जब इंद्र देवता गोवर्धन वासियों पर क्रोधित हो गए थे और अपना गुस्सा दिखाने के लिए झमझम बरसने लगे थे। इतना बरसे कि कहर बरपा दिया, ना किसी को और, ना किसी को ठौर। पूरा गाँव जैसे डूब ही गया था कि सबने कन्हैया से बिनती की।
अब कन्हैया का तो था ही ऐसा कि किसी ने भी पुकारा और बस चल दिए। उस दिन भी कन्हैया को आना ही पड़ा। सीधे गए और गोवर्धन पर्वत को ही उठा लिया अपनी कनिष्ठा पर और सारे गाँव वालों को खड़ा कर लिया उसके नीचे।
बस सात दिनतक बिना कुछ खाये-पिए कान्हा सबको संभाले रहे जबतक कि इंद्र थक कर हार नहीं मान लिए।अब कान्हा तो बढ़िया जमकर आठों पहर खाना खाया करते थे पर गाँव वालों को बचाने के लिए कुछ ना खाया ना पीया।बाद में गाँव वालों ने मिलकर सात दिन और आठ पहर छप्पन भोग बनाकर कान्हा को अर्पण करते दिए।
सात प्रकार का अनाज, सात प्रकार का फल, सात प्रकार की सब्जी, सात प्रकार की सुखी मेवा, सात प्रकार की मिठाई, सात प्रकार का पेय, सात प्रकार का नमकीन, सात प्रकार का अचार। चलो तुम्हें ये भी बता ही देता कि इनके नाम क्या है
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अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सात महामानव चिरंजीवी हैं। यदि इन सात महामानवों और आठवे ऋषि मार्कण्डेय का नित्य स्मरण किया जाए तो शरीर के सारे रोग समाप्त हो जाते है और 100 वर्ष की आयु प्राप्त होती है।