शाखामृग कै बड़ि मनुसाई .
हनुमान जी जब लंका की लंका लगाकर वापस किष्किन्धा पहुंचे तो जामवंत ने प्रभु श्रीराम से हनुमान की बहुत तारीफ की! कहा -प्रभु! ये हनुमानजी के बल पौरुष का ही नतीजाहै कि आज हम सभी जीवित हैं!वे न सिर्फ सीतामाता का पता लगाकर आये हैं, बल्कि रावण को अपने भुजबलका (1)
भुजबल का एक छोटा सा नमूना भी दिखाकर आये हैं!
इस बात पर प्रभु ने हनुमान को गलेसे लगा लिया और पूछा- हे हनुमान!How could you performed all these stuffs?
अंग्रेजी में बोले तो.-कैसे किया तुमने ये सब? लंका ही जला डाली!! कोई टॉनिक सोनिक लेते हो क्या?
हनुमान जी ने कहा- हे प्रभु!!
2
सो सब तव प्रताप रघुराई।
नाथ न कछु मोरी प्रभुताई॥
हे रघुनाथ!यह सब आपही का प्रतापहै!हे नाथ!इसमें मेरी प्रभुता(बड़ाई)कुछभी नहीं है!!I am just a monkey!!मैं एक मामूली बंदरहूँ! और बंदरकी भला क्या बिसातकि वो समुद्र लाँघदे?लंकाजलादे?
साखामृग कै बड़ि मनुसाई।
साखा तें साखा पर जाई॥
3
बंदर का बस, यही बड़ा पुरुषार्थ है कि वह एक डाल से दूसरी डाल पर उछल कूद कर सकता है! लेकिन लंका में मैंने जो कुछ किया वो सब आप ही का प्रताप है प्रभु!!
काका भक्तों की नौकरी, सैलरी एजुकेशन, सड़क, बैंक, फैक्टरी, रेलवे, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा,हवाई जहाज,खेती,किसानी,पेट्रोल, डीजल-
4
सबकी लंका लगा चुकने के बाद फ़ौज के अफसरों के दफ्तर को अंग्रेजों के जमाने का अस्तबल बता रहे हैं!
भक्तगण चकित होकर पूछ रहे हैं- हे दामोदरनन्दन!! आप कैसे कर लेते हैं ये सब?
काका कहते हैं- नाथ न कछु मोरी प्रभुताई!
हे लंडूरों! ये सब तुमलोगों (की मूर्खता) का प्रताप है! 5
मुझे सौराष्ट्र से उठाकर राष्ट्र के मत्थे तुम्ही लोगों ने मढ़ा है!
(बगल वाली तस्वीर भारतीय सेना के पूर्वी कमान के अस्तबल की है)
6 @BramhRakshas
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