डोडो पक्षी मॉरीशस और हिंद महासागर के कुछ अन्य दीप जैसे मेडागास्कर में पाया जाता था.. इन द्वीपों पर पहले इंसानी आबादी नहीं थी....
डोडो पक्षी आराम से इन द्वीपों पर रहते थे और चूंकि इन द्वीपो पर इनका शिकार करनेवाला कोई अन्य जीव-जंतु नहीं था, इसलिए यह पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी रक्षात्मकता और अपनी आक्रामकता भूल चुके थे।
क्योंकि इन्हें इन द्वीपों पर भरपूर खाना मिलता था, इसलिए यह आराम से इन द्वीपो पर रहते थे। @OmKirti
इन्हें तेज भागना नहीं पड़ता था, दौड़ना या दौड़ाना नहीं पड़ता था, उड़ना नहीं पड़ता था। इसलिए धीरे-धीरे इनके टांगों की हड्डियां कमजोर हो गई।
16 वीं शताब्दी के शुरू में मॉरीशस पर डच लोग गए और डच लोग हैरान रह गए कि इस पक्षी को मनुष्य बड़े आराम से पकड़ लेता था। @Gajendr76545359
फिर डच लोगों ने इनका शिकार करना शुरू कर दिया।
चुकी डच लोग अपने साथ कुत्ते चूहे इत्यादि लेकर गए थे, धीरे-धीरे कुत्तों ने भी इनका शिकार करना शुरू कर दिया और चूहों ने इनके अंडे वगैरह खाने शुरू कर दिए। डोडो पक्षी बिल्कुल भी रक्षात्मकता नहीं दिखाता था, क्योंकि... @MoNa42327912
सदियों से वह ऐसे माहौल में पीढ़ी दर पीढ़ी पलने लगा था, जहां उसे आक्रामकता की जरूरत नही थी। लेकिन जब उसे आक्रामक होने की जरूरत पड़ी, तब वह भूल गया हमला करना किसे कहते है, तेज भागना किसे कहते है।
नतीजा यह हुआ 1710 तक इस धरती से डोडो पक्षी पूरी तरह से विलुप्त हो गया। @dreamerRajani
इस पक्षी के सिर्फ दो Mummy बनाकर रखे गए है - एक ब्रिटेन के रॉयल म्यूजियम में है, दूसरा मॉरीशस यूनिवर्सिटी में है!
केसोवरी(cassowary) पापुआ न्यू गिनी, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समूह यानि प्रशांत महासागर के और कैरेबियन महासागर के कई द्वीपों पर रहता था।
यह भी शुतुरमुर्ग एमु और डोडो के परिवार का ही पक्षी था।
लेकिन इसे ऐसे माहौल में रहना पड़ा, जहां इसके कई शिकारी थे। यहां तक कि मनुष्य भी इसका शिकार करने की कोशिश करते थे। पीढ़ी दर पीढ़ी केसोवरी ने अपने अंदर बेहद तेज आक्रामकता और खतरनाक हथियार विकसित कर लिए, और... @Suraj_2025
इसमें मनुष्यों सहित दूसरे जीवजंतुओं को देखकर अपने अंदर स्वत रक्षात्मक सोच विकसित कर लिया।
आज हालात ऐसे है कि यह मनुष्यों को देखते ही उसे दौड़ाकर अपने पंजों से फाड़ देते है। यह 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते है और इनके नाखून 8 इंच लंबे होते है, और... @maratha_voice
किसी तेज चाकू की तरह पैने होते है। अंग्रेजों ने जब कैरेबियन पापुआ न्यू गिनी न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया पर कब्जा किया, तब अंग्रेज इनका भी शिकार करना चाहते थे।लेकिन केसोवरी पहले से ही ऐसे माहौल में रहा था,इसलिए उसने जमकर प्रतिकार किया और शिकारियों को दौड़ाकर फाड़ देता था। @Bhgwa2020
यहां तक कि, यह पक्षी झुंड में रहकर यानी समूहों में रहकर हमला करना भी सीख लिया, क्योंकि बाद में अंग्रेज गोली से इनका शिकार करने की कोशिश करते थे। तब इनके समूह का दूसरा पक्षी पीछे से आकर शिकारी पर हमला कर देता था।
आज हालात ऐसे है की जिन जंगलों में केसोवरी पक्षी पाए जाते है,...
वहां पर बड़े-बड़े चेतावनी के बोर्ड लगे होते है, क्योंकि यह मनुष्य को देखते ही हमलावर हो जाता है।
आज केसोवरी धरती से विलुप्त नहीं हुआ, बल्कि आराम से अपने प्राकृतिक हैबिटेट में फल-फूल रहा है।
निष्कर्ष
दोनों पक्षियों के उदाहरण से वही सीख मिलती है, की... @VoiceOfMahakal
जो प्रजाति पीढ़ी दर पीढ़ी अपने संतानों को हमलावर होना, गुस्सैल होना प्रतिकार करना नहीं सिखाएगी वह पीढ़ी विलुप्त हो जाएगी।
पाकिस्तान में हिंदुओं ने बड़ी-बड़ी हवेलियां बनाई। अंत में नतीजा क्या हुआ,कि उन हवेलियों में शांतिदूत रहते है। कश्मीर में हिंदुओ ने बड़ी-बड़ी हवेलियां बनाई,..
आज उन हवेलियों में शांतिदूत रहते है। केरल के कासरगोड सहित कई जिलों मे हिंदुओं ने बड़ी-बड़ी हवेलियां बनाई,आज हवेलियों में शांतिदूत रहते है।
अगर हिंदुओं ने पहले ही केसोवरी से प्रेरणा लेते हुए आक्रामकता दिखाई होती, आज यह हालात नही हुआ होता।
साल की सबसे बड़ी खबर...एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाज़े गिरफ्तार
- साध्वी प्रज्ञा को पीटनेवाला... अर्णब को गिरफ्तार करनेवाला... अंबानी के घर के बाहर गाड़ी में जिलेटिन रखवानेवाला एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे को NIA ने गिरफ्तार कर लिया।
- 1990 के दशक मे 63 एनकाउंटर करनेवाले सचिन वाजे को NIA ने कल देर रात गिरफ्तार कर लिया है। सचिन वाजे ने पूछताछ में ये स्वीकार कर लिया है कि मुंबई मे एंटीलिया हाउस यानी मुकेश अंबानी के घर के बाहर मनसुख हीरेन की SUV और उसमें जिलेटिन सचिन वाजे ने ही रखवाए थे। @ApJain9 @jalimpatrakar
- अब ये पूरा मामला धीरे धीरे खुलना शुरू हो गया है।दरअसल सचिन वाजे और मनसुख हीरेन (जिसकी गाड़ी अंबानी के घऱ के बाहर मिली) एक ही कॉलोनी मे पासपास ही रहते थे।
- ढाई महीने पहले मनसुख हीरेन से सचिन वाजे ने गाड़ी ले ली थी।बाद मे कुछ दिन पहले दोबारा मनसुख हीरेन को गाड़ी वापस कर दी थी।
जो लोग अपने रिश्तेदारों तक के अपने घर में रुकने पर नाक सिकोड़ लेते हैं, जो लोग तपती गर्मी में अपने दरवाजे पर सामान डिलीवर करने आए कुरियर बॉय को सम्मानपूर्वक बैठाकर एक गिलास पानी तक नहीं पिलाते, और तेज बारिश के समय यदि कोई इनके घर की आड़ लेकर बारिश से बचने का प्रयास करे...
तो दरवान से खदेड़कर भगाए जाते हैं,
आज वही संभ्रांत प्रगतिशील बुद्धिजीवी वोक लिब्रल म्यानमार में सैकड़ों निर्दोषों का जनसंहार कर भागे 40,000 रोहिंज्ञाओं को डिपोर्ट किये जाने का विरोध कर उन्हें मानवता के आधार पर भारत में बसाने की दलीलें दे रहे है.. @BishtRiteshS@MadangopalMish7
⛔जबकि म्यांमार में इन्ही रोहिंज्ञाओं द्वारा बर्बरतापूर्वक मारे गए हिंदुओं की सामूहिक कब्रें आजतक मिल रही हैं, और इनके द्वारा रेप व् धर्मपरिवर्तन का शिकार हुई हिन्दू महिलाएं मीडिया के सामने इनके अत्याचार की कहानी विश्व के समक्ष रख चुकी हैं।
1.तमसा नदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर प्रभु रामजी नाव से नदी पार की।
2.श्रृंगवेरपुर तीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था।
श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।
3.कुरई गांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।
4.प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था। @Pratap438@Krishna18376061
5.चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है,जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते है,तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका लेकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते है।
2 दिन, बस #दो_दिन इंतजार कीजिए। 2 दिन में एक बाढ़, एक सुनामी आनेवाली है!
चारों तरफ एक मातम पसरनेवाला है!
आपको चारो ओर रूदाली चीख चीत्कार सुनाई देगी और यह रूदाली कोई आम रुलाई नहीं होगी...
ना, बिल्कुल ना....!!!