सुनील
हे LW अपुऱ्या महितीवरच आपले मत बनवतात आणि ब्राम्हण द्वेषापोटी हुज्जत घालत बसतात
मी त्याला शेवटी बोलायला लावले व शेवटी सांगितले की तू स्वतः शोध कोण झालाय ब्राम्हणेतर सरसंघचालक
द्वेष इतका आहे की देशाच्या प्रेसिडेंट ला ही हुजऱ्या म्हणून बसवला असे बोललाय
त्याला हे ही माहिती
नसेल की रामनाथ कोविंद हे संघ प्रचारक असताना संपूर्ण उत्तरप्रदेशात सायकल ने फिरून संघ वाढवलाय,एक बाजूला मी असेही म्हणेन की UP मधील संघाच्या ताकदीत रामनाथ कोविंद ह्यांचा सिंहाचा वाटा आहे.
तेच कोविंद राष्ट्रपती झालेत आणि काही दिवसांपूर्वी जेंव्हा ते आपल्या जन्मभूमी ला आले.
विमानातून
उतरल्यावर त्यांनी अचानकपणे तिथल्या मातीला नमस्कार करून तिथली माती स्वतःच्या भाळी लावली आणि तोच क्षण कॅमेराने टिपला
कोविंद असे काही अचानकपणे करतील ह्याची कल्पना तिथल्या कोणालाच नव्हती
त्या फोटोवरचे ही त्याचे भाष्य बघा
शेवटी त्याला बोललो की तूच त्या सरसंघचालकाचे नाव शोधून कधी की जो
ब्राम्हणेतर झाला.हाताच्या बोटावर मोजता येतील व लगेच सर्च केल्यावर समजेल
अश्या हिंदुद्वेषी लोकांना आपण कितीही सांगितले तरी त्यात खोट काढून स्वतःचाच अजेंडा पुढे रेटायचा असतो.लक्ष देऊ नका.त्यालाच शोधू देत,स्वतःची शंका स्वतःच काढू देत.
जगजाहीर असून देखील ह्यांच्या मनात किती विष आहे
बघा.
ह्यांना असे माहितीय की सरसंघचालक हा ब्राह्मण चा होतो किंवा असतो
त्यांनी ह्याकडे लक्ष दिलेलाच नाही की जगातल्या ह्या सर्वशक्तिमान संघटनेचा प्रमुख ब्राम्हणेतर ही झालेला आहे.आपण सांगितले तर विश्वास ठेवणार नाहीत
स्वतःच शोधू देत
सगळे कॉन्व्हरसेशन बघा
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमी
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*🇮🇳वन्देमातरम् गीत के रचेता बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती है आज*
*महान कवि, अद्भुत उपन्यासकार और राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की रचना करके करोड़ों भारतीयों के मन में राष्ट्र उपासना व मातृभूमि के लिए सेवा भाव जागृत करने वाले महान रचनाकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी को उनकी जयंती पर
शत्-शत् नमन।*
*स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान "वंदेमातरम"गीत ने जनमानस में राष्ट्रीयता की अलख जगाई थी. आज भी राष्ट्रीय गीत सुनकर,प्रत्येक भारतीय गर्वित अनुभव करता है. इसी राष्ट्रीय गीत के रचेता
बंकिमचंद्र चटर्जी की आज जयंती है.अपने गीत से उन्होने शस्यश्यामला भारत भु की पूजा अर्चना की
बंकिमचंद्र चटर्जी को प्रख्यात उपन्यासकार,कवि, गद्यकार और पत्रकार के रूप में जाना जाता है. वे बांग्ला के अतिरिक्त, दूसरी भाषाओं पर भी समान अधिकार रखते थे. उन्हें लोग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के नाम से भी जानते हैं.*
*राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम् की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने
सरकारी नोकरीत यायच्या अगोदर 93 साली मी खाजगी कंपनीत जॉब ला होतो.
तिथे आमचा समवयस्क ग्रुप होता.त्यातील 1 मित्राचे त्याच्या गावी नगर ला लग्न ठरले
तोपर्यंत त्याच्या आडनावा वरून तो आम्हाला हिंदू च वाटे,आणि मित्रांच्यात कसले धर्म नी काय
त्याच्या लग्नाची पत्रिका ती कंपनीत घेऊन आला
आणि रजेवर गेला.आम्हीही कसला ही दुजाभाव न ठेवता लग्नाला गेलो.सगळं उरकल्यावर हे बेणं आलं.
नाही म्हटलं तरी कट्टरता माझ्या रक्तात भिनलेली
मी थोडे अंतर राखले होते
त्याने नंतर नाक खुपसायला सुरुवात केली,कारण आता तो कोण आहे हे समजलं होतं आणि हिंदू काय ऐकून घेतो आणि स्वतःच चेष्टा ही करतो
श्रीकृष्णाच्या पत्नींचा विषय निघाल्यावर म्हणतो 16K बायका? काय वाट्टेल ते?
मी तरीही त्याला नेमका विषय समजावून सांगितला
तू म्हणतोयस किंवा जे म्हटले जाते,तसा विषय हा नाहीये, त्याचा अँगल वेगळा आहे
त्याला पटेल नाही पटेल मला पर्वा नव्हती
मला फक्त विषय काढायला संधी हवी होती
@AnandSharmaINC
*"जब मोदी पैदा भी नही हुए थे तब से काँग्रेस सत्ता में है।"*
आनन्द शर्मा
प्रवक्ता @INCIndia
*कंस भी सत्ता मे था,जब श्रीकृष्ण पैदा नहीं हुए थे, फिर पता है ना क्या हुआ?*
*अब गटर खोले हो तो आगे और सुन लीजिये*
*जब मोदीजी पैदा भी नहीं हुए थे।*
*तब काँग्रेस ने इस देश के 2 टुकड़े कर दिये थे।*
*जब मोदीजी के बड़े भाई भी पैदा नहीं हुए थे।*
*तब काँग्रेस ने 1/3 ने कश्मीर पाक को बेच दिया था।*
*जब मोदी जी बोलना भी नही सीखे थे।*
*तब कांग्रेसीराज मे प्रयागराज के कुंभ मे भगदड़ में 10Kलोग मर गए थे।*
*जब मोदी जी तुतलाते थे।*
*तब काँग्रेस ने चीन को तिब्बत दबोचने दिया था।*
*जब मोदी जी महज 16 साल के थे यानी स्कुल पुरा किया था।*
तब काँग्रेस ने लालबहादुर शास्त्री जी को रास्ते से हटा दिया था।*
*जब मोदीजी उम्र 17 शूरू हुयी थी।*
*तब काँग्रेस सरकार ने गोरक्षा आंदोलन करते 5k से ज्यादा
काँग्रेस के साथ गजब का संयोग जुडा है
देश का प्रथम PM जवाहर मो.नेहरू,वो मरा उसके बाद दुसरे PM बने परमपूज्य लालबहादुर शास्त्रीजी. शास्त्रीजी के रहस्यमय मृत्यू (हत्या)के बाद
PM बनी तथाकथित Rयन लेडी इंद्रा.
उसका वध होने बाद PM बना राजीव गांधी.
राजीव का सबके सामने वध होने के बाद ही
PM बने आधुनिक भारत के चाणक्य कहे जानेवाले
आदरणीय श्रीमान P V नरसिंहराव
जबतक नरसिंहराव की मृत्यू नही हुयी थी,तबतक काँग्रेस सत्ता से बाहर थी।
श्रीमान P V नरसिंहराव के मृत्यूपश्चात ही काँग्रेस सत्ता पे आसीन हुयी और PM बना 1 कठपुतली मौनीबाबा
अभी जबतक ये मौनीबाबा इस धरातल पे कही भी
सांस ले रहा है,तबतक अगर ये संयोग सच मे है तो काँग्रेस को सत्ता से बाहर रहना ही होगा
अभी मौनीबाबा अपनी जिंदगी का मॅच खेलते
89 रन्स निकाल चुका है।
जैसे उसका पदलोलुपता का जो इतिहास रहा है, उसकी तरफ ध्यान दिया तो ये मौनीबाबा कम से कम
100 रन्स की फिराक मे होगा ही होगा।
मोदी शाह धैर्य से काम ले रहे है,अगर कल्याण सिंह और अटलजी को लोगो ने धोखा नही दिया होता तो आज मोदी ओर शाह खुलकर बताते की तांडव कैसे होता है। हम हिन्दुओ ने अनेक बार जात पात ओर व्यक्तिगत लालच में अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। अयोध्या में ढांचा गिरने के बाद यूपी में बीजेपी के
कल्याणसिंह की सरकार को काँग्रेस ने गिराया, जब चुनाव हुए तो हिन्दुओ ने कल्याणसिंह को इनाम देने की बजाय जिहादियों के साथ मिलकर कारसेवकों पर गोली चलाने वाले मुलायम को सत्ता में बिठाया, वही अटलजी के साथ किया। आज सबको अटलजी महान लगते है,पर यही वो जनता है जिसने अटलजी जैसे पुण्य आत्मा
को 5 साल में हटा दिया और जिहादी काँग्रेस वामपंथी गठजोड़ को 10 साल हिलने नहीं दिया। हिन्दुओ की यही व्यक्तिगत स्वार्थ में किधर भी पलट जाने की नीति मोदीशा को तांडव करने से रोका हुआ है ,वरना ये डकैत,खालिस्तानी वामपंथी जितने संगठन है ये फटीचर खड़े_खड़े_मुत_दे पर क्यों की जातीय ढाल
भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की प्लानिंग बहुत माइक्रोलेवल पर चल रही है।कहते हैं बूंद बूंद से सागर भरता है।भारत मे जिहाद इसी योजना पर चल रहा है।UP के ATS ने परसो 2 मौलानाओं को जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया है।
जबरन धर्मांतरण के आरोपी इन मौलानाओं ने
बताया कि वो अब तक 1000 से ज्यादा लोगों को मुसलमान बना चुके है।लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि इन मौलानाओं ने अपना टारगेट किसको चुना? इन्होंने टारगेट किया,दिव्यांग बच्चों को।इन्होंने सबसे पहले ऐसे NGO से संपर्क किया जो दिव्यांग बच्चों की देखभाल करते हैं फिर इन NGOको मोटी रकम देने का
लालच दिया।फंड की कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि फंड तो इनको ISI से मिल ही रहा था,जैसा कि UP ATS ने बताया।
NGO फंड के लालच में आ गए।इसके बाद इन दिव्यांग बच्चों के मन में उनके मूल धर्म के प्रति घृणा का भाव भरा गया और फिर उन्हें कलमा पढ़वा दिया गया।