28450 वर्ष पुरानी भगवान शिव के कल्पविग्रह मूर्ति का रहस्य 🙏🏻
यह बात सन 1959 की है , जब चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया था । उस समय वहाँ कई बौद्ध भिक्षुओं को पकड़कर जेल में डाल दिया गया था।
परंतु वहाँ के एक बौद्ध हाम्पा साधु ने , जो कि हम्पा रक्षक साधु होते हैं , उन्होंने कुछ गुप्तचरों के सहयोग से भगवान शिव की एक छोटी-सी मूर्ति को अमेरिका की गुप्तचर संस्था में भिजवा दिया था।
यह लगभग 5.3 सेमी लंबा और लगभग 4.7 सेमी चौड़ा है, एक अंडाकार आधार 2.5 सेमी लंबा और 1.7 सेमी चौड़ा और वजन लगभग 47.10 ग्राम है।
सीआईए ने जब इस मूर्ति को कार्बन डेटिंग हेतु कैलिफोर्निया विकिरण प्रयोगशाला में भेजा , तो वहाँ पर इन्हें जो बात पता चली , उससे सभी अवाक् रह गए ।
इस मूर्ति को कल्पविग्रह कहा जाता है ।
यह मूर्ति 28450 वर्ष पुरानी है । आधुनिक विज्ञान द्वारा ऐसा माना जाता है कि इतने वर्ष पहले न तो कोई भाषा थी , न तो कोई तकनीक थी , न ही किसी को किसी धातु का विशेष ज्ञान था ; तो फिर काँसे की मूर्ति कैसे बनायी गयी होगी ?
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चित्रदुर्ग क़िला, कर्नाटक के चित्रदुर्ग ज़िले में पहाड़ी की चोटी पर एक विशालकाय पत्थरों से बना किला है। इस किले को चित्त्तलदूर्ग भी कहा जाता हैं। चित्रदुर्ग क़िला की संरचना बचाव की मुद्रा में है।
क़िले का निर्माण 10वीं से 18वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था, इस क़िले में निर्माण में मुख्य योगदान चालुक्य, होयसला और विजयनगर साम्राज्य का था।
किले के ऊपरी हिस्से में 18 मंदिर हैं, और निचले किले मे एक विशाल मंदिर भी हैं जो देवी को समर्पित है।
इनमें से, हिडिम्बेश्वरा मंदिर सबसे पुराना और सबसे दिलचस्प है चित्रदुर्ग किला महाभारत महाकाव्य के हिडिम्बा रक्षा की जगह भी माना जाता है। यहां के प्रमुख मंदिर हैं जिनमें से गोपाला कृष्णा, नंदी, सुबराया, एकाननाथम्मा, भगवान हनुमान, फल्नेश्वर, और सिद्देश्वर हैं।