In 2012 ITV News Network (NewsX & India News Channels) acquired MJ Akbar's weekly newspaper Sunday Guardian (That time MJ was part of Congress)
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Claim 01: Daily Guardian is a mimic of UK's 'The Guardian'
Fact: On Feb 2021, ITV group launched a daily called 'Daily Guardian' mimicking its parent publication 'Sunday Guardian', not mimicking UK's Guardian
From this logic, TOI & Times Now are mimic of TIMES
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Claim 02: Internationally renowned Guardian newspaper was criticizing Modi, So someone from UP created a website called Daily Guardian to post news praising Modi
Truth: ITV Network, is a media group founded in 2007, owned by Kartikeya Sharma. (3/n)
Have you remembered the ‘toolkit’ during Farmer’s protest & how anti India lobby worked worldwide? Now, when India is facing the pandemic, the same ecosystem is ready with new ‘toolkit’
Modi’s Rally, Kumbh & other Hindu Festivals (1/n)
They started target the Modi’s leadership (2/n)
Then, target was ‘Vaccine Maitri’ & Indian diplomacy (3/n)
कमजोरी नहीं, पीएम मोदी का सबसे बड़ा हथियार है चुप्पी!
बंगाल में हो रही हिंसा पर चुप हैं
कोरोना पर लगे आरोपों पर चुप हैं
पीएम मोदी ने जब जब चुप्पी साधा है तब तब मजबूत होकर निकले हैं
ये पहली बार नहीं है, जब मोदी के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठे हैं, उनकी राजनीति को खत्म होता हुआ मान लिया गया है, उनको भयावह आलोचना का सामना करना पड़ा है या फिर उन पर पूरी तरह फेल होने का आरोप चस्पां किया गया है.
जब भी ऐसा मौका आया है, मोदी ने चुप्पी ही साधी है. जवाब दिया है तो अपने काम से, अपने प्रदर्शन से. जब भी उन्हें खत्म मान लिया गया, वो फीनिक्स जैसे तेजी से उठ खड़े हुए है और इस दौरान चुप्पी उनका सबसे बड़ा हथियार रही.
कृषि विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनो से पास हो गया अब इस विधेयक का खेल देखिये।
कृषि विधेयक नोटबंदी पार्ट 2 है।
जैसे नोटबंदी से ब्लैक मनी का जखीरा दबाए रखने वाले नेस्तनाबूद हो गये थे, वैसे ही इस बिल से पंजाब और महाराष्ट्र के दो दिग्गज बर्बाद हो गये। #FarmersBill +
Via: Whatsapp
पंजाब के सुखबीर बादल और महाराष्ट्र के शरद पवार की बैंड ब्याज गई
सुखबीर के 'सुखबीर एग्रो' को कम से कम 5000 करोड़ सालाना की आय होती थी। वे एफ सी आई के और किसानों के बीच के कमिशन एजेंट थे। उनकी कंपनी को 2.5% कमिशन मिलता था। सारे वेयरहाउस उन्ही के थे। +
बगैर 'सुखबीर एग्रो' का ठप्पा लगे कोई किसान एक टन गेहूं एफ सी आई को बेच नहीं सकता था। एक झटके में सब बर्बाद हो गया।+