श्रावण का महीना आते ही हर कोई शिव की भक्ति में झूमने लगता है. इस पावन त्यौहार में पूरे उत्तर भारत और अन्य राज्यो से कावड़िये शिव के पवित्र धामो में जाते है तथा वहां से गंगाजल लाकर शिव का जलाभिषेक करते
है.
कावड़ियो को नंगे पैर बहुत दूर चलकर गंगा जल लाना होता है तथा शर्त यह होती है की कावड़ी, शिव कावड़ को जमीन में नही रखता. इस प्रकार शिव भक्त अनेक कठिनाइयों का समाना करके गंगा जल लाते है तथा उससे शिव का जलाभिषेक करते है.
परन्तु क्या आपने कभी यह सोचा है की आखिर वह कौन पहला
व्यक्ति होगा जो सबसे पहला कावड़ी था तथा जिसने सबसे पहले भगवान शिव का जलाभिषेक कर उनकी कृपा प्राप्त करी व इस परम्परा का आरम्भ हुआ.
एक बार राजा सहस्रबाहु ऋषि जमदग्नि के यहाँ पधारे। ऋषि जमदग्नि ने उनका बहुत अच्छी तरह से आदर सत्कार किया उनकी सेवा में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी .
सहस्त्रबाहु ऋषि के आदर सत्कार से बहुत ही प्रसन्न हुआ परन्तु उसे यह बात समझ में नहीं आ रही थी की आखिर एक साधारण एवम गरीब ऋषि उसके और उसकी सेना के लिए इतना सारा खाना कैसे जुटा पाया .
तब उसे अपने सेनिको से यह पता लगा की ऋषि जमदग्नि के पास एक कामधेनु नाम की दिव्य गाय है. जिससे कुछ
भी मांगो वह सब कुछ प्रदान करती है.
जब राजा को यह ज्ञात हुआ की इसी कामधेनु गाय के कारण ऋषि जमदग्नि संसाधन जुटाने में कामयाब हो पाया तो उस गाय को प्राप्त करने के लिए सहस्त्रबाहु के मन में लालच उतपन्न हुआ.
उसने ऋषि से कामधेनु गाय मांगी परन्तु ऋषि जमदग्नि ने कामधेनु गाय को देने
से मना कर दिया. इस पर सहस्रबाहु अत्यंत कोर्धित हो गया तथा उसने कामधेनु गाय को प्राप्त करने के लिए ऋषि जमदग्नि की हत्या कर दी.
जब यह खबर परशुराम को पता लगी की सहस्त्रबाहु ने उनके पिता की हत्या कर दी है तथा वह कामधेनु गाय को अपने साथ ले गया है तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए. उन्होंने
सहस्त्रबाहु के सभी भुजाओ को काट कर उसकी हत्या कर डाली.बाद में परशुराम ने अपने तपस्या प्रभाव से अपने पिता जमदग्नि को पुनः जीवनदान दिया. जब ऋषि को यह बात पता चला की परशुराम ने सहस्त्रबाहु की हत्या कर दी तो उन्होंने इसके पश्चाताप के लिए परशुराम जी से भगवान शिव का जलाभिषेक करने को
कहा.
तब परशुराम अपने पिता के आज्ञा से अनेको मिल दूर चलकर गंगा जल लेकर आये तथा आश्रम के पास ही शिवलिंग की स्थापना कर शिव का महाभिषेक किया व उनकी स्तुति करी .
जिस क्षेत्र में परशुराम ने शिवलिंग स्थापित किया था उस क्षेत्र का प्रमाण आज भी मौजूद है. वह क्षेत्र उत्तरप्रदेश में आता है
योगी श्री ब्रह्मचारी नर्मदाशंकर जी महाराज मूलतः यूरोप के देश आस्ट्रिया के निवासी हैं ....!!
आस्ट्रियन माता-पिता की संतान अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर 1984 में 21 वर्ष की उम्र में भारत भ्रमण हेतु हिमालय और अन्य जगह यात्रा करके गाँधी जी के आश्रम साबरमती आए .
वहां आश्रम में उन्होंने ओंकारेश्वर का एक चित्र देखा और पूछा कि..." ये कौन सी जगह है..? पता चला कि ओंकारेश्वर है ....!!
वो तस्वीर ऐसी भायी की ओंकारेश्वर पर्वत की ॐ सी दिखने वाली फ़ोटो को देखके वो उसकी ओर खींचे चले जाते हैं और उन्हें लगता है कि कोई शक्ति उनको ओंकारेश्वर
की तरफ खींच रही है ....!!
1984 में ओंकारेश्वर बेहद पिछड़ा सा इलाका था ..!! रात को किसी तरह एक धर्मशाला मिल गयी ..!!
थकान बहुत थी सो नींद जल्दी ही लग गयी..!!
सुबह होते ही जैसे ही बाहर का नज़ारा देखा कि ओंकारेश्वर से प्यार हो गया ....!!
Bhimbetka, the treasure of rock shelters, is believed to be home to many over centuries. One of the residents influenced the name.
What supports this legend are the names of the villages around Bhimbetka. One village is named Pandapur while Bhiyapura is believed to be derived
from Bhimpura. Legend says that the Lakhajuhar forest was once the wax (lakh) palace of the Pandavas.
These rock caves are believed to be the oldest petroglyphs in the world. Some of the rock paintings in the area are very similar to aboriginal rock art found in Australia and the
Paleolithic Lascaux cave paintings discovered in France. Despite there being more than 700 rock shelters, only 12 to 15 are open and accessible to visitors.
The sudden discovery of these caves allow us a rare opportunity to look into the past and the lifestyle of the times. It
A Temple bell have a scientific phenomena; it is not just your ordinary metal
It is made of various metals including cadmium, lead, copper, zinc, nickel, chromium & manganese.
These bells are made to produce such a distinct sound that
it can create unity of your Left & Right Brain
The bell produces sharp but lasting sound which lasts for minimum of 7 seconds in echo mode good enough to touch your 7 healing centres or chakras in your body.
The moment bell sound happens your brain is emptied of all thoughts.
Invariably you will enter state of Tran’s state where you are very receptive. This Trans state is the one with awareness
You are so occupied in mind that only way to awaken you is with a Shock!