ईसाइयत को लेकर अब IMA के अंदर ही बगावत शुरू हो गई है? IMA के डॉक्टर जितेंद्र नागर ने ईसाई धर्मांतरण पर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल से इस्तीफा मांगा है, ओर आयुर्वेद को सराहा.
IMA के अध्यक्ष प्रोफेसर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल के खिलाफ अब उसके ही संगठन में विरोध के स्वर फूटने लगे है।
IMA के ही एक डॉक्टर ने अब उसका इस्तीफा माँगा है।डॉक्टर जितेंद्र नागर ने कहा कि जहा वो एक तरफ ‘एविडेंस बेस्ड’ एलोपैथी पर गर्व करते हैं, वहीं दूसरी तरह हमारे पूर्वजों की महान वैदिक विरासत आयुर्वेद का भी सम्मान करते है।उन्होंने डॉक्टर JA जयलाल का इस्तीफा माँगा है।
डॉक्टर जितेंद्र नागर ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि IMA के मुखिया ईसाई धर्मांतरण के कटु एजेंडा का प्रचार-प्रसार करने में लगे हुए हैं, ऐसे में वो जब तक इन सबसे पाक-साफ़ होकर नहीं निकलते, उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
उन्होंने IMA को एक पत्र लिख कर संगठन के अध्यक्ष पर सोशल मीडिया पर लगे आरोपों के सम्बन्ध में आगाह किया।उन्होंने कहा कि डॉक्टर JA जयलाल ईसाई मिशनरी एजेंडा का उपदेश देने और प्रचार-प्रसार में लगे हुए है।
Note :- फोटो डॉक्टर जितेंद्र नागर की है.
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मुझे वामपंथी गिद्धों से सख्त घृणा है लेकिन उनकी इस बात की तारीफ करनी होगी कि वे अपने अस्तित्व के खतरे को भांपने में बहुत माहिर और सतर्क होते हैं
याद होगा कि जब किसी को रति भर भी अंदेशा नहीं था कि गुजरात के तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी कभी देश के PM बन सकते है
तब सबसे तेज गति से सूंघने वाले वामपंथी गिद्धों को यह आभास हो गया था कि यह व्यक्ति देश का PM बनने का माद्दा रखता है
और उनका आभास कितना सही साबित हुआ
जब बीजेपी के बड़े से बड़े नेता और हमारी
मातृ संस्था आरएसएस तक को मालूम नहीं था कि नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री बन सकते है
बल्कि खुद नरेंद्र मोदी को भी मालूम नहीं होगा कि देश का वे कभी नेतृत्व कर सकते हैं
तब भी वामपंथी गिद्धों ने खतरे को भांपते हुए तत्कालीन केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा उनके खिलाफ एक से बढ़कर एक षड्यंत्र शुरू कर दिया
बीजेपी के केवल नरेंद्र मोदी ही मुख्यमंत्री नहीं थे
# *मैं_हूं_भारत* 🇮🇳
बड़ी खबर: 6स्टील्थ पनडुब्बियों के लिए 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की खरीद को मंजूरी।
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इस प्रोजेक्ट को स्वदेशी कंपनी माझगांव डॉक्स लिमिटेड और L&T को सौंपा गया है. इस प्रोजेक्ट के लिए ये दोनों कंपनियां किसी एक विदेशी शिपयार्ड
के साथ मिलकर पूरे प्रोजेक्ट की जानकारी सौंपेंगी और बिड लगाएंगे.
क्या है प्रोजेक्ट 75-I :
समुद्री इलाकों में अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए भारतीय नेवी ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. इसके अंतर्गत 6 बड़ी सबमरीन बनाई जानी हैं जो डीज़ल-इलेक्ट्रिक बेस्ड होंगी.
इनका साइज मौजूदा स्कॉर्पियन क्लास सबमरीन से पचास फीसदी तक बढ़ा होगा.
भारतीय नेवी द्वारा सबमरीन को लेकर जो डिमांड्स रखी गई हैं, उसमें वह हैवी-ड्यूटी फायरपावर की सुविधा चाहती है. ताकि एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के साथ-साथ 12 लैंड अटैक क्रूज मिसाइल को भी तैनात किया जा सके.
चिदम्बरम 10 साल तक मंत्री रहते जिस घर में रहते थे वह बंगला उन्होंने अपनी पत्नी के नाम लिया था दोनों उसी में रहते थे लेकिन भारत सरकार से पत्नी को मकान मालिक दिखाकर 20 लाख रूपए हर महीना किराया लेते थे।
दूसरा नया संसद भवन बन रहा है
यानि "सेंट्रल विस्टा"
भारत सरकार के 30-40 मंत्रालय किराये की बिल्डिंग में चलते हैं। एक मंत्रालय का किराया एक साल का 20-25 करोड़ हैं और अधिकांश मंत्रालयों के मकान मालिक कांग्रेसी व वामपंथी है।इसीलिए नया संसद बनने का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि नये संसद में सारे मंत्रालय शिफ्ट हो जायेंगे तो काँग्रेसीयो
और वामपंथियों को किराया मिलना बंद हो जायेगा, नये संसद भवन के निर्माण में कुल 975 करोड़ का खर्चा आएगा।
आज 30-40 मंत्रालयों का किराया ही पूरे एक साल का लगभग 1000 करोड़ है। यानिकी केवल 1 साल के किराये से नया संसद भवन तैयार हो जाएगा।
इसीलिए कांग्रेसी सेंट्रल विस्टा का निर्माण
#इतिहास_और_इतिहासकार1
भारत में इतिहास पहले से ही ब्रिटिशों ने अपनी सत्ता के औचित्य को सिद्ध करने के लिये अपनी सुविधानुसार लिखवाया जिसके कारण भारतीय इतिहासकार जिस बौद्धिक हीनताबोध के शिकार हुए उससे वे आज तक उबर नहीं पाये।
रोमिला थापर, डी एन झा और इरफान हवीब जैसे वामपंथी-मुस्लिम
इतिहासकारों से तो कभी उम्मीद थी ही नहीं लेकिन आर सी मजूमदार और ए एल श्रीवास्तव जैसे इतिहासकार भी अपने इतिहासबोध को ब्रिटिश-वामपंथी लॉबी के दवाब में खो बैठे जिसका एक उदाहरण आपको देता हूँ।
ईरान के बेहिस्तुन अभिलेख, पर्सीपोलिस व नक्श ए रुस्तम अभिलेख के आधार पर ईरानी डंके की चोट
पर भारत के व्यास तक के भाग को दरायस प्रथम के साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं और उसके साम्राज्य में दिखाते हैं जबकि सत्य यह है कि भारत में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं जिससे इस तथ्य की पुष्टि होती हो लेकिन भारतीय इतिहासकारों ने उनके इस तथ्य वैसा के वैसा स्वीकार कर लिया।
शाहू महाराजांच्या नंतर महाराष्ट्राने पेशवाई नाकारली?
मग 1818 मध्ये भीमा कोरेगाव ला दुसरा बाजीराव
(मराठासाम्राज्याचा अखेरचा पेशवा)छत्रपती प्रतापसिंह राजे भोसले ह्यांच्या गादीशी इमान राखून लढला
ते प्रतापसिंह राजे भोसले हे शाहूंचे वंशज नव्हते?
ती लढाई जर बाजीराव 1 टा लढतो तर
ब्रिटिश नेतृत्व stautan ला सळो की पळो करून सोडतो
पण त्याच्यावर छत्रपतींना सातार ला पोचवण्याची ही तितकीच निकडीची जबाबदारी ऐन वेळी आली
'भीमा-कोरेगाव':
सुमारे २०३ वर्षांपूर्वी झालेल्या एक छोट्याश्या लढाईची आठवण अगदी न चुकता येते - ती म्हणजे भीमा कोरेगावची लढाई. ही लढाई जरी दुसऱ्या बाजीराव पेशव्याच्या आणि ईस्ट इंडिया कंपनीच्या सैन्यात झाली असली तरी पेशव्याच्या सैन्याप्रमाणे कंपनीच्या सैन्यातही अनेक जाती-धर्मांचे
400 बिलियन डॉलर कमा कर देने वाला #चीन का #गोंगजाउ इस समय #कोरोना की महामारी से त्रस्त है। हॉस्पिटल्स के बाहर कई-कई किलोमीटर की लाइनें लगी हुई हैं। 500 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द कर दी गयी हैं और पूरे शहर को एकदम से सील कर दिया गया है। लाखों लोग संक्रमित हो रहे है।
और असंख्य लोग मर रहे हैं। पर चीन कहता है कि सिर्फ़ 20 लोग संक्रमित हुए हैं। अब चीन तो चीन है वहा कौन सा नेता @RahulGandhi,@ArvindKejriwal, है? कौन से @aajtak या @ndtv जैसे चैनल हैं वहां कौन से @ravishndtv,@BDUTT हैं, वहां कौन से अवार्ड वापसी गैंग है?
वहां कौन से @shahrukh_35,@Javedakhtarjadu सरीखे लोग हैं जो यह पता चलेगा कि 20 नहीं 2 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं और लाखों लोग तो मर भी चुके हैं।
खैर
हमें क्या❓
जहाँ तक मानवाधिकार की बात करें तो यह मनुष्य जाति पर एक बहुत बड़ी त्रासदी है।