Mughals too routed him in 50's and Marathas though lost but wiped off entire generations of Afghans at Panipat.
Abdali could never field any army that size or experienced. Real winners of 1761 were Sikhs who took the Kesariya to Pashtoon lands.
पेशवाओ ने सरदार रघुनाथ पंडितराव के हमलों के फलस्वरूप सन 1751 से उत्तर में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी । वे हरयाणा के जाट राजा सुरजमाल के साथ रोहिल्लो को जकड़ने में लगे थे ।
इस काम मे पेशवाओ के साथ आगरा से साबाजी शिन्दे और तुकोजी होल्कर भी मजबूती से घेराव कर रहे थे । सारा ध्यान रोहिल्ला मुल्ला नजीब जंग और मुग़ल की राजपूत रानी मालिका ज़मानी को पूर्वी दिल्ली और मेरठ में निस्तनाबूत करने में था
कि अचानक पठानों ने हरमिंदर साहेब , अमृतसर को नापाक कर दिया और स्वर्ण मंदिर तोड दिया ।।
सिख सरदार अवाक रह गए , उनके सबसे पवित्र स्थान स्वर्ण मंदिर के तालाब में पठानों का कब्जा हो गया था । गिनती के 15 हज़ार सिख अब पठानों की 40 हजारी फौज़ से कैसे लड़ते ?
सरहिन्द में सिखों के तीन बेहतरीन सरदार
१. जस्सासिंह अहलूवालिया , कपूरथला
२. अला जाट , पटियाला
३. जस्ससिंह रामगढ़िया ,
४. अज्ञात
इन्होंने लाहौर के पुराने मुघल गवर्नर अदीना बेग से मुलाकात की और चारो ने अमृतसर को मुक्त कराने पेशवा पंडितराओ राघोबा को संदेसे भेजे ।।
संदेसे 6 थे और इस प्रकार है ।
पंडितराव राजा राघोबा, सिरहिन्द में तुर्क पठान अब्दुस्समन्द खान आ गए है । हरमिंदर साहब नापाक कर दिया है । पवित्र मंदिर में बेग़ैरत लाशें है । दखखन की मदद जरूरी । वरना हिन्दूख़लसा का सफ़ाया होना तय है।
Read again "हिन्दूख़लसा "..रघुनाथराव ने पूर्व की मुहिम रोक दी और सिरहिन्द की ओर निकल पड़े और फरवरी में पेशवा , मराठो की भयंकर फौज़ के साथ पंजाब में घुस आए । अब यहां से शुरू हुई अमृतसर को मुक्त करने की कवायद ।।
इसमे मराठाओ के भगवा ध्वज के नीचे निम्नलिखित सरदार पहुंचे और सिखों के सबसे पवित्र स्थान को मुक्त कराने शुरू हुआ पठान - हिन्दू मराठा संघर्ष ।।
24 फरवरी : कुंजपुरा की जंग : कृष्णराव काले ( दीक्षित ) और शिवनायरायन गोसाइँ बुन्देला ने 2400 पठानों को मार कर खूनी जंग लड़ी ।
8 घण्टे की जंग के बाद यह किला जीत लिया गया । पंजाब में नंगी तलवारों के साथ मराठों का प्रवेश हुआ।।
8 मार्च : सिरहिन्द की जंग और 'मराठा सरदार': पेशवा रघुनाथराव, सरदार होलकर, सरदार सिन्धिया , सरदार रेंकोजी आनाजी , सरदार रायजी सखदेव , सरदार अंताजी माणकेश्वर , सरदार गोविंद पंत बुंदले
मानसिंग भट्ट कॉलिंजर , सरदार गोपालराव बर्वे , सरदार नरोपण्डित , सरदार गोपालराव बाँदा और कश्मीरी हिन्दूराव की 22 हज़ार हुज़ूरात फौज़ ने 3 दिन में सिरहिन्द जीत लिया । 10 हज़ार पठान मारे गए और उनका सरदार अब्दुस समंद खान को बंदी बना लिया गया ।।
ब अमृतसर की मुक्ति और पेशवाओ के बीच केवल एक जगह शेष थी - लाहौर
14 मार्च 1758
800 सालो में पहली बार किसी हिन्दू फौज़ का लाहौर में हमला भगवामय हिन्दू फौज़ पहली बार लाहौर में पहुंची। लाहौर में पठानो का राजकुमार " तैमूर खान " और " जहान खान " मजबूती के साथ मोर्चाबंदी किये हुए थे ।
पेशवा रघुनाथराव ने नरोपण्डित , संताजी और तुकोजीराव होलकर के साथ लाहौर के ऊपर पूरी ताकत से हमला किया । बाकी सरदारों ने लाहौर के साथ अमृतसर में धावा बोला । यह हमला इतना जोरदर था कि 5 km दूर खड़ी सिखों की फौज़ को पठानों की चीखें सुनाई देने लगी ।
मराठो के आ जाने से सिखों में जोश आ गया । अमृतसर और लाहौर के बीच 22 km में पठानों का क़त्लेआम शुरू हुआ । उनको हरमंदिर साहेब की सजा मिलनी शुरू हुई । शाम तक लाहौर से तुर्क और पठान निकाल ढिये गए और अमृतसर में रघुनाथराव का कब्जा हुआ ।
सिखों के स्वर्ण मंदिर में मराठा फौज़ ने प्रवेश किया और राघोबा ने आलासिंह जाट को मंदिर पुनर्निर्माण के लिए अफ़ग़ानों से लूटे गए दरफ़ात भेंट दिये । सीखों ने अहलूवालिया की सेनाओं ने अमृतसर को घेर लिया और स्वर्णमन्दिर के ऊपर खालसा ध्वज , मराठा शक्ति की मर्यादा से फिर फहराने लगा
जब दो वर्ष बाद मराठा शक्ति को पानीपत में जरूरत पड़ती है तो सिख शांत रहते है और मदद को नही आते। ऊपर जितने 'मराठा सरदारों के' नाम लिखे है , लगभग सभी पानीपत मे पठानों से लड़ते मारे जाते है। लेकिन मरते समय भी यह मराठे पठानों की हवा इतनी टाइट कर देते है कि पठान फिर भारत मे नही घुसते ।
Can read all this in @Kal_Chiron 's brilliant summary of @MulaMutha 's book as well..
20 years of “global war on terror,” the U.S. still does not grasp very basic, fundamental things about the nature of its adversaries, believing it can compartmentalize groups and geographical boundaries — such as the Taliban and Al- Qaeda or Afghanistan, Pakistan, and Iraq..
when what it is actually facing is a pan-Islamic global crusade whose elements are inextricably intertwined and ultimately control Pak & Iran.This misunderstanding is born of a Western analytical mindset tht struggles with an enemy that refuses to think in recognisable categories
— to whom nation state, nationalism or nationality are anathema. Because Western analysts have made a category error, incapable of understanding that Islamic groups do not identify as anything other than Muslim regardless of where they are located, same mistake is made by indians
There was point mentioned by @harshmadhusudan about yugdharma. Yes there are provisions for it and that is what Pitamah Bheeshma explained to Yudhisthir as well..May 8/10 tweet series. here I go../1
Emperor Janamejaya was justly shaken and expressed horror and disgust at earlier stories of copulating siblings, parent-offspring duos, parent-siblings with offsprings along with others. Rishi Vaishampayana replied, "Oh king, in those ancient times, that was the yuga-dharma"
So let me ask you again what Yudhisthir asked Bhishma & later asked by Janamejaya (Son of Parikshit), What is Dharma?
Continuation of pursuit & acceptance of history,the way Ved Vyas did without shame & embarrassment even though co habitant had started in Dwapar & Gotra system /3
Americans have not fought a peer power since 1942-42-WW2. There too Russians destroyed over 56% of German Armour and over 55% of manpower. Rest of the allies US/UK/France included managed mere 45%.
India on the other hand has fought two peer powers since independence and mostly come out on top except for 1962..
Russians too have fought peer power
Americans had industrial strength and that too is hollowed out to China. Now it is living on Petro-dollars
Democracy is overrated. All the current rich countries became rich much before they allowed universal franchise. We are not a nation but a crowd of idiots mostly.
I would prefer a monarchy over democracy. Monarch can plan for long time frame, without fear of vote considerations.
internally, a massive ghar wapsi campaign in order to assimilate the muslim population in national Dharmik mainstream is only options. 95% of them are anyway Hindu converts, leaving aside Ashrafs..
Can be accommodated in their castes.Reservation benefit will help bring them back
At an individual level, we must make it a habit to donate to temples a certain % of income -1% , devote some time every week- May be sunday as @KapilMishra_IND ji started. Bond well,Keep the temples clean & start doing prabhat pheri.
Work hard,make money & employ fellow Dharmiks
The taliban is not and has never been a monolithic force..Use them to fight them...There is no Mullah Umar now
I am repeating ad nauseam, with Talib takeover of Afghanistan, fight among warlords... Pakis may land up being strategic depth of Pashtoons rather the other way round as hoped by Pakis
You can never buy and Afghan, you can always rent one though. @DefenceMinIndia@PMOIndia We should look to buy the additional stock of Humvees and assault rifles (100000 or so) captured by Talibs through backchannel for cheap.
@DrSJaishankar , Smart think for us will be to quietly push the idea of splitting Afghanistan, nation created by Ahmad shah Durrani from patchwork of warring tribes after defeating them, into Pashtoon and merging non-pashtoon with their ethnic kin i.e. Tajik, Uzbek, Hazara..
With Pashtoon homeland in south, they can be happy running it as they want to.. whipping, stoning is all legit islamic. Why are we feeling sorry for them. Pashtoons want Sharia by Allah they would have it.
They can also align with their kin across Durand line, erase injustice
Pakjabis are the one who are helping them by bringing more islam.. used to be other way round. I am sure Pakjabis will be happy to le their islamic brothers - pashtoons unite with their kin straddling across Durand line..
I don't see any Indian dilemma at all..