🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🙏🙏🙏🙏
नोएडा में ओखला के पास एक पार्क है । नाम है बुद्ध पार्क.....
कल वहाँ एक लड़का और एक लड़की को पकड़ लिया योगी जी की एंटी रोमियो squad ने। लड़के से नाम पूछा तो बताया ललित और लड़की ने बताया वंदना। दोनों बोले मर्जी से बैठे हैं......
पुलिसवाले चाचा कहाँ मानने वाले थे। बोले अपना ID दिखाओ। लड़की ने झट कॉलेज का ID निकाल कर दिखा दिया। लड़का ना नुकर करने लगा तो दरोगा जी ने कान पकड़ लिए। फिर आख़िरकार पर्स में से ID निकाला। नाम था रेहान। लड़की के पैरों तले जमीन खिसक गई।
वंदना तो ललित के गले में पड़े हनुमान जी का लॉकेट के अलावा कुछ देख ही नहीं पाई थी
कुछ समझे? आखिर ये एंटी रोमियो स्क्वाड किस लिए बनाई गई है?
अपनी बहन -बेटी को समझायें की बिना परिवार की सहमति के किसी भी लड़के से दोस्ती न करें । किसी भी प्रकार के झाँसा में या प्रलोभन में न फँसे।
जय सत्य सनातन हिन्दू धर्म ।
🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🙏🙏
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
वैटिकन के नाम बडे दर्शन खोटे !
कार्डिनल रॉबर्ट साराह को ईसाईयों के पुराणमतवादी धर्मगुरु के रूप में पहचाना जाता है । कट्टर ईसाईयों में कार्डिनल साराह बहुत लोकप्रिय थे । इतना ही नहीं पोप फ्रान्सिस के पश्चात ‘भावी पोप’ के रूप में उनकी ओर देखा जाता था।
‘भूतपूर्व पोप’ पोप बेनिडिक्ट को भी वे प्रिय थे; परंतु पोप फ्रान्सिस ने उन्हें तत्परता से पदमुक्त कर दिया । ‘संसार को दिखाने के लिए कार्डिनल साराह ने त्यागपत्र दिया तथा पोप ने उसे स्वीकार कर लिया’, ऐसा चर्च द्वारा दिखाया जा रहा है; तथापि कार्डिनल साराह का यह निष्कासन ही था।
वैटिकन चर्च में अलग-अलग पदों पर कार्यरत पादरी ७५ वर्ष की आयु तक कार्यरत रह सकते हैं । वहां के किसी भी पादरी को ७५ वर्ष की आयु होने पर त्यागपत्र देना पडता है। ऐसा होते हुए भी पोप अधिकांश पादरियों के त्यागपत्र निरस्त कर उन्हें कार्यरत रहने की अनुमति देते हैं।
कहते हैं जब नादिर शाह ने दिल्ली पर कब्ज़ा किया था, तो जामा मस्जिद के ऊपर चढ़कर एक तलवार छत पर गाड़ दी थी और अपने जिहादियों को हुक्म दिया था कि जब तक ये तलवार ना उठे, क़त्ल-ए-आम ना रुके...
और रुका भी नहीं...
अहमद शाह अब्दाली जब लाहौर से निकला, तो ये हुक्म दिया कि वापस आऊं तो शहर के चारों तरफ छकड़ों में नरमुंड का सैलाब हो...
और यह हुआ भी...
इनको सिर्फ लुटेरा बताकर इतिहास ख़त्म कर देने वाले वामी-कामी जब औरंगजेब को माननीय बताने लगते हैं, तो हैरानी कैसी!!! ये तो इनके नायक हैं...
दिल्ली में एक लाख लोगों को काटने वाला तैमूर हो या राजपूतों के खून का प्यासा अल्लाउद्दीन खिलजी...
ये सब इनके नायक हैं! तारिक-बिन-जियाद से लेकर ओसामा बिन लादेन तक सब माननीय हैं...
किसको फर्क पड़ता है कि गुरु तेग बहादुर के साथ क्या हुआ? या छत्रपती संभाजी के साथ क्या हुआ???
*औरत बहन तेरी बेटी,*
*भैया भैया चिल्लाएगी,*
*उनकी यही करुण चीखें,*
*माँ भारती को भी रुलायेंगी,*
😢😢😢😢😢😢😢😢😢
*बंटवारे को रे सेक्युलर,*
*तू याद जरा सा तो करले,*
*जब देश बंटा था टुकड़े में,*
*उसे याद जरा अब तू कर ले,*
😢😢😢😢😢😢😢😢😢
*जब मानवता का खून बहा था,*
*पूर्व पश्चिम पाकिस्तान में,*
*30 लाख हिन्दू सिख कटे थे,*
*दोनों पाकिस्तान में,*
😢😢😢😢😢😢😢😢😢
*हिन्दू सिख नारी चीख रही थी,*
*अपनी अस्मत बचवाने को,*
*क्या कोई मुस्लिम आगे आया,*
*उनकी अस्मत बचवाने को,*
😢😢😢😢😢😢😢😢😢
हिन्दू वीर छत्रपती शिवाजी की समशीरें,
जयसिंह ने ही रोकी थीं,
😥😥😥😥😥😥
पृथ्वीराज की पीठ में बरछी,
जयचंदों नें भोंकी थी ।
😥😥😥😥😥😥
हल्दीघाटी में बहा लहू,
शर्मिंदा करता पानी को,
😥😥😥😥😥😥
राणा प्रताप सिर काट काट,
करता था भेंट भवानी को।
😥😥😥😥😥😥
राणा रण में उन्मत्त हुआ,
अकबर की ओर चला चढ़ के,
😥😥😥😥😥😥
अकबर के प्राण बचाने को,
तब मान सिंह आया बढ़ के।
😥😥😥😥😥😥
इक राजपूत के कारण ही,
तब वंश मुगलिया जिंदा था,
😥😥😥😥😥😥
इक हिन्दू की गद्दारी से,
चित्तौड़ हुआ शर्मिंदा था।
😥😥😥😥😥😥
जब रणभेरी थी दक्खिन में,
और मृत्यु फिरे मतवाली सी,
😥😥😥😥😥😥
और वीर शिवा की तलवारें,
भरती थीं खप्पर काली सी।
😥😥😥😥😥😥
किस म्लेच्छ में रहा जोर,
जो छत्रपती को झुका पाया,
😥😥😥😥😥😥
ये जयसिंह का ही रहा द्रोह,
जो वीर शिवा को पकड़ लाया।
😥😥😥😥😥😥
@adarpoonawalla नमस्ते
दयालु कर्मठ और भारत में मात्र 0.000000000001% जनसंख्या वाले पारसियों को समर्पित
हम भारतीयों को आप पारसियों पर बहुत गर्व है
कोविड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम एक पारसी उद्योगपति की है जिसका नाम है आदर पूनावाला
आदर पूनावाला ने बॉम्बे पारसी पंचायत 60000 वैक्सीन ऑफर किया था कि पारसी लोगों को पहले वैक्सीन लग जाए लेकिन बॉम्बे पारसी पंचायत के अध्यक्ष और उसके अलावा प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा ने यह कहा कि हम पहले भारतीय हैं बाद में पारसी हैं हमें वैक्सीन तभी चाहिए जब सभी भारतीयों को वैक्सीन
मिलेगी
फैक्ट्री से शुरू हो रही वैक्सीन आगे कैसे बढ़ती है वह देखिए
वैक्सीन जिस कांच की शीशी में यानी व्हाईल में पैक होती है उसे भी एक पारसी की कंपनी बनाती है इसका नाम स्कॉट्सलाइस है जिसके मालिक रीशाद दादाचन्दजी हैं।