कृषि बिल वापस हो जाना या लागू रहना
हार या जीत
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ये किसान बिल किसी के हार जीत का सवाल नहीं है, मै गत कई सालों से इनकमटैक्स दे रहा हूँ, लेकिन न तो इंदिरागांधी, राजीवगांधी, देवेगौड़ा, वाजपेई, मनमोहन सिंह ने कभी मुझसे पूछा : मैं टैक्स के रेट तय कर रहा हूँ, बता तुझे
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क्या चाहिए ! मैं ही क्यों, करोड़ों लोग टैक्स देते हैं लेकिन क्या सरकारें उनसे पूछकर टैक्स दर तय करती हैं? आज हमारे देश में करोड़ों लोग कार, आटो , ट्रक वगैरा चलाते हैं, क्या RTO और पुलिस द्वारा लगाए जाने वाले कायदे और दंड इन सब से पूछकर बनाए गए हैं ?
आरक्षण का Bill संसद मे
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नेहरू सरकार ने सामान्य वर्ग से पूछकर बनाया था? अगर नहीं तो वो भी वापिस ले सरकार
कानूनी तौर पर देखे तो कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है और हर एक कानुन में समय समय पर संशोधन किया जाता है, हमारे संविधान में भी समय-समय पर संशोधन हुए हैं
कृषि आंदोलन में और एक दलील दी जा रही है
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कि बड़े उद्योगपति किसानों से 10 रुपए किलो माल खरिदकर अपने शॉपिंग मॉल में ₹100 किलो बेचेंगे... ! अगर ऐसी बेतुकी दलील दी गई तो हर एक को अपना बिजनेस बंद करना पड़ेगा. आज फाइव स्टार होटल किसानों से 50 रुपए लीटर दूध लेकर 400 रुपए का एक चाय बेचते हैं, पिज्जा वगैहरा भी 10-20 रुपए के
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टमाटर, प्याज वगैहरा लगाकर 200-300 रुपए में एक बेचा जाता है, तो क्या ये किसानों के साथ अन्याय हो रहा है? मल्टिप्लेक्स मे 100 रुपए में एक समोसा बेचा जाता है, तो जो बाहर ठेले पर 10 रुपए में समोसा बेचता है उसके साथ अन्याय हो रहा है? ग्राहक अपनी मर्जी का मालिक है, वो जो चाहे जहां से
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चाहें अपनी मर्जी से खरीदे, उसमें किसी के साथ न्याय-अन्याय की बात कहां है?
और कांट्रेक्ट फार्मिंग तो हमारे देश में, लैज, अंकल चिप्स, अमुल, आशीर्वाद आटा, पतंजलि, डाबर, हिमालय, हल्दी राम, पेप्सीको वगैरा बहुत सारी कंपनियां बरसों से कर रही है, क्या कोई किसान नेता बता सकता है कि इन
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कंपनियों ने कितने किसानों की जमीन-जायदाद, गाय-भैंस अबतक छिनी है?
इस आंदोलन में एक और बात बोली जा रही है कि, किसान बिल से मंडिया खत्म हो जाएगी ! ऐसी बात है तो क्या DHL, Blue Dart, वगैरा आने से पोस्टल विभाग बंद किया गया? प्राइवेट स्कूलों को सरकार द्वारा इजाजत देने से सरकारी
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स्कूल बंद हो गए हैं? अशोका, रिलायंस इंफ्रा, L&T इंफ्रा वगैरा आने से सरकार का PWD विभाग बंद हो गया? क्या ICICI,AXIS BANK, HDFC को सरकार ने इसलिए इजाजत दी की SBI बंद करना है ? ... उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो ये ऐसी बेतुकी दलील है कि, हमें सिर्फ दुरदर्शन देखना है क्यों कि वो फ्री
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है, इसलिए सरकार टाटा स्काई, डिश टीवी, नेटफ्लिक्स वगैरा को यहां आने इजाजत ना दे, अगर वो आ गए और हमने उनको किसी महिने का पेमेंट नहीं किया तो वो हमारा TV अपने नाम कर लेंगे
अब कानून की ही बात करें तो, ये जो अपने आप को किसान नेता बताते हैं क्या ये उनके खेत में काम करने वाले मजदूरों
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को कानून के तहत सैलरी और अन्य सुविधाएं देते हैं? अगर उन्हें सच में उद्योगपतियों से इतनी ही नफरत है तो उनको अपने खेत में ट्रैक्टर, पाईप, बोरवेल, पानी मोटर, कीटनाशक, प्लास्टिक वगैरा इस्तेमाल करना बंद करना चाहिए, क्योंकि वो भी किसी बिजनेसमैन ने ही बनाया है
अगर ऐसी ही सड़कों को
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बंद कर कानून वापसी की मांग हुई तो कल धारा 370, तीन तलाक वापस करने के लिए लोग सड़कों पर उतरेंगे ! कल दहेज मांगने वाले सड़कों पर उतरेंगे की दहेज प्रथा तो बरसों से चली आ रही है इसका कानून हमें नहीं चाहिए , अब भीड तय करेगी कि देश में कौनसा कानून चाहिए और कौनसा नहीं?
इसलिए सरकार
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तुष्टिकरण बंद करे, अमीर किसानों को income tax के दायरे में लाए, अगर खेती लाभ दायक नहीं है तो छोड़ दे, अगर किसी दुकानदार की दुकान ना चले तो क्या सरकार उसके कर्जे माफ करती है? दुकानदार छोड़ो, गरीब से गरीब मजदूर, वॉचमैन, नाली साफ करने वाले सफाईकर्मी इनका भी कभी कर्जा माफ नहीं होता
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यदि ये नया कृषि कानून गलत है, तो क्या पुराना वाला सिस्टम सही था? अगर पुराना वाला सिस्टम सही था तो पिछले 70 सालो से मेरे देश के किसानों की हालत खराब क्यों है और अब तक लाखों किसानों ने आत्महत्या क्यों की है?
अन्त में मैं इतना ही कहूंगा कि कोई भी व्यक्ति इस कानून का एक भी क्लॉज
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ऐसा बता दे कि ये किसान विरोधी क्लॉज है। इस कानून में ये प्रावधान किया गया है कि ट्रेडर को किसान की फसल की पेमेंट same day करनी होगी, यदि किसी उचित कारण से same day नहीं भी कर पाता है तो उसको same day लिखित में देना होगा कि किसान की इतनी पेमेंट due है और वो पेमेंट उसको तीन दिन
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के अन्दर अवश्य करनी पड़ेगी। इस कनून में सबसे अच्छा प्रावधान ये किया गया है कि कोई भी ट्रेडर बिना पैन कार्ड के किसी भी किसान की फसल नहीं खरीद सकता। और यही प्रावधान किसान आंदोलन में बैठे हुए आढ़तियों के गले की फांस बना हुआ है क्योंकि पैन कार्ड पर खरीदी गई फसल दर्ज होने से सरकारी
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विभागों को दफ्तर में बैठे बैठे ही पता चल जाएगा कि फलां ट्रेडर के पास फलां फसल की कितनी मात्रा पड़ी हुई है और ऐसा होने पर वो अनावश्यक जमाखोरी नहीं कर पाएंगे और उनको खरीदी हुई फसल पर पूरा GST और पूरा इनकम टैक्स भरना पड़ेगा। सिर्फ इसी कारण से इस कानून का इतना जोरदार विरोध हो रहा
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है....
ये न भूलें के नरेन्द्र मोदी CM + PM हैं (13+7 साल) और अपनों को एक पैसे का फायदाा नहीं दिया।जो अपने सगे सम्बन्धियों के लिए कुछ नहीं करता क्या वह अडानी, अम्बानी के लिए करेगा ? यह केवल विरोधियों की चाल है। मोदी केवल देशहित में सोचता है देश के लिए क्या उत्तम होगा वही करता
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है। चालों से सावधान रहें।
साथियों बुरा लगा हो क्षमा करें....
हिंदुत्व जिंदाबाद.... 🚩जय श्री राम🚩
🚩हर हर मोदी🚩
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अकबर प्रतिवर्ष दिल्ली में नौ रोज़ का मेला आयोजित करवाता था....! इसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था....! अकबर इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देती.... उसे उसकी दासियाँ छल कपट से अकबर के सम्मुख ले जाती थी....
एक दिन नौ रोज़ के मेले में महाराणा प्रताप सिंह की भतीजी, छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह की पुत्री मेले की सजावट देखने के लिये आई....! जिनका नाम #बाईसा_किरण_देवी था... जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ था! बाईसा किरण देवी की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर क़ाबू नहीं रख
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पाया.... और उसने बिना सोचे समझे ही दासियों के माध्यम से धोखे से ज़नाना महल में बुला लिया.... जैसे ही अकबर ने बाईसा किरण देवी को स्पर्श करने की कोशिश की.... किरण देवी ने कमर से कटार निकाली और अकबर को ऩीचे पटक कर उसकी छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी.... और कहा नीच....नराधम,
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पेट्रोल दर प्रतिलीटर -
भारत- १०७ INR
जपान - १५४ NPY
पाकिस्तान - ११८ PKR
नेपाल - १२९ NPR
श्रीलंका - १८४ LKR
मी पॅट्रोल दरवाढीचं समर्थन करतोय?
त्याला स्वस्त ठरवतोय?
तर उत्तर आहे "मुळीच नाही"
फक्त ऐवढं की भारतात काही वेगळं घडत नाहीये तर अनेक
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देशांनी त्यांची शंभरी ओलांडली आहे पण काही लोकं ईथे एक खेळ खेळतात ते म्हणजे रूपयाची ईतर देशांच्या चलना बरोबर तूलना करून तेथील भाव स्वस्त ठरवण्याचा प्रयत्न करतात, लोकांच्या मनात हे भ्रम निर्माण करतात की आजूबाजूच्या देशात पॅट्रोल स्वस्त आहे व भारतातच कर वाढ केली जात आहे
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अरे पण १२९ NPR म्हणजे ८० भारतीय रूपये अस गणित मांडून तुम्ही नेपाळ मध्ये पॅट्रोल स्वस्त आहे असं म्हणाल पण तिथल्या लोकांना विचारा "१२९ NPR हा भाव स्वस्त आहे का?" उत्तर नाहीच मिळणार!
भारताप्रमाणे आजबाजूच्या देशांमध्येही रोज दरवाढ होतीये, पाकिस्तान मध्ये पण सतत करवाढ होतीये, नेपाळ
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एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से फोन पर बात करते समय पूँछ बैठी: ... बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या फुर्सत ही नहीं मिलती?
बेटे ने माँ को बताया - "माँ, मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ ...
मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ ...
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विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन... क्या आपने उसके बारे में सुना है ?"
उसकी माँ मुस्कुरा कर बोली - “मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ, बेटा ... मैं यह भी जानती हूँ कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है...“
“हो सकता है
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माँ !” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा ...
“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे सुनो,”
उसकी माँ ने प्रतिकार किया...
... “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है ? विष्णु के दस अवतार ?”
बेटे ने सहमति में कहा "हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"
मराठ्यांचा असा इतिहास जो प्रत्येक मराठ्याने आपल्या मुलाला वारंवार सांगावा...
मराठा कोण ???
जो सह्याद्रीच्या कुशीत जन्माला आला आणि ज्याची मातृभाषा मराठी आहे तो प्रत्येक जण मराठा आहे
आपण अजेय योद्धे आहोत, या देशाच्या गेल्या ५०० वर्षांच्या इतिहासात आसेतुहिमाचल ही भूमी आमचीच आहे
आणि हा आमचा देश आहे आणि याचे संरक्षण हा आमचा धर्म आहे हे मानून लढलेले एकमेव योद्धे आपण आहोत... आणि बाकीचे सगळे पानी कम आहेत हे सत्य आहे आणि हे त्रिवार सत्य आहे
पानिपतावर दत्ताजी शिंदे यांनी दिलेला बचेंगे तो और भी लडेंगे हा मंत्र हृदयी बाळगून शेवटपर्यंत लढलेले योद्धे आपण आहोत..
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पानिपतावर आपण जसे लढलो आहोत तसे आजवर पठाणांशी कोणीही लढलेला नाही, पठाणांना घाम फोडणारे आणि भीतीने लटालटा कापायला लावणारे आपणच..
मराठे आये या आरोळीला ऐकून पठाण सुद्धा मैदान सोडून पळाले आहेत...
शिखांना लाहोर शहर आपण जिंकून दिले आहे, शिखांच्या सुवर्णमंदिरात घुसलेल्या पठाणांना
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द्रमुकचे खासदार दयानिधी मारन संसदीय समितीची मीटिंग आटोपून इंडीगोच्या चेन्नईला जाणाऱ्या विमानात बसले, तेव्हा कॅप्टनने त्यांना विचारलं "तुम्ही या फ्लाईटमध्ये सुद्धा बरोबर आहात?" दयानिधींना आवाज ओळखीचा वाटला, त्यांनी होकारार्थी मान फिरवली
कॅप्टनने पुन्हा विचारलं की तुम्ही मला अजून
ओळखलं नाही का?
यावेळी मात्र दयानिधींना ओळखू आलं आणि त्यांना विश्वासच बसला नाही
दोन तासापूर्वी त्या समितीच्या मिटींगला उपस्थित असणारे माजी केंद्रीय मंत्री आणि खासदार RajivPratapRudy हे त्यांचे कॅप्टन होते
पेशाने पायलट असणारे राजीव प्रताप रुडी आपली खासदारकीचे कर्तव्य पूर्ण
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क्षमतेने पार पाडुनही अजून कॅप्टन म्हणून काम पाहत आहेत, त्यांच्या या कर्तव्यनिष्ठेचं कौतुक करावे तितके कमीच!
फेक सर्व्हेवर बेस्ट सीएमचे कौतुकसोहळे करणाऱ्या मीडियाने याही गोष्टींना प्रसिद्धी द्यावी........ हे असे आहेत मोदी सरकार चे खासदार, पिढीजात चमचा घेऊन जन्माला येणाऱ्यांची
#निडर_डरपोक
... मुरली... मूळचा केरळचा... मुरली संघाचा स्वयंसेवक... पूर्णवेळ काम करण्यासाठी प्रचारक म्हणून निघाला... संघाच्या योजनेतून त्याला आसामला पाठवण्यात आलं... ते ९० चं दशक होतं... तो काळ म्हणजे आसाम मध्ये उल्फाच्या देशद्रोही अतिरेकी कारवाया परमोच्च शिखरावर होत्या... उल्फा
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संघटनेचे वरिष्ठ नेतृत्व हे उच्चविद्याविभूषित, अत्यंत बुद्धिमान व चाणाक्ष परंतु भरकटलेले होते... आसाम हा आम्हाला वेगळा देश हवा... आम्हाला भारतात राहायचं नाही अशी धारणा असणाऱ्या उल्फाला आपल्या ध्येयपूर्ती मध्ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हा सगळ्यात मोठा अडसर वाटला नसता तरच नवल...
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... एक दिवस उल्फाच्या अतिरेक्यांनी मुरलीचे संघ कार्यालयातून अपहरण केले... मुरलीला त्यांनी समजवण्याचा प्रयत्न केला... आमचे तुझ्याशी काहीही वैर नाही... तू परत आपल्या घरी केरळला निघून जा म्हणून "प्रेमाचा" सल्ला दिला...
... मुरलीने केरळला परत घरी जाण्यासाठी जाण्याची तयारी दर्शवली
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