#भगवान विश्वकर्मा जयंती की शुभकामनाएं

देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती आज 17 सितंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी। उन्हें विश्व का पहला इंजीनियर कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही इंद्रलोक, द्वारिका, जगरनाथ पुरी, भगवान शिव के त्रिशूल एवं Image
भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का निर्माण किया था इसलिए उन्हें देव शिल्पी भी कहा जाता है। आज कन्या संक्रांति है और इसी दिन ही उनकी जयंती मनाई जाती है।

षट्कर्म से लेकर रक्षाविधान तक यज्ञका कर्मकाण्ड कराएँ ।विशेष पूजन- सम्भव हो तो सभी के हाथ में अक्षत पुष्प दें,
फिर विश्वकर्मा देव का आवाहन करें।

"ॐ कंबासूत्राम्बुपात्रं वहति करतले पुस्तकं ज्ञानसूत्रम्।
हंसारूढस्त्रिनेत्रः शुभमुकुटशिरा सर्वतो वृद्धकायः।"
त्रैलोक्यं येन सृष्टं सकलसुरगृहं, राजहर्म्यादि हर्म्यं
देवोऽसौ सूत्रधारो जगदखिलहितः पातु वो विश्वकर्मन्।।
भो विश्वकर्मन्! इहागच्छ इह तिष्ठ,
अत्राधिष्ठानं कुरु- कुरु मम पूजां गृहाण।। "

प्रार्थना-
"नमामि विश्वकर्माणं
द्विभुजं विश्ववन्दितम्।
गृहवास्तुविधातारं महाबलपराक्रमम्।।
प्रसीद विश्वकर्मस्त्वं शिल्पविद्याविशारद।
दण्डपाणे! नमस्तुभ्यं तेजोमूर्तिधरप्रभो!"
उक्त स्तुति में विश्वकर्मा जी के हाथ में चार प्रतीक कहे गये हैं-
१. पुस्तक २. पैमाना ३.जलपात्र ४. सूत्र- धागा।
यह सृजन के चार अनिवार्य माध्यमों के प्रतीक हैं। सृजन के लिए चाहिए
(१) ज्ञान (पुस्तक), (२) सही मूल्याङ्कन (पैमाना), (३) शक्तिसाधन (पात्रता),
(४) कौशल का सतत क्रम (सूत्र)।

प्रार्थना-
हे विश्वकर्मा प्रभो!
(१) हमें सृजन का ज्ञान दें, अवसर दें, और ऐसी समझदारी दें, ताकि हम उसका लाभ उठा सकें। (पुस्तक स्पर्श)
(२) हमें सृजन का उत्साह दें और ऐसी ईमानदारी दें कि हम उसके साथ न्याय कर सकें। (पैमाना का स्पर्श)
(३) हमें शक्ति- साधना दें और ऐसी जिम्मेदारी दें कि हम उनका सदुपयोग कर सकें (पात्र का स्पर्श)।
(४) हमें वह कौशल और उसे वहन करते रहने की बहादुरी प्रदान करें। (सूत्र का स्पर्श)।

"विश्वकर्मन् नमस्तेऽस्तु, विश्वात्मन् विश्वसम्भवः।
अपवर्गोऽसि भूतानां, पंचानां परतः स्थितः।।"
🙏🙏

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#भृंगी की #कथा

#महादेव के गणों मे एक हैं भृंगी। एक महान शिवभक्त के रुप में भृंगी का नाम अमर है। कहते हैं जहां शिव होंगे वहां Image
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