जैसा कि हम जानते हैं की निकाह अल्लाह के प्यारे महबूब और हमारे नबी ए करीम मुहम्मदﷺ की एक अज़ीम सुन्नत है__" लेकिन आज मुसलमानों ने इस सुन्नत को अपनी मरज़ी से ढाल दिए है, लोग अपने हिसाब से रसुमात बनाए जा रहे हैं___1/12
आज निकाह मे सुन्नत से ज़्यादा रसमों को तरजीह दी जाने लगी है, हर मुसलमान अपने इलाके के हिसाब से रसुमात पूरी करते और करवाते है, निकाह अब शादी मे तब्दील हो गई है और शादी एक पार्टी मे जहां हजारों बराती होते हैं, लड़की वालों पर बोझ बनने के लिए__"
अब निकाह सादगी से नहीं बल्कि अपनी ताकत और शोहरत के मुज़ाहिरे की एक तरिका बन गई है, और आज लोग इसको अपनी शोहरत को दिखाने के लिए बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, अब शादी और निकाह सुन्नत के तो आस पास से भी नहीं दिखाई देती, अगर बात करें शादी की तो निकाह ही ऐसी चीज़ है,
जो सुन्नत के हिसाब से कुछ हद तक निभाई जाती है, अगर निकाह को छोड़ दें तो मुझे नहीं लगती की शादी मे कहीं भी इस्लाम की कोई छाप दिखाई देती है, इन सब रसमो मे आज मैं एक खासी रसम की बात करूँगी जो की हर एक शादी मे देखने को मिल ही जाती है___"
जिसे हम और आप सलामी के नाम से भी जानते हैं, ये बहुत दिलचस्प रसम होती है___"
चलिए आज इसी बारे मे ही बात करती हूँ___, ये रसम कुछ इस तरह से शुरू होती है कि, लड़का यानि जिसकी शादी होती है, मतलब दूल्हा और उसकी साथी लड़की यानि दुल्हन के घर जाते हैं और एक मुखतलिफ जगह पर
बैठाई जाती हैं, देखने वाली बात ये है की इस मे कहीं से कहीं तक कोई बुज़ूर्ग नहीं होते है, बल्कि सबके सब नौजवान होते हैं, और अब दौर शुरू होती है, सलामी की जिसके लिए उनको यहाँ लाई गई और बैठाई गई है, अब लड़की की तरफ से अब ख़्वातीनों की आनी शुरू हो जाती है, इनमे लड़की
यानि दुल्हन की बहनें, सहेलियाँ, रिश्तेदार और पड़ोसी भी शामिल होते हैं, बेहतरीन कपड़े पहनें हुए, मेकअप लगा कर, हँसती हुई गैर मेहरमों के सामने कुछ इस तरह आती हैं, जैसे उन पर परदे की हुक्म आई ही नहीं हो__"
लड़कियाँ अपने हाथों से लड़के को और उसके दोस्तों को मिठाई खिलाती हैं,
वहाँ पर छेड़खानी भी होती हैं, कई जगह तो लड़ाई जैसी महौल बन जाती है, साथ ही साथ कभी कभी एक दुसरे का हाथ पकड़ कर खींचा तानी भी हो जाती है, अब आप खुद सोचें और गौर से समझने की कोशिश करें आखिर ये सब किस सुन्नत के तहत की जाती है___"
कौन-सा आलिम आखिर ये सब करने की हुकुम देते है___•
इसमें परदादारी कहाँ है___• क्या दीन ए इस्लाम में इस की कोई जगह है____•
सवाल बहुत सारे हैं, हम मुसलमान कहलवाते हैं अपने आपको, ये बेहतर अमल है बताए ज़रा, क्या वाकई मे हम दीन ए इस्लाम के पाबन्द हैं__•
क्या सिर्फ हमारी ईबादत से जिनकी हमे ये भी नहीं मालूम की वो ईबादत मे शामिल हैं
भी या नहीं, क्या सिर्फ उनके दम पर हम अपने आपको मुसलमान कहलवा सकते हैं___•
क्यूंकि सिर्फ ईबादत का ही नाम दीन ए इस्लाम नहीं है, दीन बनती है हर एक चीज़ को जोड़ कर, हर चीज़ के लिए दीन मे कुछ एहतियात हैं, बन्दिशें हैं, हुकूक हैं, कुछ फराइज़ हैं,अगर इनमे से किसी एक को भी अगर हम उनमे
से किसी एक को छोड़ देते हैं तो समझ लें हम मुसलमान तो हो सकते हैं लेकिन दीनदार तो हरगिज़ नहीं हो सकते हैं__"
इसलिए सोच लें दीन ए इस्लाम मे सादगी पसंद है, इसलिए निकाह से लेकर हर काम को जैसी बताई गई है वैसे ही अदा करें, इंशाअल्लाह अगर हम ऐसे बन गए तो हम और आप एक दिन दुनिया और
आख़िरत मैं कामयाब भी हो जायेगे___"
इंशाअल्लाह कल लास्ट पोस्ट जारी रहेगी इसके बाद नौजवानों पर लिखी जाएगी काफी भाईयों की माग है और वक़्त भी इसकी इजाजत देती है कि मुआशरे के कुछ बिगड़े हुए लड़कों पर लिखी जाए ___/
सय्यद मरयम लियाकत हुसैन____/ #Mypen_IS_Myvoice
जैसे कि हम जानते हैं, की निकाह एक अज़ींम सुन्नात है, जिसे अल्लाह ने भी बहुत पसंदीदा करार बताया है, तो आखिर इस पसंदीदा चीज़ के कुछ कवाइन भी ज़रूर हैं यानि बुनियादी बातें भी बताई गई हैं, आज हम अपनी इस पोस्ट मे कुछ ऐसी ही बातों___1/8
1___:- निकाह मस्जिद मैं होनी चाहिए, जी हाँ सबसे पहला निकाह का कानून यही है, जिसको अल्लाह के रसूल ﷺ ने भी बहुत पसंदीदा करार दिया है, और आपने अपनी बेटियों का निकाह मस्जिदों मे ही किया था, अब सोचने वाली बात ये है,की जब अल्लाह के रसूल ﷺ ने इसको
सबसे बेहतर बताया है तो फिर हम कौन होते हैं इसमे तब्दीली करने वाले___"
और जो शान आपकी बेटियों की है फिर आखिर और कोई बेटी है जो इस शान की बराबरी कर सके___"
जवाब मिलेगी हरगिज़ नहीं, क्यूंकि उनकी शान को छुने की गुस्ताखी कोई नहीं कर सकती, लेकिन हम लोग ये सब जानकर भी अपनी
एक वीडियो मेरे पास आई है मुझे देखने के बाद मुझसे रही नहीं गई__" लिहाज़ा ज्यादा से ज्यादा शेअर करे ताकि वो जान सके कि उसके जाने के बाद उसकी माँ की हालत कितनी खराब है, ये मुआशरे की ल़डकियों को हो क्या गई है सब कुछ देखते हुए भी ये काम कर रही है लड़की की माँ की हालत___1/13
देखिए कैसे उस लड़की की वालिद अपनी भागी हुई बेटी से अपील गुजारिश कर रहे हैं___"
किस तरह अपनी दीन ए इस्लाम और अपनी वालिदा वालिदैन को रुसवा करके गैरों के प्यार मोहब्बत करती है फिर जब घर वाले उसके प्यार मोहब्बत के खिलाफ आवाज उठाते है तो घर से भाग जाती है__" इन्हें जरा भी इल्म नही
होती ऐसा करने के बाद उसके घर वालों पर क्या वित्ती उन्हें जरा भी एहसास नहीं होती है, इस वीडियो मैं एक वालिदैन/मां की ममता और बाप की बेबासी देखी जा सकती है, इतना कुछ होने के बाद भी वालिद/वालिदैन की हालात देखिए कि उन्हें अभी भी उम्मीद है कि मेरी बच्ची वापस आ जाएगी___"
अल्हम्दुलिल्लाह___"#टीम_BBM_SBM_भोपाल लगातार भोपाल में अलग अलग मोहल्लों में ग़ुस्ल जनाज़ा ट्रेनिंग कैंम्प लगा कर हमारी मुआशरे की मुस्लिम ख़्वातीनों घर की माँ बहनों की तरबियत कर रही हैं उसी के तहत कल 29/09/2021 बाद नमाज़ ज़ोहर 2 बजे से___1/4
मस्जिद हाता सिकन्दर कुली खान ऐशबाग स्टेडियम रोड मे ग़ुस्ल जनाज़ा ट्रेनिंग कैंम्प के साथ पर्सनालिटी डेवलपमेंट और माशरे को लेकर तरबियती प्रोग्राम रखी गई जिसमे काफी तादात में माँ और बहनों ने शिरकत की___"
मेरी I'd पर लगातार कल रिपोर्ट हो रही थी इसलिये कल ये पोस्ट नहीं कर पाई
ऐसी और भी तंजीमें प्रोग्राम करने लगे तो तो मुझे यकीन हो जाएगी कि मेरी छेड़ी गई मुहीम रंग ला रही है___"
मैं तमाम मुआशरे के ज़िम्मेदार लोगों से अपील गुजारिश करूंगी की आप सभी भी अपने अपने तरीकों से अपने गांव मोहल्ले मैं ऐसी ही प्रोग्राम करें और रखे ताकि लव ट्रेप की बड़ती तेजी
एक लव ट्रेप में बनाई गई इस कानूनी कागज़ की हक़ीक़त__"
5th पेज साफ़ नहीं है जो साफ साफ दिख रही है उसे पढ़ने के बाद मुझे यही समझ आई की 21 साल की हुमा जो रायबरेली की है वह राघवेंद्र प्रताप सिंह से शादी करती है__"
लड़की को प्रथम पक्ष बनाई गई और लडक़े को द्वितीय पक्ष___"
और इस शादी के शर्त में ये बात रखी गई है
कि द्वितीय पक्ष लड़का प्रथम पक्ष यानी लड़की को अगर छोड़ता है तो सिर्फ़ भरण पोषण के लिए कोर्ट का सहारा ले सकती है __"
👉 यानी लड़के को कानूनी अधिकार प्राप्त है की वो इसे छोड़ सकता
है और लड़की सिर्फ भरण पोषण के लिए केस कर सकती है उस लड़के पर और कुछ नहीं__"
और जरूरी बात लड़की अगर अपनी पत्नी कर्तव्य को नहीं निभाती है तो लड़के को कानूनी अधिकार प्राप्त है केस कर के प्राप्त करे,
इनमें ये बात कहीं लिखी नहीं मिलती है कि लडक़ी भी चाहे तो उस लड़के को छोड़ सकती
#निकाह_को_आसान_बनाए___3
जैसा कि हमने पहले ही अपनी पोस्ट मे बता चुकी हूँ___", निकाह अज़ीम सुन्नत है___, लेकिन हमारी मुआशरे के मुस्लिम भाईयों ने इसे बहुत ज़्यादा तब्दील कर दिए है, कुछ ऐसी बुराई इसके अन्दर डाल दी गई हैं की हम चाहते हुए भी इन्हें सुन्नत नहीं बोल सकते हैं____"1/7
आज तक और अभी भी मुआशरा दहेज़ की बाते करते रहते हैं, लेकिन दहेज़ की रिवाज़ जो चली आ रही है इसे किस तरह से खत्म की जानी चाहिए___" सोचने वाली बात है___"
तो आज हम इस रिवाज़ को आपके शरियत के हिसाब से ही खत्म करने के तरीके को बतायेंगे,
इस्लाम एक ऐसा वाहिद दीन है,
ज़िसमे हर एक मसले की बखूबी हल बहुत ही हिकमत से बताई गई है, और सिर्फ बताई नहीं गई है ब्लकि करके दिखाई भी गई है___" ___"Islam_Is_A_Complete_Way_Of_Life_and_Complete_Solution_of_Life_with_each_and_Every_Solution____"
भगवा लव ट्रैप के खिलाफ़ अहमदाबाद में तकरीबन 2 हजार से ज्यादा औरतों ने 1 कार्यक्रम में शिरकत की, जहां उन्हें अपनी बच्चियों की हिफाज़त के लिए जागरूक किया गया और अभी तक जितने भी हादसे हुए हैं कौमी बच्चियों के साथ संघी नारंगी के द्वारा उन सबके बारे में बताई गई___1/6
लड़कियों को फसाने के हथकंडों के बारे में बताई गई, कि कैसे ये लोग 15 से 18 साल की कम अक्ल लड़कियों को झूंठे प्यार के जाल में फंसा कर उनकी जिंदगी बर्बाद करके उन्हे कैद कर लेते हैं या बेच देते हैं___"
बहुत से मसलों पर बात हुई है समस्या के समाधान पर भी बात हुई है, दीन की कमी इसकी
असल कारण है जिसकी वजह से बच्चियां अपने असल रब की नाफ़रमानी कर रही हैं उन्हे नाराज कर रही हैं__"
इसलिए मस्तुरात की मीटिंग हर 15 दिन पर सभी गांव मोहल्ले कस्बे में होनी चाहिए, जहां दीन का दर्स दिया जाए जिससे सैकड़ों घरेलू मसले भी हल हो सकते हैं और समाज में फैली बुराई षड्यंत्र को