भावार्थ:-(स्वर्ण-वर्ण का प्रकाशमय) पीताम्बर बिजली को लजाने वाला था। पेट पर सुंदर तीन रेखाएँ (त्रिवली) थीं। नाभि ऐसी मनोहर थी, मानो यमुनाजी के भँवरों की छबि को छीने लेती हो॥
2/
पीत झगुलिआ तनु पहिराई। जानु पानि बिचरनि मोहि भाई॥
भावार्थ:-शरीर पर पीली झँगुली पहनाई हुई है। उनका घुटनों और हाथों के बल चलना मुझे बहुत ही प्यारा लगता है।
3/
पीत बसन परिकर कटि भाथा। चारु चाप सर सोहत हाथा॥
भावार्थ:-(दोनों भाइयों के) पीले रंग के वस्त्र हैं, कमर के (पीले) दुपट्टों में तरकस बँधे हैं।
4/
केहरि कटि पट पीत धर सुषमा सील निधान।
देखि भानुकुलभूषनहि बिसरा सखिन्ह अपान॥
भावार्थ:-सिंह की सी (पतली, लचीली) कमर वाले, पीताम्बर धारण किए हुए, शोभा और शील के भंडार, सूर्यकुल के भूषण श्री रामचन्द्रजी को देखकर सखियाँ अपने आपको भूल गईं॥
5/
कटि तूनीर पीत पट बाँधें।कर सर धनुष बाम बर काँधें॥
पीत जग्य उपबीत सुहाए।नख सिख मंजु महाछबि छाए॥
भावार्थ:-कमर में तरकस और पीताम्बर बाँधे हैं।हाथों में बाण और बाएँ सुंदर कंधों पर धनुष तथा पीले यज्ञोपवीत सुशोभित हैं। नख से लेकर शिखा तक सब अंग सुंदर हैं, उन पर महान शोभा छाई हुई है॥6/
पीत पुनीत मनोहर धोती। हरति बाल रबि दामिनि जोती॥
कल किंकिनि कटि सूत्र मनोहर। बाहु बिसाल बिभूषन सुंदर॥2॥
भावार्थ:-पवित्र और मनोहर पीली धोती प्रातःकाल के सूर्य और बिजली की ज्योति को हरे लेती है। कमर में सुंदर किंकिणी और कटिसूत्र हैं। विशाल भुजाओं में सुंदर आभूषण सुशोभित हैं॥
7/
पिअर उपरना काखासोती। दुहुँ आँचरन्हि लगे मनि मोती॥
नयन कमल कल कुंडल काना। बदनु सकल सौंदर्ज निदाना॥4॥
भावार्थ:-पीला दुपट्टा काँखासोती शोभित है, जिसके दोनों छोरों पर मणि और मोती लगे हैं। कमल के समान सुंदर नेत्र हैं, कानों में सुंदर कुंडल हैं और मुख तो सारी सुंदरता का खजाना ही है॥
8/
Pure ke Pure Vanvaas mein to Piatambar pahana nahin. Wahan to valkal pahante the isliye
Lekin jab Vanvaas se aaye aur jab Rajyabhishek hua uske baad.
श्री सहित दिनकर बंस भूषन काम बहु छबि सोहई।
नव अंबुधर बर गात अंबर पीत सुर मन मोहई॥
मुकुटांगदादि बिचित्र भूषन अंग अंगन्हि प्रति सजे।
अंभोज नयन बिसाल उर भुज धन्य नर निरखंति जे॥
10/
भावार्थ:-श्री सीताजी सहित सूर्यवंश के विभूषण श्री रामजी के शरीर में अनेकों कामदेवों की छबि शोभा दे रही है। नवीन जलयुक्त मेघों के समान सुंदर श्याम शरीर पर पीताम्बर देवताओं के मन को भी मोहित कर रहा है।
11/
मुकुट, बाजूबंद आदि विचित्र आभूषण अंग-अंग में सजे हुए हैं। कमल के समान नेत्र हैं, चौड़ी छाती है और लंबी भुजाएँ हैं जो उनके दर्शन करते हैं, वे मनुष्य धन्य हैं॥
Har kalpa mein Bhagwan ki baal lila dekhne wale Kaagbhshundi ji bhee Bhagwan ko Peele vastra mein hee dekhte hain. Lekin kisi ne unko Pink Kurta pahane nahin dekha😊
भावार्थ:-पीली और महीन झँगुली शरीर पर शोभा दे रही है। उनकी किलकारी और चितवन मुझे बहुत ही प्रिय लगती है। राजा दशरथजी के आँगन में विहार करने वाले रूप की राशि श्री रामचंद्रजी अपनी परछाहीं देखकर नाचते हैं,॥
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Sekoolar-Savarnism. Sri Sitaram Goel explains it as follows:
"There are always people in all societies who confuse superiority of armed might with superiority of culture, who start despising themselves as belonging to an inferior breed and end by taking to the ways of the 1/
conqueror in order to regain self confidence, who begin finding faults with everything they have inherited from their forefathers, and who finally join hands with every force and factor which is out to subvert their ancestral society.
2/
Viewed in this perspective, Pandit Nehru was no more than a self alienated Hindu, and Nehruism is not much more than Hindubaiting born out of and sustained by a deep seated sense of inferiority vis a vis Islam, Christianity, and the modern West.
3/
Karnataka means Vijaynagara and its founding guru Vidyaranya Swami. Vijaynagara downfall started after Krishnadevraya converted to Vaishnavism.
Smaarton aur Shaivon se itni ghrina kyon?
Ye Sab Intellectual equivalent of Randis hain. Jaisi hawa dekhte hain waisa hee dress karke waise gana gaate hain plus (most of them )"Jaati Vishesh" se hone ke karan ek caste capital hai inke paas.
Ek Mata Ji hain. Main apne highschool days se le ke late 2000s tak unki Gandhi Bhakti ke articles padh-padh ke apna dimaag sunn kar liya.
Aajkal Trad bani phirti hain aur din raat Modi ko gali deti hain.
RSS-BJP tab bhee wahi the aur aaj bhee wahi hain.
Trads ne Goswami Tulsidas ko bhee bahut pareshan kiya tha. Bhagwan Shankar ko Swayam aa ke RCM par sign karna pada tha. Tulsi Baba ne Trads ko apni Vinay Patrika mein aise mention kiya hai. 😊
Akbar ke time ke Sekoolar-savarna-Ashraf allaince ke time ke Trads ko Tulsi Baba dwara likhi huyi Bhagwan Sri Ram ki aisi stutiyon par objection tha. Unka kahna tha ki Hindi mein kyon likha? Sanskrit mein kyon nahin likha. #Enjoy
Are you here for verbal gymnastic?
Every idea has an original inventor who owns its and takes credit for it. Rest are just its users.
Abhee bhee dekh lo media se le ke academia tak kaun log hain jo Sekoolarism ko intellectually defend kar rahe hain.
Tulsidas talking about "Trads" of his time
V1 Trad:
"प्रभुके बचन,बेद-बुध-सम्मत,ऽमम मूरति महिदेवमई हैऽ।
तिनकी मति रिस-राग-मोह-मद,लोभ लालची लीलि लई है ॥
"
V2 Trad:
"राज-समाज कुसाज कोटि कटु कलपित कलुष कुचाल नई है।
नीति,प्रतीति,प्रीति परमित पति हेतुबाद हठि हेरि हई है ॥३॥"
1/
V1
भावार्थ: वेद और विद्वानोंकी सम्मति है तथा प्रभुके श्रीमुखके वचन हैं कि ब्राह्मण साक्षात् मेरा ही स्वरूप हैं; पर आज उन ब्राह्मणोंकी बुद्धिको क्रोध,आसक्ति, मोह, मद और लालची लोभने निगल लिया है
2/
अर्थात् वे अपने स्वाभाविक शम-दमादि गुणोंको छोड़कर अज्ञानी,कामी, क्रोधी, घमंडी और लोभी हो गये हैं॥
V2
भावार्थ: इसी तरह राजसमाज (क्षत्रिय-जाति) करोड़ों कुचालोंसे भर गया है,वे (मनमाने रूपमें लूटमार, अन्याय, अत्याचार, व्यभिचार, अनाचाररूप) नित्य नयी कुचालें चल रहे हैं
3/