#ऋषि_पाराशर

संसार के अन्य महाद्वीपों के लोग जब वर्षा , बादलों की गड़गड़ाहट के होने पर भयभीत होकर गुफाओं में छुप जाते थे ... जब उन्हें एग्रीकल्चर का ' अ ' भी मालूम नहीं था । उससे भी हजारों वर्ष पूर्व ऋषि पाराशर मौसम व कृषि विज्ञान पर आधारित
भारतवर्ष और विश्व के किसानों के मार्गदर्शन के लिए " कृषि पाराशर " नामक ग्रंथ की रचना कर चुके थे ।

कृषि पराशर' में कृषि पर ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव, मेघ और उसकी जातियाँ, वर्षामाप, वर्षा का अनुमान, विभिन्न समयों की वर्षा का प्रभाव, कृषि की देखभाल, बैलों की सुरक्षा, गोपर्व,
गोबर की खाद, हल, जोताई, बैलों के चुनाव, कटाई के समय, रोपण, धान्य संग्रह आदि विषयों पर विचार प्रस्तुत किए गए हैं।

ग्रंथ के अध्ययन से पता चलता है कि पराशर के मन में कृषि के लिए अपूर्व सम्मान था। किसान कैसा होना चाहिए, पशुओं को कैसे रखना चाहिए, गोबर की खाद कैसे तैयार करनी चाहिए और
खेतों में खाद देने से क्या लाभ होता है, बीजों को कब और कैसे सुरक्षित रखना चाहिए, इत्यादि विषयों का सविस्तार वर्णन इस ग्रंथ में मिलता है।

हलों के संबंध में दिया हुआ है कि ईषा, जुवा, हलस्थाणु, निर्योल (फार), पाशिका, अड्डचल्ल, शहल तथा पंचनी ये हल के आठ अंग हैं। पाँच हाथ की हरीस,
ढाई हाथ का हलस्थाणु (कुढ़), डेढ़ हाथ का फार और कान के सदृश जुवा होना चाहिए। जुवा चार हाथ का होना चाहिए।

इस ग्रंथ से पता लगता है कि पराशर के काल में कृषि अत्यंत पुष्ट कर्म थी।

कृषिपाराशर 'ग्रन्थ में जल संसाधनों से सिंचाई के साधनों के सभी विवरण मिलते हैं और
तीन खंडों में लिखा गया यह लघु ग्रंथ वृष्टि ज्ञान , मेघ का प्रकार , कृषि भूमि का विभाजन , कृषि में काम आने वाले यंत्रों का वर्गीकरण आकार प्रकार , वर्षा जल के मापन की विधियां , हिंदी महीने पूस के महीने में वायु की गति व दिशा के आधार पर 12 महीनों की बारिश का अनुमान व मात्रा का
प्रतिशत निकालने की विधि ! बीजों का रक्षण , जल रक्षण की विधियां कृषि में काम आने वाले वाहक पशुओं की देखभाल पोषण व उनके प्रबंधन के संबंध में अमूल्य जानकारी निर्देश दिया गया है ! महर्षि पाराशर ग्रंथ में लिखते हैं जीवन का आधार कृषि है कृषि का आधार वृष्टि अर्थात बारिश है हर किसान को
बारिश के विषय में जरूर जानना चाहिए महर्षि पाराशर ने अपने ग्रंथ के द्वितीय खंड वृष्टि खंड में बादलों को4भागों में वर्गीकृत किया है बादलों का यह वर्गीकरण उनके आकार पैटर्न के आधार पर किया गया है ज्ञात हो आधुनिक मौसम विज्ञानी भी कंप्यूटर मॉडल एल्गोरिदम के तहत इसी कार्य को आज कर रहेह
पंडित जी ने अपने ग्रँथ मैं बादलों को चार भागों मैं बाटा है
( 1 ) आवरत मेघ
( 2 ) सम्रत मेघ
( 3 ) पुष्कर मेघ
( 4 ) द्रोण मेघ ! पहले वाला मेघ एक निश्चित स्थान में बारिश करता है दूसरा मेघ एक समान बारिश करता है तीसरे मेघ से बहुत कम वर्षा होती है चौथे मेघ से उत्तम वर्षा होती है
महर्षि पाराशर का मत है 2,3 दिवस पूर्व बारिश का पूर्वानुमान कोई लाभकारी नहीं होता किसान के लिए ! पूरे वर्ष के लिए बारिश की मात्रा के लिए ज्ञात करने के लिए एक विधि विकसित की ! इसके तहत उन्होंने वर्णन किया है कि पूस महीने के 30 दिन को 60 घंटे के 12 भागो में विभक्त कर प्रत्येक
दिन के सुबह शाम के 1:00 1 घंटे में वायु की गति व दिशा के आधार पर पूरे वर्ष के लिए वर्षा की मात्रा वह किन किन तिथियों में वर्षा होगी उसका विश्लेषण किया जा सकता है मित्रों आपको जानकर अपार हर्ष होगा वर्ष 1966 में काशी के राजा स्वर्गीय पंडित विभूति नारायण सिंह के निर्देश पर एक
प्रयोग किया गया था जिसमें महर्षि पाराशर कि इस विधि को एकदम सटीक पाया गया था
अब बात हम महर्षि पाराशर के ग्रंथ की कृषि खंड की करते हैं ! महर्षि पाराशर ने कृषि भूमि को तीन भागों में विभाजित किया अनूप कृषि भूमि , जांगल कृषि भूमि विकट भूमि ! पहली से दूसरी दूसरी से तीसरी भूमि को कृषि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया ! कृषि खंड में उन्होंने बताया किस महीने में
बीजों का संग्रह करना चाहिए बीजों की रक्षा कैसे करनी चाहिए बीजों का रोपण किस विधि से होना चाहिए ! कृषि कार्य में खगोलीय घटनाओं नक्षत्र आदि के प्रभाव का भी उन्होंने विस्तृत वर्णन किया है ! सचमुच अतीत का भारत विश्व गुरु था ! जहां जान विज्ञान कला कौशल की भरमार थी कोई ऐसा क्षेत्र है
जहाँ हमारे महर्षि मुनियों ने अमूल्य गर्न्थो की रचना ना की हो

जय सनातन संस्कृति
यही है ब्राह्मणवाद

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18 Jul
गौतम बुद्ध दो हुए एक ब्राह्मण कुल मैं जन्मे भगवान विष्णु का अंशावतार थे और

दूसरे कपिलवस्तु में जन्मे गौतम बुद्ध क्षत्रिय राजकुमार थे। Image
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18 Jul
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17 Jul
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उग्रसेन के चचेरे भाई कुंतीभोज निःसंतान थे। शूरसेन ने कुंतीभोज को अपना पहला बच्चा उन्हें देने का वादा किया जो कि एक बालिका थी और उन्होंने अपना वादा निभाया और बालिका को दे दिया
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कुंती छोटी थी और कुमारीत्व थी
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16 Jul
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चौरासी लाख योनि के बाद प्राप्त जीवन के लिए धर्म के पथ का अनुसरण करें! मोक्ष की ओर बढ़ो।

मोक्ष प्राप्त करने के लिए यह मानव जन्म देने के लिए आपको सबसे पहले परमात्मा का आभारी होना चाहिए।

तो चलिए शुरू करते हैं...
गरुड़ पुराण के अनुसार 84 लाख जीव चार श्रेणियों में विभक्त हैं
१)अंडे से पैदा हुआ,
२) पसीने से,
3) अंकुरण के माध्यम से,
४) माँ के गर्भ या जरायुज से पैदा हुए स्तनधारी।

मनुष्य जरायुज श्रेणी के अंतर्गत हैं। उन्हें फिर से वर्गीकृत किया गया है
और उनके व्यवसाय के अनुसार उप वर्गीकृत। जीव के पांच कर्म हैं भोजन, निद्रा, भय, क्रोध और मैथुन। आपको दो आंखें, हाथ और पैर भी सजीवों के लिए समान दिख सकते हैं। लेकिन मनुष्य और अन्य प्राणियों के बीच मुख्य अंतर यह है कि मनुष्य के पास विवेक है
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15 Jul
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धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर के जन्म के बाद,
हस्तिनापुर राज्य काफी खुश था और समृद्ध था। तब यह निर्णय लिया गया कि हस्तिनापुर का राजा पांडु होना चाहिए क्योंकि धृतराष्ट्र अंधे थे और विदुर दासी के पुत्र थे।

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उनका मन कुंतीभोज की बेटी कुंती और राजा सुबल की बेटी गांधारी पर था लेकिन

भीष्म को पता चला कि गांधारी को महादेव से वरदान मिला था कि वह 100 पुत्रों को जन्म देगी इसलिए भीष्म ने एक दूत को गांधार भेजा। लेकिन राजा सुबल थोड़े भ्रमित थे क्योंकि धृतराष्ट्र अंधे थे,
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15 Jul
#रावण_का_हवाई_मार्ग_से_दृष्टिकोण

पुष्पक विमान पर सवार होकर तथा लंका से हवाई मार्ग से यात्रा करते हुए रावण समुद्री तट का सर्वेक्षण करता हुआ , लंका से पंचवटी की ओर बढ़ रहा था । वह समुद्री तट हजारों प्रकार के फूलों तथा फलों के पेड़ों से आच्छादित था । वहाँ पर स्वच्छ जल के सुंदर
सरोवर भी मौजूद थे और महान ऋषियों के आश्रम भी दिखाई पड़ रहे थे यह समुद्र तट रेखा हंसों , हिरणों , बगुलों कछुओं तथा सारसों के साथ मनोरम प्रतीत हो रही थी
वह तटरेखा कमल के सरोवरों , नारियल , साल और ताड़ के वृक्षों से अलंकृत हो रही थी और यह केलों के उपवनों से मनोरम प्रतीत हो रही थी
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