बड़े ही शर्म की बात है कि #महाराज_विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था ।
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★उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी....2
सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य...बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए ...3
फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ।
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★आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है
अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था
भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, ....4
देश में बौद्ध और जैन हो गए थे ।
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★रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया
विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा.....5
जिसमे भारत का इतिहास है
अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे
हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे,
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए...6
, राज अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है ।
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★महाराज विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया
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उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है
विक्रमादित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे
भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमादित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर..8
विक्रमादित्य के सोने के सिक्के देख सकते है
★हिन्दू कैलंडर भी विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे।
विक्रमादित्य के ....9
काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था
विक्रमादित्य का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी ।
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महान क्रांतिकारी अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद 🙏🇮🇳 .. जी पर एक रोचक जानकारी.. #पूर्ण_चित्र
चंद्रशेखर आजाद जी को अपनी फोटो खिंचवाने से बड़ी चिढ़ होती थी लिहाज़ा बार - बार उनकी एकाध फोटो ही हमारे आसपास घुमती रहती हैं ।
आइए जानते हैं उस बेहद लोकप्रिय फोटो के बारे में जिसमें आजाद...2
अपने मूंछों पर ताव देते नजर आते हैं ।
काकोड़ी कांड के बाद अंग्रेज हाथ धोकर इस डाके में संलिप्त क्रांतिकारियों के पीछे पड़ गए थे । आजाद के साथियों की गिरफ्तारी का सिलशिला शुरू हो चुका था । चारों तरफ जासूसों का जाल बिछा हुआ था ।
आजाद जासूसों से बचते - बचते किसी तरह झांसी ...3
झांसी पहुंचे । वहां उन्होंने रूद्रनारायण सिंह " मास्टर जी " के आवास में शरण ली । मास्टर जी का आवास कला - संस्कृति और व्यायाम का केंद्र हुआ करता था । सरकारी जासूसों और नौकरशाहों का भी आना - जाना वहां लगा रहता था । इसलिए आजाद ने वहां रूकना मुनासिब नहीं समझा । लाख मना करने के ..4
--हमारे मनीषियों ने कहा है "भाव विद्यते देवता"हमारे शास्त्र पुराणों में ऐसे अनेक कथानक है जहां निश्चल पवित्र भाव के कारण भगवान को भक्तों की पुकार सुननी पड़ी जैसे मीराबाई सबरी स्वामी रामकृष्ण परमहंस,आदि, तुलसी बाबा ...2
बाबा श्री रामचरितमानस में लिखते हैं "निर्मल मन सो जन मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा"।। और इसलिए हम सभी को जहां भी जो भी अति सामान्य परिस्थितियों में श्रद्धा पूर्वक ईश्वर की साधना आराधना भक्ति कर रहा हो, हमें उसका सम्मान करना चाहिए उसे प्रणाम करना चाहिए, भले ही वह ...3
वैदिक पूजा पद्धति कर्म कांड के विषय में बिल्कुल भी समझ ना रखता हो, किसी भी प्रकार वह भगवन्नाम स्मरण कर रहा है,"भाव कुभाव अलख-आलसहूं, नाम जपत मंगल दिशि दसहूं।।
भाव पूर्वक भगवान को स्मरण करने पर भगवान खिचे चले आते हैं...4
बीजेपी नवंबर में राज्यसभा में बहुमत में आ जाएगी और 1 दिसंबर से 31 मार्च के बीच 25 नए बिल पास होंगे जिसमें जनसंख्या नियंत्रण बिल सबसे महत्वपूर्ण बिल है।
ध्यान में रखें कि यह समय हमारे लिए जिंदगी का सबसे कठिन समय होगा।......2
मेरा सभी से निवेदन है कि अभी से आप सब लोग तैयारी कर लें।
अपने आसपास वालों को सचेत कर लें। उन्हें समझा दें कि उस वक्त हमें बहुत समझदारी और ध्यान पूर्वक कार्य करना है।
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उस वक्त हमको हमारे परिवार व समाज के लोगों की सुरक्षा करना है।
अगर इसकी ....3
तैयारी अभी से नहीं की तो बहुत बड़ी दुर्घटना घट सकती है।
जब यह सब बिल पास होंगे तब पूरे देश में एक साथ एक बड़ा भूचाल आ सकता है।
आप की तैयारी हो या ना हो लेकिन विरोधियों की तैयारी जबरदस्त है।
उनकी तैयारी का नमूना दिल्ली और बेंगलुरु में देखा जा चुका है।.....4
एक रोचक जानकारी पढ़िए 🙏🌹 #वियतनाम विश्व का एक छोटा सा देश है। जिसने अमेरिका जैसे बड़े बलशाली देश को झुका दिया। लगभग 20 वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ। अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से एक पत्रकार ने एक सवाल पूछा...
जाहिर सी बात है कि सवाल .....2
यही होगा कि आप युद्ध कैसे जीते या अमेरिका को कैसे झुका दिया... ??
पर उस प्रश्न का दिए गए उत्तर को सुनकर आप हैरान रह जायेंगे और आपका सीना भी गर्व से भर जायेगा।
दिया गया उत्तर पढ़िये...!!
सभी देशों में सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान व श्रेष्ठ....3
व श्रेष्ठ भारतीय राजा का चरित्र पढ़ा।
और उस जीवनी से मिली प्रेरणा व युद्धनीति का प्रयोग कर हमने सरलता से विजय प्राप्त की..!!
आगे पत्रकार ने पूछा...
"कौन थे वो महान राजा ?"
मित्रों जब मैंने पढ़ा तब से जैसे मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया,, आपका भी सीना गर्व से भर जायेगा...!4
*औरंगजेब ने आगरा की राजामंडी बीच चौराहे बांधकर गोकुल सिंह जाट का रोज एक एक अंग अंग कटवा दिया* पर उन्होंने जाट शिरोमणि गोकुल ने *"अल्लाह हो अकबर"* नहीं कहा...
*पर राकेश टिकैत तो "अल्लाह हो अकबर" की माला फेर रहा है !* क्या *राकेश टिकैत को उसी वीर जाट कौम का वंशज माना जाए...2
, जिन का नारा* था, *"चलो रे जाट हिला दो दिल्ली के पाट"*।🚩
किसी भी जाट राजा ने ना तो इस्लाम स्वीकार किया, ना ही अपनी बेटियां दी।
*इस्लामिक आक्रांताओं से लड़ने वाली जाट कौम में यह "अल्लाह हू अकबर" के नारे लगाने वाला कहां से आ गया?*🤔
जाट रेजीमेंट का सिंहनाद पता है?
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*जंग में उतरने वाला जाट फौजी नारा लगाता* है, *"जाट बलवान, जय भगवान"*
*अब यह फैसला जाट समाज को करना है कि वह "जाट बलवान" वाले फौजी के साथ है या फिर "अल्लाह हू अकबर" वाले टिकैत के साथ।*
#गणपति क्यों बिठाते हैं ?
हम सभी हर साल गणपति की स्थापना करते हैं, साधारण भाषा में गणपति को बैठाते हैं। लेकिन क्यों? किसी को मालूम है क्या?
जानिए👇
हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि #वेद_व्यास ने #महाभारत की रचना की है, लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था।......2
अतः उन्होंने श्री #गणेशजी की आराधना की और गणेशजी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की। गणेशजी ने सहमति दे दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ। इस कारण गणेशजी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था।
इसलिये वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेशजी की पूजा की।
मिट्टी का लेप सूखने पर गणेशजी के शरीर में #अकड़न आ गई, इसी कारण गणेशजी का एक नाम #पार्थिव_गणेश भी पड़ा।
ये लेखन कार्य 10 दिनों तक चल अनंत चतुर्दशी को संपन्न हुआ।
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