#निकाह_को_आसान_बनाए___3
जैसा कि हमने पहले ही अपनी पोस्ट मे बता चुकी हूँ___", निकाह अज़ीम सुन्नत है___, लेकिन हमारी मुआशरे के मुस्लिम भाईयों ने इसे बहुत ज़्यादा तब्दील कर दिए है, कुछ ऐसी बुराई इसके अन्दर डाल दी गई हैं की हम चाहते हुए भी इन्हें सुन्नत नहीं बोल सकते हैं____"1/7
आज तक और अभी भी मुआशरा दहेज़ की बाते करते रहते हैं, लेकिन दहेज़ की रिवाज़ जो चली आ रही है इसे किस तरह से खत्म की जानी चाहिए___" सोचने वाली बात है___"
तो आज हम इस रिवाज़ को आपके शरियत के हिसाब से ही खत्म करने के तरीके को बतायेंगे,
इस्लाम एक ऐसा वाहिद दीन है,
ज़िसमे हर एक मसले की बखूबी हल बहुत ही हिकमत से बताई गई है, और सिर्फ बताई नहीं गई है ब्लकि करके दिखाई भी गई है___" ___"Islam_Is_A_Complete_Way_Of_Life_and_Complete_Solution_of_Life_with_each_and_Every_Solution____"
इस्लाम मे सबसे बेहतर तरीका जो बताई गई है,
वो है बाप की विरासत मे लड़कियों का हिस्सा, जिसे हमारी मुआशरों ने पूरी तरह से खत्म कर के रख दिया है, और उसकी जगह पर दहेज़ को ज़्यादा तरजीह देने लगे हैं, हम सोचते है दहेज़ देकर हमने अपनी कर्ज़ा अदा कर दिए हैं, जो हमारी सबसे बड़ी गलतफ़हमी है, बहुत बड़ी गुमरही है___"
ये कर्ज़ इस तरह से अदा हो ही नहीं सकती है, जिस तरह आपको अल्लाह ने इसको अदा करने का तरीका बताया है, ये ठीक उसी तरह से ये अदा की जानी चाहिए, इसमे हम जितनी भी चाहे दिमाग लगा लें, हम इसमे बुराईयां तो पैदा कर सकते हैं, लेकिन किसी भी तरह से इसमे कोई बेहतर अमल नहीं जोड़ सकते हैं___"
क्यूंकी हमारी सोच मेहदूद है और मेहदूद सोच को रखते हुये हमारे काम भी अपने ही फ़ायदे के हिसाब से करते हैं और सोच भी अपने ही हिसाब से रखते हैं__"
इसलिय शरियत मे अपने दिमाग को ज़्यादा अन्दर तक दाखिल ना करें और जिस तरह आपको अल्लाह ने अपना हुकुम दिया है उसी तरह से उस पर अमल करें___"
तब जाकर आप ऐसी बुराईयों से खुद को दूर रख सकते हैं__, और अपनी ज़िन्दगी को एक बेहतर ज़िन्दगी बना सकते हैं, आपको अल्लाह दीन पर मुकम्मल आमल करने की तोफीक आता फरमाएं, अमीन य़ा रब्बुल आलामीन___"
अल्हम्दुलिल्लाह पोस्ट जारी रहेगी__/
सय्यद मरयम लियाकत हुसैन___/
जैसा कि हम जानते हैं की निकाह अल्लाह के प्यारे महबूब और हमारे नबी ए करीम मुहम्मदﷺ की एक अज़ीम सुन्नत है__" लेकिन आज मुसलमानों ने इस सुन्नत को अपनी मरज़ी से ढाल दिए है, लोग अपने हिसाब से रसुमात बनाए जा रहे हैं___1/12
आज निकाह मे सुन्नत से ज़्यादा रसमों को तरजीह दी जाने लगी है, हर मुसलमान अपने इलाके के हिसाब से रसुमात पूरी करते और करवाते है, निकाह अब शादी मे तब्दील हो गई है और शादी एक पार्टी मे जहां हजारों बराती होते हैं, लड़की वालों पर बोझ बनने के लिए__"
अब निकाह सादगी से नहीं बल्कि अपनी ताकत और शोहरत के मुज़ाहिरे की एक तरिका बन गई है, और आज लोग इसको अपनी शोहरत को दिखाने के लिए बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, अब शादी और निकाह सुन्नत के तो आस पास से भी नहीं दिखाई देती, अगर बात करें शादी की तो निकाह ही ऐसी चीज़ है,
अल्हम्दुलिल्लाह___"#टीम_BBM_SBM_भोपाल लगातार भोपाल में अलग अलग मोहल्लों में ग़ुस्ल जनाज़ा ट्रेनिंग कैंम्प लगा कर हमारी मुआशरे की मुस्लिम ख़्वातीनों घर की माँ बहनों की तरबियत कर रही हैं उसी के तहत कल 29/09/2021 बाद नमाज़ ज़ोहर 2 बजे से___1/4
मस्जिद हाता सिकन्दर कुली खान ऐशबाग स्टेडियम रोड मे ग़ुस्ल जनाज़ा ट्रेनिंग कैंम्प के साथ पर्सनालिटी डेवलपमेंट और माशरे को लेकर तरबियती प्रोग्राम रखी गई जिसमे काफी तादात में माँ और बहनों ने शिरकत की___"
मेरी I'd पर लगातार कल रिपोर्ट हो रही थी इसलिये कल ये पोस्ट नहीं कर पाई
ऐसी और भी तंजीमें प्रोग्राम करने लगे तो तो मुझे यकीन हो जाएगी कि मेरी छेड़ी गई मुहीम रंग ला रही है___"
मैं तमाम मुआशरे के ज़िम्मेदार लोगों से अपील गुजारिश करूंगी की आप सभी भी अपने अपने तरीकों से अपने गांव मोहल्ले मैं ऐसी ही प्रोग्राम करें और रखे ताकि लव ट्रेप की बड़ती तेजी
एक लव ट्रेप में बनाई गई इस कानूनी कागज़ की हक़ीक़त__"
5th पेज साफ़ नहीं है जो साफ साफ दिख रही है उसे पढ़ने के बाद मुझे यही समझ आई की 21 साल की हुमा जो रायबरेली की है वह राघवेंद्र प्रताप सिंह से शादी करती है__"
लड़की को प्रथम पक्ष बनाई गई और लडक़े को द्वितीय पक्ष___"
और इस शादी के शर्त में ये बात रखी गई है
कि द्वितीय पक्ष लड़का प्रथम पक्ष यानी लड़की को अगर छोड़ता है तो सिर्फ़ भरण पोषण के लिए कोर्ट का सहारा ले सकती है __"
👉 यानी लड़के को कानूनी अधिकार प्राप्त है की वो इसे छोड़ सकता
है और लड़की सिर्फ भरण पोषण के लिए केस कर सकती है उस लड़के पर और कुछ नहीं__"
और जरूरी बात लड़की अगर अपनी पत्नी कर्तव्य को नहीं निभाती है तो लड़के को कानूनी अधिकार प्राप्त है केस कर के प्राप्त करे,
इनमें ये बात कहीं लिखी नहीं मिलती है कि लडक़ी भी चाहे तो उस लड़के को छोड़ सकती
भगवा लव ट्रैप के खिलाफ़ अहमदाबाद में तकरीबन 2 हजार से ज्यादा औरतों ने 1 कार्यक्रम में शिरकत की, जहां उन्हें अपनी बच्चियों की हिफाज़त के लिए जागरूक किया गया और अभी तक जितने भी हादसे हुए हैं कौमी बच्चियों के साथ संघी नारंगी के द्वारा उन सबके बारे में बताई गई___1/6
लड़कियों को फसाने के हथकंडों के बारे में बताई गई, कि कैसे ये लोग 15 से 18 साल की कम अक्ल लड़कियों को झूंठे प्यार के जाल में फंसा कर उनकी जिंदगी बर्बाद करके उन्हे कैद कर लेते हैं या बेच देते हैं___"
बहुत से मसलों पर बात हुई है समस्या के समाधान पर भी बात हुई है, दीन की कमी इसकी
असल कारण है जिसकी वजह से बच्चियां अपने असल रब की नाफ़रमानी कर रही हैं उन्हे नाराज कर रही हैं__"
इसलिए मस्तुरात की मीटिंग हर 15 दिन पर सभी गांव मोहल्ले कस्बे में होनी चाहिए, जहां दीन का दर्स दिया जाए जिससे सैकड़ों घरेलू मसले भी हल हो सकते हैं और समाज में फैली बुराई षड्यंत्र को
___"जैसा की हम अपनी पहली पोस्ट मे बता चुके हैं, निकाह एक बहुत ही अज़ीम सुन्नत है और इसको असान बनाया गया है, लेकिन मुआशरे ने आज इसको बहुत मुशकिल कर के रख दी है, पिछली पोस्ट मे मैंने बात की थी के लड़के वाले किस तरह से दहेज़ की बेतुकी मांग___1/8
करके इस खूबसुरत सुन्नत मे तब्दीली कर चुके हैं, लेकिन सिर्फ यही एक बुराई पैदा नहीं हुई है, इसके अलावा भी बहुत सारी बुराईयां इंसानो ने इस नेक अमल मे पैदा कर दी हैं, लड़की वालों पर बारात नाम का एक ऐसा बोझ डाल दिया जाता है, जिसको वो असानी से सेह नहीं पाते, जिसके माली हलात बेहतर
होते हैं, उसपर तो कोई खासा फर्क नहीं पड़ता लेकिन,जो गरीब है उसकी हलात खराब हो जाती है, इन सारी बनावटी रस्मों को पूरा करने मे वो बेचारे कर्ज़दार हो जाते है,जिसको पूरा करने मे वो रात दिन मेहनत करते है, और पता नहीं कितनी कितनी बातें उसको सुननी पड़ती हैं, उसकी पूरी ज़िन्दगी सिर्फ
गलती किसकी है__:- आज हम भगवा लव ट्रैप की बात करते हैं, की किस तरह एक मुसलमान लड़की एक गैर मुस्लिम लड़के के साथ भाग जाती है, सबसे पहले मैं एक बात क्लियर कर दूं, की जो मुसलमान होगा/होगी वो ऐसी हराम अमल नहीं करेगा/करेंगी, इसलिए इनको मुसलमानों का नाम न दें__"
बल्कि ये नफ्स परस्त लोग होते हैं, जो अपनी नफ्सी लज़्जत के लिए ऐसा करती हैं___"
क्योंकि जो मुसलमान है उसे जबतक हलाल और हराम में पहचान करनी नही आती, मैं नही मानती की वो मुसलमान कहलाने की भी हक रखती हो__, दूसरी बात इस में गलती लड़के की है या लड़की की ? इस सवाल पर हमे बहुत गौर