कई व्यक्ति प्राचीन ज्ञान की चर्चा होने पर कई प्रकार के विरोध और व्यंग करते हैं। पूरे विश्व की कई प्राचीन वैज्ञानिक तथ्यों का अभी तक पता नहीं चला है। यदि उन तथ्यों और मापों से कुछ नया खोजने में...
सहायता मिले तो दुखी नहीं होना चाहिये।
मैंने 2001 में मेलकोट संस्था की पत्रिका में प्रकाशित अपने लेख में सौर मण्डल की ३ मापों का उल्लेख किया था, जो उस समय तक आधुनिक विज्ञान में अज्ञात थी। इनका वर्णन 2006 में प्रकाशित मेरी पुस्तक "सांख्य सिद्धान्त" में भी है। @Gajendr76545359
2008 मे उनमें से २ का पता चला। उससे पहले तक सौर वायु को मंगल कक्षा तक मानते थे। भागवत पुराण तथा यजुर्वेद के अनुसार गणना करने से यह यूरेनस कक्षा तक आता था।
इसके अतिरिक्त ऋग्वेद खिल सूक्त तथा सूर्य सिद्धान्त के अनुसार सूर्य से 60 ज्योतिषीय इकाई की दूरी पर 135 किमी से अधिक व्यास...
के 60000 बालखिल्य है। 2008 में इन दोनों का पता चला। नासा का अनुमान था कि 45-75 ज्योतिषीय इकाई दूरी पर 100 किमी से अधिक बडे 70000 प्लूटोनिक ग्रह हैं, जिसके बाद प्लूटो को ग्रह सूची से बाहर किया गया। सौर मण्डल की माप के विषय में अभी कोई परिभाषा या माप नहीं है। @MoNa42327912@OmKirti
पुराणों में २ परिभाषाओं के अनुसार २ माप हैं। ऋग्वेद (10/189/3) में भी १ माप है।
सभी पुराणों तथा ज्योतिष ग्रन्थों में ब्रह्माण्ड की परिभाषा और माप दी हुई है। ऋग्वेद में भी कई स्थानों पर है, तथा कठोपनिषद् में १ स्थान पर। मापों में विधि तथा इकाई के अनुसार थोड़ा अन्तर है (15% तक)।
आधुनिक काल में 1950 से यह माप शुरु हुई, तथा कम से कम १० बार परिवर्तन हो चुके हैं। 1990 में १ लाख तथा 2008 में 90000 प्रकाश वर्ष व्यास माना गया है। कठोपनिषद् तथा अस्य वामीय सूक्त की गणना के अनुसार 97000 प्रकाश वर्ष व्यास होगा। सूर्य सिद्धान्त का मान थोड़ा अधिक है। @BishtRiteshS
आर्यभट ने लिखा था कि उत्तरी ध्रुव जल में, तथा दक्षिणी ध्रुव स्थल में है। उत्तरी ध्रुव का 1909 में, तथा दक्षिणी ध्रुव का 1931 में पता चला। पर दक्षिणी ध्रुव वास्तव में स्थल पर है, इसका पता 1985 में चला। निश्चित रूप से आर्यभट किसी ध्रुव पर नही गये थे। @LataSha04372969@NahataSanjeev
जाते, तो भी उस समय के साधनों से पता नही चलता। यह महाभारत के पूर्व का ज्ञान है, जिसे उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है।ब्रह्माण्ड की माप Mayans को भी पता थी।
विश्व के हर भाग में लोग प्राचीन काल में ग्रहण की गणना करना जानते थे,तथा उसी काल में मन्त्रों की सिद्धि आदि अनुष्ठान करते थे।
केवल ओड़िशा में ही प्रायः 300 दानपत्र प्रकाशित है,जो सूर्यग्रहण के समय दिये गये थे। आज भी ग्रहण गणना करने की सटीक विधि नही मालूम है। यह अनुमानित गणना की जाती है। किसी भी भौतिकी या गणित प्राध्यापक को यह विधि समझ नही आयेगी। सूर्य चन्द्र की दूरी निकालने के लिये... @Rishabh04765794
पृथ्वी सतह का सूक्ष्म माप जरूरी है।
पूरे विश्व में ताम्बा सोना आदि की 50000 वर्ष तक पुरानी खानें मिली है।आज भी खनिज खोजना अनुमान का ही विषय है।विशेष कर विरल पदार्थ का संयोग से ही पता चलता है। यदि हमारे हाथ में जमीन से नीचे का कोई खनिज दिया जाए,तो... @dreamerRajani@veracious111
उसे पहचानने में २ दिन तक परीक्षण करना पड़ेगा। पुराने विश्व में भूमिगत खनिजों का कैसे पता चला था? क्या पूरी पृथ्वी को २ किमी तक खोद कर देखा गया था?
आयुर्वेद, योग की कई ऐसी बाते हैं, जिनका रहस्य अभी तक नहीं पता चला है...
साल की सबसे बड़ी खबर...एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाज़े गिरफ्तार
- साध्वी प्रज्ञा को पीटनेवाला... अर्णब को गिरफ्तार करनेवाला... अंबानी के घर के बाहर गाड़ी में जिलेटिन रखवानेवाला एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे को NIA ने गिरफ्तार कर लिया।
- 1990 के दशक मे 63 एनकाउंटर करनेवाले सचिन वाजे को NIA ने कल देर रात गिरफ्तार कर लिया है। सचिन वाजे ने पूछताछ में ये स्वीकार कर लिया है कि मुंबई मे एंटीलिया हाउस यानी मुकेश अंबानी के घर के बाहर मनसुख हीरेन की SUV और उसमें जिलेटिन सचिन वाजे ने ही रखवाए थे। @ApJain9 @jalimpatrakar
- अब ये पूरा मामला धीरे धीरे खुलना शुरू हो गया है।दरअसल सचिन वाजे और मनसुख हीरेन (जिसकी गाड़ी अंबानी के घऱ के बाहर मिली) एक ही कॉलोनी मे पासपास ही रहते थे।
- ढाई महीने पहले मनसुख हीरेन से सचिन वाजे ने गाड़ी ले ली थी।बाद मे कुछ दिन पहले दोबारा मनसुख हीरेन को गाड़ी वापस कर दी थी।
जो लोग अपने रिश्तेदारों तक के अपने घर में रुकने पर नाक सिकोड़ लेते हैं, जो लोग तपती गर्मी में अपने दरवाजे पर सामान डिलीवर करने आए कुरियर बॉय को सम्मानपूर्वक बैठाकर एक गिलास पानी तक नहीं पिलाते, और तेज बारिश के समय यदि कोई इनके घर की आड़ लेकर बारिश से बचने का प्रयास करे...
तो दरवान से खदेड़कर भगाए जाते हैं,
आज वही संभ्रांत प्रगतिशील बुद्धिजीवी वोक लिब्रल म्यानमार में सैकड़ों निर्दोषों का जनसंहार कर भागे 40,000 रोहिंज्ञाओं को डिपोर्ट किये जाने का विरोध कर उन्हें मानवता के आधार पर भारत में बसाने की दलीलें दे रहे है.. @BishtRiteshS@MadangopalMish7
⛔जबकि म्यांमार में इन्ही रोहिंज्ञाओं द्वारा बर्बरतापूर्वक मारे गए हिंदुओं की सामूहिक कब्रें आजतक मिल रही हैं, और इनके द्वारा रेप व् धर्मपरिवर्तन का शिकार हुई हिन्दू महिलाएं मीडिया के सामने इनके अत्याचार की कहानी विश्व के समक्ष रख चुकी हैं।
1.तमसा नदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर प्रभु रामजी नाव से नदी पार की।
2.श्रृंगवेरपुर तीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था।
श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।
3.कुरई गांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।
4.प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था। @Pratap438@Krishna18376061
5.चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है,जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते है,तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका लेकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते है।
2 दिन, बस #दो_दिन इंतजार कीजिए। 2 दिन में एक बाढ़, एक सुनामी आनेवाली है!
चारों तरफ एक मातम पसरनेवाला है!
आपको चारो ओर रूदाली चीख चीत्कार सुनाई देगी और यह रूदाली कोई आम रुलाई नहीं होगी...
ना, बिल्कुल ना....!!!