विचार करें ।
भारत में हिन्दू परिवार परम्परा का पतन होना प्रारम्भ हो चुका है।
रक्त के 5 रिश्ते समाप्त होने की कगार पर है।
ताऊ, चाचा, बुआ, मामा, मौसी जैसे रिश्ते आने वाले समय में देखने सुनने को नहीं मिलने वाले हैं !
इसे इस तरह समझा जा सकता है-
पुत्र पुत्री बचे रिश्ते
2 2 5
2 1 4 (मौसी X)
1 2 3 (चाचा, ताऊ X)
1 1 2 (चाचा, ताऊ, मौसी X)
1 0 X
0 1 X
परिणाम
0 0
सिंगल चाइल्ड फैमिली को उनका निर्णय तीसरी पीढ़ी याने जिनके आप- दादा- दादी होंगे बुरी तरह प्रभावित करेगा। जिस दादा को मूल से अधिक ब्याज प्यारा होता है, उसका मूलधन भी समाप्त हो जाएगा।
इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी है। इसलिए दम्पत्ति को सिंगल चाइल्ड के निर्णय पर गंभीरता से विचार करना होगा।
आपका पौत्र या प्रपौत्र इस संसार में अकेला खड़ा होगा।
उसे अपने रक्त के रिश्ते की आवश्यकता होगी तो इस पूरे ब्रह्मांड में उसका अपना कोई नहीं होगा।
यह अत्यंत सोचनीय विषय है। ये न केवल हमारे बच्चों को एकाकी जीवन जीने को मजबूर करेगा बल्कि हमारी हिंदू परिवार सभ्यता को ही नष्ट कर देगा।
हम जो हिन्दू एकता की बात करते हैं ये तो सभ्यता ही समाप्त हो जाएगी।
इन सबके लिए हमारी वर्तमान पीढ़ी उत्तरदायी होगी।
अगर आप इस विषय को गंभीर समझते हैं तो अपनी सभ्यता, संस्कार औऱ पीढ़ियों को बचाये
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कार्यक्रम की रूपरेखा:
5.30 से 6.00 प्रार्थना एवं धन्वंतरि प्रागट्य कथा
6.00 से 7.00 भगवान धन्वंतरि यज्ञ
7.00 से 7.15 गुरुकुल के शिष्यो द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम
7.15 से 7.30 भगवान धन्वंतरि आरती
*युद्ध ग्रस्त अज़रबैजान देश मे मां भवानी की शक्तिपीठ में आज भी 3000 वर्षों से इस 🛕 मंदिर 🛕 में जल रही है 🔱 माँ भवानी 🔱की 🔥 अखंड ज्वाला!* 🔥
सोवियत रूस के पूर्व देश अर्मेनिया और मुस्लिम देश अजरबेजान वर्तमान में युद्धग्रस्त है। इसी अज़रबैजान की ईरान सीमा के निकट हम हिन्दुओं का एक माँ भवानी की शक्तिपीठ है।
इस शक्तिपीठ में अखंड ज्वाला आज से 3 हजार साल से यू हीं जल रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, ऐसा उस देश का विज्ञान और वैज्ञानिक कह रहे हैं जिसकी 90% आबादी मुस्लिम है यानी अजरबेजान।
“બોલો તિરંગા માં કેટલા રંગ છે ?” પ્રવીણ પરેરા, ક્વિઝ માસ્ટર, પ્રિતિસ્પર્ધિઓ ને પૂછી રહ્યો હતો.
બધા હસવા લાગ્યા, ” તિરંગા માં ત્રણ જ રંગ હોય ને ?”
ખાલી એક ચાર્મી એ હાથ ઉપર રાખ્યો હતો.
પ્રવીણ સરે, એને પૂછ્યું ” તારો જવાબ અલગ છે ?”
એણે હકાર માં માથું હલાવ્યું ને બોલી,
” પાંચ.”
અને આખા હોલ માં હાસ્ય ની છોડો ગુંજી ગઈ.
પ્રવીણ સર પણ થોડું મલકાઈ ને એમાં જોડાઈ ગયા.
વાત એમ હતી કે બોર્નવિનર કંપની તરફ થી દર વર્ષે આંતરસ્કૂલ સ્પર્ધા લેવામાં આવતી.
જેમાં દરેક સ્કૂલ પોતાનાં બે બાળકો ને સ્પર્ધક તરીકે મોકલાવી ને આ પ્રતિષ્ઠિત સ્પર્ધા “બોર્નવિનર ક્વિઝ કોન્ટેસ્ટ ” જીતવાની હોડ માં રહેતાં.
याला *शरद पवारांची ठोकशाही* म्हणायचे का ?
एक *नवाब मलिक* सारखा भंगारवाला एका शासकीय अधिकाऱ्याला मी तुला *वर्षभरात नोकरीतून काढून टाकतो* अशी *धमकी* देतो.
याला लोकशाही म्हणायचे का ?
उच्च शिक्षण घेवून, स्पर्धा परीक्षा देवून, प्रचंड मेहनत घेवुन अधिकारी होणारे श्रेष्ठ की हे दमडीचे राजकारणी श्रेष्ठ.*
सगळेच सरकारी अधिकारी प्रामाणिक नसतात. ते तसे असते तर राजकारण्यांना नाक मुठीत धरायला लावणे अशक्य नाही.
महाविकास आघाडीतील मंत्री ज्या रीतीची भाषा वापरत आहेत त्यामुळे जनतेत दहशत निर्माण होत आहे.*
हे न्यायालयाला दिसत नाही का ?
*केंद्र सरकारला नको त्या गोष्टीसाठी जाब विचारणाऱ्या सुप्रीम कोर्टाने आता कान बंद केले आहेत का ?*
*Modi* :- National lock down from march 23'rd 2020
*Liberals°*:- Fascist, autocratic, Hitler.
*Modi* :- Vaccine will be made in India
*Liberals*:- Impossible..It will take 20 years.
China will get angry..
*
Modi*:- India has now its own vaccine ..
*Liberals* :- It will fail, people will die!
*Modi*:- Frontline Workers will get first preference.
*Liberals*:- They are treated as Guinea pigs .
Let Modi take it first, in public!
*Modi*:- Senior citizens will get vaccine ..
*
Liberals*:- I will not take BJP vaccine
It's not halal
Pple will bcome impotent
Why only seniors,give it to all.
Modi:- Central Govt wil suply vacine to all states
Liberals:- Fascist
autocratic,priority to BJP states,if we are alowed to buy,we wil vaccinate entire state in 3mnths
1905 में अंग्रेज बेहद शक्तिशाली थे और उस वक्त ब्रिटेन में उदारवादी लेबर पार्टी का अस्तित्व तक नहीं था
और अंग्रेजों द्वारा 1905 में बंगाल का विभाजन किया गया था । यानी पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल दो हिस्से बनाए गए 1905 में बंगाल का मतलब आज का बांग्लादेश बंगाल झारखंड और उड़ीसा
उस समय पर अंग्रेज बहुत शक्तिशाली थे । परंतु भारतीयों के विरोध - प्रदर्शन की शक्ति के आगे अंग्रेज डर गए और अंत में अंग्रेजों को बंगाल - विभाजन रद्द करना पड़ा था और भारत की राजधानी दिल्ली स्थानन्तरित कर दी गई थी ।