आज नेहरू जी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर होते तो ऐसे समय में नए संसद भवन बनाने का विरोध करते, नेहरू होते तो आपदा के समय फाल्तू खर्चे का काफी विरोध करते और नेहरू होते तो पटेल शाहब का स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनने का भी पुर्ण रुप से विरोध करते बल्की उसकी जगह....
अस्पताल या कालेज बनाने समर्थन करते, यहां तक कि जब नेहरू प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने गांधी जी का स्टेच्यू बनाने का भी विरोध किया, क्योंकि नेहरू विचारों में मानते थे वो गांधी जी को सिर्फ मुर्तियों में हीं दफन नहीं करना चाहते थे, जैसे आज की सरकार ने पटेल शाहब को............
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कर दिया है, बल्की नेहरू जी को गांधी जी के सपनों का भारत बनाना था, गांधी जी के विचारों का भारत बनाना था, लोकतांत्रिक भारत बनाना था, नेहरू जी ने जनता को अलग-अलग किस्म के अनाजों को उगाने के लिए बोला था ताकि अनाज की कमी ना हों और देश का पेट भरे.............
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व हमें अमेरिका के आनाज के भरोसे ना रहना पड़े और हमारा धन भी बचें, लेकिन आज ऐसा नहीं पुंजिवादी व्यवस्था भारत पर हावी हो गई है और इसका परिणाम आज हम सबको भुगतना पड़ रहा है, आज हमें नेहरू जैसे सच्चे मानवतावादी प्रधानमंत्री की जरूरत है!!
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कुछ हफ्ते पहले, दिल्ली के सराय काले खां में बाल्मिकी बस्ती में मारपीट होती है, बहुजनो के साथ, उनके जान माल नुकसान किया जाता है असमाजिक तत्वों द्वारा, लेकिन एक भी जो अपने आप बहुजन हितेषी बोलते हैं वो मठाधीश इस मामले कोई कार्यवाही या मदद के... #DalitLivesMatter
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लिए आगे नहीं आते, उनके मुंह से चू तक नहीं निकलती, अभी भी वो मठाधीश मुंह पर टैप लगा कर बैठे हैं, लेकिन मैं बोलुगा, खुल कर बोलुंगा, जिन्होंने ये तबाही मचाई है उन कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए, और जो बहुजन के नाम पर ट्विटर अकाउंट खोल कर बैठे हैं, और दल बना के बैठें....
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हैं उनसे भी कहुंगा कि आप उस बस्ती में जाइए या ट्विटर पर लिखिए उनके पक्ष में, नहीं तों कोई फायदा नहीं है आपके बहुजन दल या कोई सेना बनाने का अगर बहुजन समाज के काम हीं नहीं आता वो दल!!
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सवाल सारे बेबुनियाद है, जो तोड़ मरोड़ कर पेश किए गए हैं, लेकिन ज़वाब देना जरूरी है, जब 1913 में स्कालरशिप मिली उससे पहले बाबा साहेब बि ए पास हों चुके थे, मतलब काफी शिक्षा हों चुकि थी, काफी रोड़े अटकाए गए शिक्षा में उसके बावजूद भी.. @vijaypks51 @NavalKishore01 @Ashok_Kashmir
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बाबा साहेब बि ए तक पढ़े और आगे पढ़ने कि इच्छा जताई, लेकिन उस समय तक पिताजी की मौत हो गई थी पैसे की तंगी थी, उसी समय बडोदा सरकार 4 छात्रों को स्कालरशिप देकर बाहर भेजकर पढ़ाने वालीं थी, बाबा साहेब ने महाराजा सयाजी राव गायकवाड़ को सारी अपनी परेशानी बताई और बाबा साहेब की..
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पढ़ाई की सच्ची निष्ठा देखकर और बाबा साहेब द्वारा बोली गई अंग्रेजी से प्रभावित होकर, उन चार छात्रों में बाबा साहेब का स्लेकसन कर दिया और स्कालरशिप देदी गई और शिक्षा के बाद 10 साल के लिए नौकरी करने का एग्रीमेंट साईन कराया गया..