है), समुद्री तूफान , मानव डीएनए, परमाणु की संरचना … इत्यादि…!
इसीलिए तो… शिव को शाश्वत एवं… अनादी, अनत…निरंतर भी कहा जाता है….!
याद रखो हिन्दुओं…. सही ज्ञान ही आधुनिक युग का सबसे बड़ा हथियार है… देश और धर्म के दुश्मनों के खिलाफ …
साल की सबसे बड़ी खबर...एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाज़े गिरफ्तार
- साध्वी प्रज्ञा को पीटनेवाला... अर्णब को गिरफ्तार करनेवाला... अंबानी के घर के बाहर गाड़ी में जिलेटिन रखवानेवाला एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे को NIA ने गिरफ्तार कर लिया।
- 1990 के दशक मे 63 एनकाउंटर करनेवाले सचिन वाजे को NIA ने कल देर रात गिरफ्तार कर लिया है। सचिन वाजे ने पूछताछ में ये स्वीकार कर लिया है कि मुंबई मे एंटीलिया हाउस यानी मुकेश अंबानी के घर के बाहर मनसुख हीरेन की SUV और उसमें जिलेटिन सचिन वाजे ने ही रखवाए थे। @ApJain9 @jalimpatrakar
- अब ये पूरा मामला धीरे धीरे खुलना शुरू हो गया है।दरअसल सचिन वाजे और मनसुख हीरेन (जिसकी गाड़ी अंबानी के घऱ के बाहर मिली) एक ही कॉलोनी मे पासपास ही रहते थे।
- ढाई महीने पहले मनसुख हीरेन से सचिन वाजे ने गाड़ी ले ली थी।बाद मे कुछ दिन पहले दोबारा मनसुख हीरेन को गाड़ी वापस कर दी थी।
जो लोग अपने रिश्तेदारों तक के अपने घर में रुकने पर नाक सिकोड़ लेते हैं, जो लोग तपती गर्मी में अपने दरवाजे पर सामान डिलीवर करने आए कुरियर बॉय को सम्मानपूर्वक बैठाकर एक गिलास पानी तक नहीं पिलाते, और तेज बारिश के समय यदि कोई इनके घर की आड़ लेकर बारिश से बचने का प्रयास करे...
तो दरवान से खदेड़कर भगाए जाते हैं,
आज वही संभ्रांत प्रगतिशील बुद्धिजीवी वोक लिब्रल म्यानमार में सैकड़ों निर्दोषों का जनसंहार कर भागे 40,000 रोहिंज्ञाओं को डिपोर्ट किये जाने का विरोध कर उन्हें मानवता के आधार पर भारत में बसाने की दलीलें दे रहे है.. @BishtRiteshS@MadangopalMish7
⛔जबकि म्यांमार में इन्ही रोहिंज्ञाओं द्वारा बर्बरतापूर्वक मारे गए हिंदुओं की सामूहिक कब्रें आजतक मिल रही हैं, और इनके द्वारा रेप व् धर्मपरिवर्तन का शिकार हुई हिन्दू महिलाएं मीडिया के सामने इनके अत्याचार की कहानी विश्व के समक्ष रख चुकी हैं।
1.तमसा नदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर प्रभु रामजी नाव से नदी पार की।
2.श्रृंगवेरपुर तीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था।
श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।
3.कुरई गांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।
4.प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था। @Pratap438@Krishna18376061
5.चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है,जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते है,तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका लेकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते है।
2 दिन, बस #दो_दिन इंतजार कीजिए। 2 दिन में एक बाढ़, एक सुनामी आनेवाली है!
चारों तरफ एक मातम पसरनेवाला है!
आपको चारो ओर रूदाली चीख चीत्कार सुनाई देगी और यह रूदाली कोई आम रुलाई नहीं होगी...
ना, बिल्कुल ना....!!!