#एयर_इंडिया का बिकना और टाटा का खरीदना ..असल में #कांग्रेस के मुंह पर एक तमाचा है..
68 साल पहले टाटा से खांग्रेस ने एयर इंडिया को लूट लिया था।
जबरदस्ती जवाहरलाल नेहरू ने टाटा को, उनकी टाटा एयरलाइंस जो बाद में टाटा ने नाम बदलकर "एयर इंडिया, कर दिया था ।
#नेहरू ने उसे भारत सरकार को देने को कहा, लेकिन जब टाटा ने अपनी एयरलाइन देने से मना कर दिया तो एक विधेयक लाकर टाटा से जहाज, स्टाफ और कंपनी यहां तक कि कंपनी के खाते
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में पड़ी समस्त रकम के साथ एयर इंडिया और टाटा एयरलाइंस को टाटा से छीन लिया गया यानी लूट लिया गया, सिर्फ इसलिए ताकि सरकार के मंत्री लूट खसोट कर सकें ।
यह लूट और फिर बाद में इंदिरा गांधी द्वारा बैंकों का राष्ट्रीयकरण के बाद से पूरे विश्व में भारत बदनाम हो गया था ।
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भारत में बिजनेस का माहौल नहीं है, भारत में इन्वेस्टमेंट करने लायक नहीं हैं, और फिर भारत एकदम से पिछड़ गया ।
सरकारी बद्इंतजामी और कमीशन लूट खसोट ने एयर इंडिया को अरबों रुपये के घाटे में ला दिया ।
कर्मचारियों को कई सालों से सैलरी नहीं मिल सकी, कई जगह पर इसकी इमारतों को
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इमारतों को बैंकों ने नीलाम कर दिया, यहां तक कि कई बैंकों ने जहाज नीलाम करके अपने पैसे वसूल किए । आखिर कार एयर इंडिया का जहाज डूबने लगा ।
अब 68 साल बाद टाटा ने अपनी ही लूटी हुई कम्पनी को सरकार को पैसे देकर वापिस लिया है। #बधाई_रतन_ टाटा_जी_ को !!
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रतन जी ने जो सपना पाल रखा था कि एक दिन हम इसे बापस लेंगे, आज पूरा किया...
🇮🇳 जय हिन्द! जय भारत !🇮🇳
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पाकिस्तान से आए हुए जिन सिक्ख शरणार्थियों को उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने सहानुभूति दर्शाते हुए उत्तरप्रदेश के तराई इलाके में खाली पड़ी सरकारी जमीन में से 12.5 एकड़ (50 बीघा) जमीन के पट्टे प्रति परिवार प्रदान किए गए थे आज वो 12.5 एकड़ जमीन के टुकड़े
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120 से 1250 एकड़ तक बड़े कैसे हो गए हैं.?
जमींदारी उन्मूलन कानून के बाद उत्तरप्रदेश में 1961 में लैंड सीलिंग एक्ट बनाकर 12.5 एकड़ से अधिक जमीन रखने पर कानूनी रोक लग गई थी।
लेकिन इसके बावजूद तराई के इलाकों में 12.5 एकड़ की जमीन के टुकड़े 125 से 1250 एकड़ तक का फार्म कैसे बन
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