चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ में जस्टिस आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा भी शामिल थे चीफ जस्टिस मिश्रा ने इस फैसले में भी 1993में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद गठित एनएन वोहरा कमिटी की रिपोर्ट का जिक्र किया #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
उन्होंने कहा, भारतीय पॉलिटिकल सिस्टम में राजनीति का अपराधीकरण कोई अनजान विषय नहीं है बल्कि इसका सबसे दमदार उदाहरण तो 1993 के मुंबई धमाकों के दौरान दिखा जो क्रिमिनल गैंग्स, पुलिस, कस्टम अधिकारियों और उनके राजनीतिक आकाओं के नेटवर्क का परिणाम था।' #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
एनएन वोहरा कमिटी ने अपनी रिपोर्ट पांच अक्टूबर, 1993 को सौंप दी थी। चीफ जस्टिस मिश्रा ने बताया कि कैसे इसमें CBI,IB,RAW के अधिकारियों ने इनपुट दिया कि आपराधिक नेटवर्क समानांतर सत्ता चला रहे हैं। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
वोहरा कमिटी की रिपोर्ट में कुछ ऐसे अपराधियों का जिक्र भी है जो स्थानीय निकायों, विधानसभाओं और संसद के सदस्य बन गए। पांच जजों की बेंच कई ऐसे पीआईएल की सुनवाई कर रही थी। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
जिनमें दोषी ठहराए जाने से पहले ही आरोपों के आधार पर नेताओं की सदस्यता खत्म करने की अपील की गई थी। हालांकि बेंच ने इस पर कार्रवाई का अंतिम फैसला संसद पर छोड़ दिया। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
लेकिन वोहरा कमिटी की रिपोर्ट इत्ने साल बाद भी धूल फांक रही है। कुछ लोगों का कहना है कि इसमें दाऊद इब्राहिम के साथ नेताओं और पुलिस के नेक्सस की विस्फोटक जानकारियां हैं। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
इसीलिए कोई भी राजनीतिक दल इसे सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। मार्च, 1993 में मुंबई धमाकों के बाद सरकार ने गृह सचिव रहे एनएन वोहरा कमिटी बनाई थी। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
इसका काम क्राइम सिंडिकेट, माफिया संगठनों की गतिविधियों के बारे में हर संभव जानकारी जुटाना था जिन्हें सरकारी अधिकारियों और नेताओं से संरक्षण मिलता है। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
रिपोर्ट सौंपने के दो साल बाद तक इसे संसद में नहीं रखा गया। तभी 1995 में सनसनीखेज नैना साहनी हत्याकांड हुआ। इससे सरकार पर दबाव बढ़ा। अगस्त, 1995 में वोहरा कमिटी की सिलेक्टिव रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
ये रिपोर्ट 100 से ज्यादा पन्नों की है लेकिन सरकार ने सिर्फ 12 पन्ने सार्वजनिक किए। कोई नाम सार्वजनिक नहीं किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक नेक्सस में कुछ एनजीओ और बड़े पत्रकार भी शामिल थे। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
तब राज्यसभा सदस्य दिनेश त्रिवेदी ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सार्वजनिक कराने के लिए अर्जी दी। सरकार ने विरोध किया। अटर्नी जनरल की बात मान ली गई। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
जब 2014 में भारतीय जनता पार्टी की अगुआई में सरकार बनी, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब दिनेश त्रिवेदी ने वोहरा कमिटी रिपोर्ट सार्वजनिक करने की अपील की। लेकिन इंतज़ार जारी है। #वोहरा_रिपोर्ट_को_सार्वजनिक_करो
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Thread on Treason laws in the US vs India :
Definition: In Article III, Section 3 of the United States Constitution, treason is specifically limited to levying war against the US, or adhering to their enemies, giving them aid and comfort. #DeclassifyVohraReport
Penalty: U.S. Code Title 18: Death, or not less than 5 years' imprisonment (minimum fine of $10,000, if not sentenced to death). Any person convicted of treason against the United States will lose the right to hold public office in the United States.
Treason is not officially defined in India. Chapter VI of the IPC from sections 121-130 deals with offences against the State. These laws are based on the presumption that every citizen owes an allegiance to the State & has to abide by its sovereignty. 4 Broad categories: