Tanuj Singh Profile picture
Reading Marx,Ambedkar,Lenin| Researching & Writing✍️| Student of Political History| Interested in Geopolitics & South Asian history #NoToWar
Feb 24, 2023 8 tweets 2 min read
भारत में भी कुछ लोग हैं जो खालिस्तान की बात करते हैं, आस्ट्रेलिया और यूरोपियन देशों में तो इसको लेकर referendum भी होते रहते हैं। इन देशों में कई संगठन भी हैं जो खालिस्तान के समर्थक हैं
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#खालिस्तान जितने भी ये खालिस्तान संगठन हैं उनमें एक बात बिल्कुल एक जैसी दिखेंगी कि ये संगठन खालिस्तान की कल्पना में पाकिस्तान वाला पंजाब नहीं जोड़ते। बल्कि ये तो ज़रूरी हिस्सा हैं क्योंकि वहां तो महाराजा रणजीत सिंह (सिख साम्राज्य) की राजधानी रह चुकी हैं
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Nov 14, 2022 7 tweets 3 min read
नेहरू साहब का ये कदम तारीफ़ के काबिल हैं कि उन्होंने केन्द्र की लीडरशिप चुनने के लिए डायरेक्टर वोटिंग और सार्वभौम व्यस्क मताधिकार का समर्थन किया और इस प्रक्रिया को आगे जारी रखा, हालांकि शुरुआत में डायरेक्टर वोटिंग को लेकर उनके मन में भी काफ़ी शंकाएं थीं
+++ लेकिन पहले आम चुनावों के बाद ये शंकाएं दूर होती गई। उस समय बहुत से देशों में देश की लीडरशिप चुनने के लिए डायरेक्टर चुनाव नहीं होते थें, बल्कि इनडायरेक्ट चुनाव (जैसे आज राज्यसभा के नेताओं को चुना जाता हैं) होते थें
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Oct 26, 2022 7 tweets 3 min read
बहुत हीं अजीब और भयानक घटना थीं ये, जब यूगांडा के तानाशाह नेता ने यूगांडा से 90 दिन के भीतर एशियन लोगों (ज्यादातर भारतीय थें) को देश छोड़कर जाने को कहा था। वहां के ज्यादातर आम लोगों ने भी इस फैसले का समर्थन किया था, इस घटना को #‌Asianexpulsion (1972) के नाम से जाना जाता हैं
+++ इस घटना के बाद यूगांडा में भयानक आर्थिक संकट आ गया था। आर्थिक ढांचा हीं ढह गया था क्योंकि जो बड़े-बड़े धंधे और कारखाने थें, जो भारतीय छोड़कर गए थें, वो वहां के आम लोगों को चलाने हीं नहीं आएं। वो इस काबिल थें हीं नहीं कि ढंग से बड़े-बड़े धंधों-कारखानों को चलाया जा सकें
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Jul 1, 2022 6 tweets 2 min read
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ट्विटर पर कुछ लिबरल लोग और कुछ लिबरल पत्रकार बोल रहें हैं कि CBI का ग़लत इस्तेमाल हों रहा हैं, राजनीतिक नेताओं को दबाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा हैं। मैं बिल्कुल सहमत हूं इस बात से, लेकिन संस्थाओं का ग़लत इस्तेमाल 2014 के बाद से हीं शुरू नहीं हुआ हैं
+++ बल्कि लाल बहादुर शास्त्री जी के बाद जब इन्दिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं, तभी से इस संस्था का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा हैं। इस संस्था का निमार्ण शास्त्री जी के समय हीं हुआ था, जब वो देश के गृहमंत्री थें।
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Mar 15, 2022 4 tweets 1 min read
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भारत में धर्म को लेकर इतनी दिक्कत और धर्म का बोलबाला इसलिए हैं क्योंकि आज़ादी के बाद से हीं यहां की सरकार ने धर्म का प्रचार किया हैं और धर्म के ग़लत प्रभाव को नहीं समझा और इसलिए भारत में इतना धार्मिक आन्धापन हैं।
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नास्तिकता या तर्कवाद का कोई नामोनिशान तक नहीं दिखता भारतीय समाज में। भारतीय भौतिकवादी दर्शन (चार्वाक दर्शन) सिर्फ किताबों तक सीमित हैं। चीन में लगभग 70% जनता नास्तिक-तर्कवादी हैं, क्योंकि PRC (चीन) की स्थापना से हीं वहां के नेताओं ने नास्तिकता
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Aug 28, 2021 5 tweets 2 min read
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भारत में नास्तिकों की संख्या 1% भी नहीं है और यहां पर धर्म की आजादी है, लेकिन फ्रांस में 40% तक नास्तिकता हैं, मतलब 40% लोग नास्तिक हैं और वहां भी धर्म की आजादी है लेकिन धर्म और राज्य अलग-अलग है, इसकी वजह से फ्रांस शिक्षा, स्वास्थ्य आदि स्तर पर काफी आगे हैं+ 2

ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि फ्रांस में क्रान्ति (फ़्रान्सीसी क्रान्ति) हुईं है और एक अच्छा खासा सोशल चेंज आया हैं और राजनीतिक बदलाव भी आया हैं वहां के समाज में और वहां के लोगों ने इस बदलाव को अपनाया भी है लेकिन भारत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ+
Aug 18, 2021 5 tweets 3 min read
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@AmrullahSaleh2 जो अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति थें, उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति होने का दावा किया हैं और बोला हैं कि अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के ना होने पर उपराष्ट्रपति हीं देश का राष्ट्रपति माना जाएगा++

@AmrullahSaleh2 की एक दिन पहले की तस्वीर 👇 2

इस वक्त @AmrullahSaleh2 अपने जन्मस्थान पजंशीर में हैं जहां तालिबान के विरुद्ध में युद्ध जारी हैं, @AmrullahSaleh2 Northern alliance के समर्थन से तालिबान से मुकाबला करने की योजना बना रहें हैं+++
Aug 17, 2021 6 tweets 4 min read
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तालिबान आज हकीकत बन चुका हैं, और आतंकवाद दल ना होकर एक राजनीतिक दल की तरह बर्ताव कर रहा हैं और आने वाले समय में चीन और पाकिस्तान जैसे देश तालिबान की सरकार को और तालिबानी अफगानिस्तान को मान्यता देने वाले हैं+

#Afganistan
#AfganistanWomen 2

और कुछ समय बाद क्या पता @UN भी मान्यता दे हीं दे तालिबान सरकार को और इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान को, लेकिन अब समय हैं कि @UN_Women @unwomenarabic @unwomenindia जैसे विश्व के तमाम महिलावादी संगठनों को तालिबान पर जोरदार दवाब बनाना चाहिए कि+
Aug 16, 2021 4 tweets 1 min read
तुम तालिबान के समर्थक नहीं हों, अच्छी बात हैं। मैं राजनितिक इतिहास का छात्र हूं इसलिए मुझे पता हैं कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में क्या किया और इराक़ में भी क्या किया सद्दाम हुसैन के बाद+ लेकिन तुम तो ऐसे बोल रहें हों कि जैसे कि 2001 से पहले जब तालिबान की सरकार थीं अफगानिस्तान में तो वहां के लोगों की हालत बहुत अच्छी थीं?? टीवी, रेडियो आदि सब बन्द था और महिलाओं के लिए आफिस, स्कूल, कॉलेज आदि के ताले बन्द थें, उस समय में भी बहुत बूरी हालत थीं+
Aug 14, 2021 5 tweets 2 min read
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मोलाना हसरत मोहानी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (पूर्ण रूप से कम्युनिस्ट दल) के संस्थापकों में से एक थें, हसरत मोहानी ने पहली बार "इंकलाब जिंदाबाद" का इस्तेमाल किया. स्वामी कुमारानन्द और कामरेड हसरत मोहानी ने भारत के लिए पहली बार पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की थीं+ हसरत मोहानी ने अपने कम्युनिस्ट रवैए के कारण अंग्रेजों की जेल में भी काटी।
विभाजन का विरोध किया और भारत में हीं रहें।
Aug 9, 2021 4 tweets 2 min read
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जैसे कल दिल्ली में धार्मिक उन्माद का माहौल बनाया गया कुछ कट्टरवादियों द्वारा और एक समुदाय को टारगेट किया गया वैसा हीं माहौल विभाजन के पहले और विभाजन के बाद तक था, लेकिन उस समय देश के प्रधानमंत्री बन्द कमरे में बैठकर दाढ़ी नहीं बढ़ाते थें+

@puru_ag @Ashok_Kashmir 2

बल्की उस समय के प्रधानमंत्री नेहरू बिना किसी अंगरक्षक के सड़कों पर बेखौफ होकर उतरते थें, कभी धार्मिक उन्माद को देखकर गाड़ी से उतर जाते फिर उससे मुक़ाबला करते और उस धार्मिक उन्माद को कम करने की कोशिश करते+
Aug 5, 2021 5 tweets 2 min read
थॉमस सान्कारा एक अफ्रीकी मार्क्सवादी, लेनिवादी क्रान्तिकारी कामरेड थें जिन्हें अफ्रीका का 'चे ग्वेरा' भी कहां जाता हैं, ये Upper Volta के प्रधानमंत्री भी रहें और बाद में बुर्किना फासो (Upper Volta का नाम बदलकर बुर्किना फासो रखा गया) के राष्ट्रपति का पद भी संभाला+ सत्ता में आते हीं इन्होंने समाजवादी नीतियों को लागू करने और गैरबराबरी को जड़ से खत्म करने की शुरुआत की और महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया. सरकार में महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित की और महिलाओं के जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए कई कानून भी लाएं गए+
Jul 28, 2021 4 tweets 2 min read
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महाराष्ट्रा का दलित पैंथर आंदोलन (संगठन) का मकसद था ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद से लड़ना और इन दोनों का वर्चस्व ख़त्म करना, डॉ आंबेडकर भी मानते थे कि मजदूरों के दो शत्रु हैं पूंजीवाद और ब्राह्मणवाद. दलित पैंथर अमेरिका के ब्लैक पैंथर से प्रेरणा लेकर बना था+ ImageImage 2

अमेरिका का ब्लैक पैंथर एक अति वामपंथी क्रान्तिकारी संगठन था जो साम्राज्यवाद, नस्लवाद और पूंजीवाद के खिलाफ लड़ रहा था, असल मायनों में देखा जाएं तो दलित पैंथर एक क्रान्तिकारी संगठन था जिसने वामपंथियों और आम्बेडकरवादी को करीब लाने का कार्य किया हैं+
Jul 27, 2021 4 tweets 1 min read
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आज Tunisia (ट्यूनीशिया) में आपातकाल लगा हैं वहां के राष्ट्रपति ने वहां के प्रधानमंत्री और वहां की सरकार को बर्खास्त कर दिया हैं इसका कारण हैं बेरोजगारी और भुखमरी, ट्यूनीशिया के राजनीतिक लोगों का कहना हैं कि ये एक तख्तापलट हैं+

#Tunisia 2

और ख़ास बात ये हैं कि वहां की काफी जनता ने राष्ट्रपति के इस फैसले का समर्थन किया हैं।
वैसे ये वो हीं ट्यूनीशिया हैं जहां से Arab Spring की शुरूआत हुई थीं, क़रीब 10 साल पहले पुलिस की तानाशाही और शासकीय तानाशाही से तंग आकर ट्यूनीशिया के एक सब्जी वाले ने खुद को आग लगा दीं थीं+
May 4, 2021 4 tweets 2 min read
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आज नेहरू जी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर होते तो ऐसे समय में नए संसद भवन बनाने का विरोध करते, नेहरू होते तो आपदा के समय फाल्तू खर्चे का काफी विरोध करते और नेहरू होते तो पटेल शाहब का स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनने का भी पुर्ण रुप से विरोध करते बल्की उसकी जगह....

@puru_ag
@BabelePiyush 2

अस्पताल या कालेज बनाने समर्थन करते, यहां तक कि जब नेहरू‌ प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने गांधी जी का स्टेच्यू बनाने का भी विरोध किया, क्योंकि नेहरू विचारों में मानते थे वो गांधी जी को सिर्फ मुर्तियों में हीं दफन नहीं करना चाहते थे, जैसे आज की सरकार ने पटेल शाहब को............
Mar 26, 2021 5 tweets 2 min read
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कुछ हफ्ते पहले, दिल्ली के सराय काले खां में बाल्मिकी बस्ती में मारपीट होती है, बहुजनो के साथ, उनके जान माल नुकसान किया जाता है असमाजिक तत्वों द्वारा, लेकिन एक भी जो अपने आप बहुजन हितेषी बोलते हैं वो मठाधीश इस मामले कोई कार्यवाही या मदद के...
#DalitLivesMatter 2
लिए आगे नहीं आते, उनके मुंह से चू तक नहीं निकलती, अभी भी वो मठाधीश मुंह पर टैप लगा कर बैठे हैं, लेकिन मैं बोलुगा, खुल कर बोलुंगा, जिन्होंने ये तबाही मचाई है उन कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए, और जो बहुजन के नाम पर ट्विटर अकाउंट खोल कर बैठे हैं, और दल बना के बैठें....
Mar 20, 2021 4 tweets 2 min read
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सवाल सारे बेबुनियाद है, जो तोड़ मरोड़ कर पेश किए गए हैं, लेकिन ज़वाब देना जरूरी है, जब 1913 में स्कालरशिप मिली उससे पहले बाबा साहेब बि ए पास हों चुके थे, मतलब काफी शिक्षा हों चुकि थी, काफी रोड़े अटकाए गए शिक्षा में उसके बावजूद भी..
@vijaypks51
@NavalKishore01
@Ashok_Kashmir 2
बाबा साहेब बि ए तक पढ़े और आगे पढ़ने कि इच्छा जताई, लेकिन उस समय तक पिताजी की मौत हो गई थी पैसे की तंगी थी, उसी समय बडोदा सरकार 4 छात्रों को स्कालरशिप देकर बाहर भेजकर पढ़ाने वालीं थी, बाबा साहेब ने महाराजा सयाजी राव गायकवाड़ को सारी अपनी परेशानी बताई और बाबा साहेब की..