18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई जिसके कारण उपनिवेशवादी दोहन अपने चरम पर पहुँच गया। अंग्रेजों को काम करने के लिए श्रमिकों की आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने भारतियों को भारी मात्रा में मॉरिशस, फिजी, ट्रिनीडाड, आदि भेजना शुरू कर दिया।
जिस कागज पर अंगूठे का निशान लगवाकर हर वर्ष हज़ारों श्रमिक अन्य देशों को भेजे जाते थे, उसे श्रमिक और मालिक `गिरमिट' कहते थे. गिरमिट, `एग्रीमेंट' शब्द का अपभ्रंश है और इसी दस्तावेज के आधार पर श्रमिक गिरमिटिया कहलाते थे।
शुरू में 5 वर्ष का क़रार होता। महज 8 रुपये महीने की पग़ार पर काम करने का। बाद में ये क़रार बढ़ता हीं जाता, गिरमिटिया देश वापस नहीं आ पाता और अंत में परदेस की माटी पर हीं दम तोड़ देता।
1871 में कलकत्ता बंदरगाह से मॉरीशस जाने वाले उन हज़ारों अनपढ़ श्रमिकों में से एक थे 18 वर्षीय रामगुलाम महतो जो बिहार के #भोजपुर जिले के #हरिगांव के निवासी थे। मॉरीशस पहुँच कर रामगुलाम महतो अब मोहित रामगुलाम हो गए।
उन्होंने 'बासमती रामचरन' नामक एक विधवा से विवाह किया। वहाँ गुलामी की ज़िंदगी शरू की तो उन्हें इसका ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था की उनका बेटा, जिसका बचपन का नाम केवल था, पूरे मॉरीशस की स्वतंत्रता का कारण बनेगा।
केवल जो बाद में शिवसागर रामगुलाम के नाम से जाने गए उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई लंदन में की और 1935 में मॉरीशस लौट आए और गिरमिटिया मजदूरों के वंशज और गुलाम अफ्रीकियों के लिए काम किया। 1947 में रामगुलाम लेबर पार्टी में शामिल हो गए जिसका उन्होंने 1959 से 1982 तक नेतृत्व किया।
मारीशस मे चाचा के नाम से प्रसिद्ध सर शिवसागर रामगुलाम ने न सिर्फ़ मॉरीशस को आज़ादी दिलाई बल्कि 1961 से 1982 तक वे वहाँ के प्रधानमंत्री भी रहे। वे वहां के छठे गवर्नर-जनरल भी रहे। वे "मॉरिशस के राष्ट्रपिता" भी कहलाते हैं।
शिवसागर रामगुलाम का बचपन भारतीय संस्कृति, दर्शन और भोजपुरी वातावरण में स्थानीय 'बैठका' में हुई। वे हिन्दी भाषा के पक्षधर और भारतीय संस्कृति के पोषक थे। 1975 में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन में विश्व हिंदी केंद्र की स्थापना का विचार सर शिवसागर द्वारा ही प्रस्तुत किया गया था।
३० अगस्त 1976 को जब दूसरा हिंदी सम्मलेन मॉरिशस में आयोजित हुआ तो सम्मलेन की अध्यक्षता मॉरिशस के प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम ने ही की। उन्होंने मांग की हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ में एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान मिले।
बिहार सरकार ने सर शिवसागर रामगुलाम की पटना में एक प्रतिमा स्थापित की है। इसका अनावरण मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री और उनके बेटे नवीनचंद्र रामगुलाम ने किया था।
वर्ष 2008 में जब नवीनचंद्र रामगुलाम अपने पूर्वजों की धरती को नमन करने बिहार आये थे तो उन्होंने कहा था, "मैं अपने पूर्वजों की भूमि पर आकर अपने घर में होने का सकून महसूस कर रहा हूं। मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं अपनी खुशी व्यक्त कर सकूं”।
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The formal separation of Bihar from Bengal in April 1912 was a momentous event in the lives of the people of the state. The process had started on Dec 12, 1911 when King George V, at the Delhi Durbar, revealed the "top secret" decision regarding the separation of #Bihar.
1/n
Before 1912, #Bihar, as a part of Greater Bengal, was ruled by a Lt Gov and his secretariat at Calcutta, which was also the seat of the provincial govt of Greater Bengal. For practical purposes, Bihar was ruled & managed by 3 divisional commissioners & district collectors.
2/n
Prior to 1912, Bihar had no state capital of its own. The administrative headquarters used to be at Bankipore, a suburb of Patna, which was inhabited by the British and Europeans starting the mid-18th century.
Patna is one of the oldest cities of the world. The localities and neighborhoods of Patna have unique oral histories, and are named after various people and things. A list of localities, neighborhoods and streets of Bihar's capital city and their etymology.
1. Khazanchi Road
2. Karbigahiya
The name Karbigahiya is derived from Kar-vigraha (कर विग्रह ) and was in use during the Maurya period. the name indicates that excise tax was collected at this place.
European traveller Marshall had mentioned that even the traders of the far-flung Tatar desh used to come to the #SonepurMela to deal in commerce.
Do you know the fair was not always held here at Sonepur? A thread 👇 (1)
The period of the inception of the Sonepur fair, also known as Harihar Kshetra Mela, is shrouded in obscurity. Some trace it back to the 4th century BC Mauryan period.
Previously the fair was held at Hajipur (Ramchaura) and only oblation was offered to the deity at Sonepur. (2)
There is a description of #SonepurFair by M. Wilson in his Memoir on Bihar, which was written in 1852. He has written that one could buy from the canvas-made-shop the commodities of Manchester, Buckingham, Delhi, Kanpur, Afghanistan and Kashmir, etc. (3)
#Sonepur, situated on the banks of river Sadanira (Gandak) and Ganga, is considered a place of great holiness and the Ganga snan or ceremonial bathing in the Ganga is held by the Hindus to be unusually efficacious. (1)
#Sonepur has a special significance owing to the temple of Hariharnath Mahadev and the site of the mythological battle between the crocodile and the elephant and the rescue of the latter by Hari (Lord Vishnu). People offer oblation to Lord Siva on #KartikPurnima here. (2)
The temple of Harihar Nath Mahadev, it is said, was built by Lord Rama when on his way to Janakpur to win Sita.
There is a reference of the temple of Harihar Nath during the Governorship of Raja Man Singh of Amer who is said to have done renovation work. (3)