#रावण_का_हवाई_मार्ग_से_दृष्टिकोण

पुष्पक विमान पर सवार होकर तथा लंका से हवाई मार्ग से यात्रा करते हुए रावण समुद्री तट का सर्वेक्षण करता हुआ , लंका से पंचवटी की ओर बढ़ रहा था । वह समुद्री तट हजारों प्रकार के फूलों तथा फलों के पेड़ों से आच्छादित था । वहाँ पर स्वच्छ जल के सुंदर
सरोवर भी मौजूद थे और महान ऋषियों के आश्रम भी दिखाई पड़ रहे थे यह समुद्र तट रेखा हंसों , हिरणों , बगुलों कछुओं तथा सारसों के साथ मनोरम प्रतीत हो रही थी
वह तटरेखा कमल के सरोवरों , नारियल , साल और ताड़ के वृक्षों से अलंकृत हो रही थी और यह केलों के उपवनों से मनोरम प्रतीत हो रही थी
दिलचस्प बात यह है कि महर्षि वाल्मीकि के अनुसार रावण ने दक्षिणी समुद्र तट पर लंका और दक्षिण भारत में केले के उपवन देखे । हमें यह जानने की जरूरत है कि केला , जो कि इन दिनों भारत में बहुत उगाया जाता है , वह 5000 वर्ष ई.पू. के आसपास दक्षिणी भारत में प्रचुर मात्रा में उगता था ।
परंतु तब उत्तरी भारत में यह प्रचलित फल नहीं था । प्लांटैन एक प्रकार का केला है , जिसका मूल भारतीय है । यह तुलना में थोड़ा मोटा होता है और 5000 वर्ष ई.पू. में भारत के तटीय क्षेत्रों तथा श्रीलंका में पाया जाता था लव - कुश द्वारा राम दरबार में दिए गए केले के ये संदर्भ भी
रामायण के संदर्भो की पुरातात्त्विक खगोलीय तिथियों की पुष्टि करते हैं ।

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with पंडित विशाल श्रोत्रिय

पंडित विशाल श्रोत्रिय Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @aadhyatmik_

16 Jul
आप कितने भाग्यशाली हैं कि आपको यह मानव जन्म मिला है

चौरासी लाख योनि के बाद प्राप्त जीवन के लिए धर्म के पथ का अनुसरण करें! मोक्ष की ओर बढ़ो।

मोक्ष प्राप्त करने के लिए यह मानव जन्म देने के लिए आपको सबसे पहले परमात्मा का आभारी होना चाहिए।

तो चलिए शुरू करते हैं... Image
गरुड़ पुराण के अनुसार 84 लाख जीव चार श्रेणियों में विभक्त हैं
१)अंडे से पैदा हुआ,
२) पसीने से,
3) अंकुरण के माध्यम से,
४) माँ के गर्भ या जरायुज से पैदा हुए स्तनधारी।

मनुष्य जरायुज श्रेणी के अंतर्गत हैं। उन्हें फिर से वर्गीकृत किया गया है
और उनके व्यवसाय के अनुसार उप वर्गीकृत। जीव के पांच कर्म हैं भोजन, निद्रा, भय, क्रोध और मैथुन। आपको दो आंखें, हाथ और पैर भी सजीवों के लिए समान दिख सकते हैं। लेकिन मनुष्य और अन्य प्राणियों के बीच मुख्य अंतर यह है कि मनुष्य के पास विवेक है
Read 12 tweets
15 Jul
हस्तिनापुर के राजा बने पांडु / राजा सुबल की बेटी गांधारी के साथ धृतराष्ट्र की शादी / गांधारी ने उसकी आँखों पर रेशमी कपड़ा क्यों बांधा? / शकुनि गांधारी को हस्तिनापुर ले गया और शादी की सारी रस्में पूरी कीं

धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर के जन्म के बाद,
हस्तिनापुर राज्य काफी खुश था और समृद्ध था। तब यह निर्णय लिया गया कि हस्तिनापुर का राजा पांडु होना चाहिए क्योंकि धृतराष्ट्र अंधे थे और विदुर दासी के पुत्र थे।

तब भीष्म ने तीन भाइयों का विवाह कराने का निश्चय किया उसके बाद उनके पास 2 विकल्प थे
उनका मन कुंतीभोज की बेटी कुंती और राजा सुबल की बेटी गांधारी पर था लेकिन

भीष्म को पता चला कि गांधारी को महादेव से वरदान मिला था कि वह 100 पुत्रों को जन्म देगी इसलिए भीष्म ने एक दूत को गांधार भेजा। लेकिन राजा सुबल थोड़े भ्रमित थे क्योंकि धृतराष्ट्र अंधे थे,
Read 6 tweets
15 Jul
विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का महत्त्व

विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

चरक जैसे महान आयुर्वेद के जनक ने अपने ग्रंथ चरक संहिता में बुखार की चिकित्सा के बारे में कहा है
विष्णु रं स्तुवन्नामसहस्त्रेण ज्वरान् सर्वनपोहति।’’

विष्णु सहस्त्र नाम के पाठ से ज्वर यानि बुखार का नाश होता है, रोगी के द्वारा न हो सकें तो विद्वान धर्मनिष्ठ ब्राह्मण से पाठ कराना चाहिए।
भीष्म पितामह ने बताई थी इसकी महिमा

महाभारत के समय में जब भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटकर अपनी मृत्यु के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे, तब युधिष्ठिर ने उनसे ज्ञान पाने की इच्छा जाहिर की. युधिष्ठिर ने पूछा कि ऐसा कौन है जो सभी जगह व्याप्त है और जिसे सर्वशक्तिशाली माना जाए,
Read 7 tweets
14 Jul
नियोग अनुष्ठानों की सहायता से वेद व्यास के माध्यम से धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर का जन्म

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, राजमाता सत्यवती हस्तिनापुर और कुरुवंश वंश के बारे में चिंतित थी।
तब भीष्म ने सत्यवती को सुझाव दिया कि वे किसी गुणी ब्राह्मण को बुलाएँ

विचित्रवीर्य की पत्नियां अंबिका और अंबालिका गर्भवती थीं। सत्यवती ने भीष्म के सुझाव पर एक शर्मीली मुस्कान दी और फिर अपनी जन्म कहानी सुनाई सत्यवती तब भीष्म से अपने
पुत्र मे वेद व्यास को नियुक्त करने का अनुरोध करती है भीष्म ने भी इसे स्वीकार कर लिया। तब सत्यवती ने एकाग्रचित्त होकर अपने पुत्र वेदव्यास के विषय में विचार किया और क्षण भर में ही वेद मन्त्रों की शक्ति से वेदव्यास उनके सम्मुख खड़े हो गए।
Read 18 tweets
14 Jul
श्रीराम व लक्ष्मण को साथ लेकर महामुनि विश्वामित्र मिथिला की ओर जाते वक्त उत्तर प्रदेश के आज के सन्त कबीरनगर से होकर गुजरते है सन्त कबीरनगर मैं खुदाई मैं मिले प्रमाण

इस जिले में लहुरादेवा नामक स्थान पर की गई खुदाई में ऐसे अनेक साक्ष्य उपलब्ध हुए हैं।
जो वाल्मीकि रामायण के संदर्भो का संबंध 7000 वर्ष पूर्व की सभ्यता अर्थात् रामायण काल से स्थापित करते हैं । पुरातत्त्वविदों ने इस स्थल पर 7000 वर्ष पूर्व से लेकर ईसाई युग की शुरुआत तक पाँच सांस्कृतिक कालक्रमों के सतत विकास को दर्शाया है । लहुरादेवा में कृष्ट चावल ,
सुसज्जित बर्तनों के ठीकरे , अर्धकीमती पत्थरों के मोती , ताँबे के तीर का फल व धनुष का किनारा आदि अनेक कलाकृतियाँ उत्खनन में मिली हैं तथा इनकी कार्बन डेटिंग इन्हें 7000 वर्ष पुराना बताती है । वाल्मीकि रामायण में इन सभी वस्तुओं का उल्लेख किया गया है ।
Read 6 tweets
13 Jul
भगवान राम के जन्म का वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वाल्मीकिजी द्वारा रामायण में वर्णित खगोलीय विन्यासों का अर्थ ।

प्राचीन भारत के आधारभूत खगोलीय ज्ञान की जानकारी के बिना श्रीराम के जन्म के समय के आकाशीय दृश्य तथा खगोलीय विन्यास की स्पष्ट जानकारी समझ नहीं आ पाएगी ।
वैदिक खगोलशास्त्र की आधारभूत जानकारी से परिचित हो जाने के पश्चात् और प्लैनेटेरियम और स्टेलेरियम जैसे आधुनिक सॉफ्टवेयर द्वारा प्राप्त किए गए आकाशीय दृश्यों में दृष्टिगोचर खगोलीय विन्यासों के साथ उनकी तुलना करने पर हमें यह ज्ञात होता है कि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रामायण में वर्णित
खगोलीय स्थितियाँ कितनी परिशुद्धता के साथ दी गई है । शायद महर्षि वाल्मीकि विश्व के पहले महान् खगोल वैज्ञानिक थे , जिन्हें दृष्टिगोचर ग्रहों तथा नक्षत्रों की इतनी विस्तृत जानकारी थी । जब कौशल्या ने श्रीराम को जन्म दिया था , उस समय सूर्य , शुक्र , मंगल , शनि , और बृहस्पति
Read 10 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(