मैं वह भारत हूँ जिसने पिछले पाँच हजार वर्ष में कभी अपने किसी बेटे का नाम दुशासन नहीं रखा, क्योंकि उसने एक स्त्री का अपमान किया था।
मैं वह भारत हूँ जो कभी अपने बच्चों को रावण, कंश या कर्ण नाम नहीं देता, क्योंकि इन्होंने अपने जीवन में स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया था।
मैं वह भारत हूँ जहाँ कोई गांधारी अपने सौ पुत्रों की मृत्यु के बाद भी द्रौपदी पर क्रोध नहीं करती, बल्कि अपने बेटों की असभ्यता के लिए क्षमा मांगती है।
मैं वह भारत हूँ जहाँ निन्यानवे प्रतिशत बलात्कारियों को अपना गाँव छोड़ देना पड़ता है, और उसे धक्का कोई और नहीं, खुद उसके खानदान वाले देते हैं।
मैं वह भारत हूँ जहाँ गुस्सा आने पर सामान्य बाप बेटे को भले लात से मार दे, पर बेटी को थप्पड़ नहीं मारता!
मैं वह भारत हूँ जहाँ एक सामान्य बाप अपने समूचे जीवन की कमाई अपनी बेटी के लिए सुखी संसार रचने में खर्च कर देता है।
मैं वह भारत हूँ जहाँ अब भी बेटियाँ लक्ष्मी होती हैं।
मैं वह भारत हूँ जहां बेटे बाप के हृदय में बसते हैं और बेटियां उसकी आत्मा में बसती हैं।
सभ्यता में असभ्यता के संक्रमण से उपजी आधुनिक कुरीतियों ने बेटियों के जन्म पर उपजने वाले उल्लास का रंग भले मार दिया हो, पर अब भी पिता सर्वाधिक खुश अपनी बेटी की मुस्कान देख कर ही होता है।
मैं वह भारत हूँ जिसके सौ करोड़ बच्चे अब भी नहीं लांघते मर्यादा की लकीर! उनमें बसते हैं, राम, बसते हैं कृष्ण, बसते हैं शिव... उनके बीच निर्भय हो कर मुस्कुराती है कोई राधा, कोई मीरा, कोई अनुसुइया...
मैं वह भारत हूँ जिसके हृदय में अब भी धर्म बहता है।
समाज की प्रतिष्ठा पराजित नहीं होती हिजड़ों के अश्लील ठहाकों से,
रोजी के लिए राष्ट्र पर प्रहार करने वाले चर्चित भले हों, प्रतिष्ठित नहीं होते।
मैं वह भारत हूँ, जिसकी प्रतिष्ठा स्वयं प्रकृति तय करती है, जिसके मस्तक पर तिलक स्वयं सूर्य लगाते हैं।
मैं भारत हूँ...
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एक स्थिति की कल्पना कीजिये।
मान लीजिये कि चीन ने हम पर आक्रमण कर दिया है।
तो हमें क्या करना चाहिये?
नेचुरली, हमें प्रत्युत्तर में चीन पर काउन्टर अटैक करना होगा और पूरे रणकौशल और सभी उपलब्ध आयुध(arsenals) के साथ चीन के आक्रमण का जवाब देना होगा।
लेकिन अगर कुछ वामी-कांगी देशद्रोही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दें कि भारतीय सेना को काऊंटर अटैक करने रोका जाय,.....और "सुपरीम मीलाट" वो याचिका एडमिट भी कर लें और फैसला देने तक काऊंटर अटैक रुकवा दें,...तो क्या होगा? फैसला आने तक तो चीन हमारा भुर्ता बना देगा।
अब आप मुझे पागल समझेंगे और पूछेंगे कि आपका दिमाग चल गया है क्या?? भला ऐसा भी है सकता है? कोर्ट को क्या मतलब?
तो मित्रों,.. न मेरा दिमाग चला है, न मैं पागल हूँ लेकिन अब जो बताने जा रहा हूँ उस पर गौर करना जरा और फिर बताना कि क्या मेरी शंका निर्मूल है!
🍯 शहद खाने के तरीके और लाभ : #FabaHoney
शहद पिछले 8000 सालों से हमारे भोजन और उपचार में प्रयोग हो रहा है. शहद खाने के फायदे और स्किन पर लगाने के फायदों की जानकारी, साथ ही लाभ और प्रयोग का तरीका पढ़ें इस लेख में.
शहद खाने के फायदे🍯
🍯- शहद में आयरन, कैल्सियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और जिंक आदि खनिज तत्व पाए जाते है. शहद याददाश्त तेज करता है, कमजोर तंत्रिका तंत्र को ठीक करता है.
🍯– शहद का नियमित सेवन खोई हुई शक्ति वापस लौटाता है. शहद शरीर को सुन्दर, स्फूर्तिवान, बलवान, दीर्घजीवी और सुडौल बनाता है.
🍯– शहद कामशक्ति वर्धक माना गया है. इसका सेवन पुरुषों में Testosterone और महिलाओं में Estrogen हार्मोन बनाने के प्रक्रिया को तेज करता है.
Paytm एक ऐसी कम्पनी है जिसकी क़ीमत १६ बिलियन डॉलर हो चुकी है पर इनको आज तक एक ऐसा काम नहीं मिल पाया है जो इनको मुनाफ़ा कमा कर दे सके।
कम्पनी को लगभग १० साल हो गए हैं शुरु हुए।
शुरुआत एक मोबाइल रीचार्ज एप की तरह हुई फिर वॉलेट से वॉलेट पैसे ट्रांसफ़र करने का फ़ीचर जोड़ा जो बहुत अच्छा कर रहा था, तभी मोदी जी ने नोटबंदी कर दी और इनके लिए सब अच्छा अच्छा होने लगा क्योंकि उस समय तक ये बाज़ार में लीडर थे पैसे ट्रांसफ़र करने में,
इनको लगा था कि अब हम बाज़ार पर क़ब्ज़ा कर लेंगे तो उन्होंने वॉलेट की फ़ीस वसूलनी चालू की।
सब कुछ अच्छा चल रहा था पर तभी मोदी जी फिर आ गए UPI लेकर यानि कि एक ऐसी तकनीक जिसमें एक व्यक्ति अपने खाते से सीधे दूसरे के खाते में पैसे भेज सकता है।
अफगानिस्तान की आबादी कुल 3.50 करोड़ से थोड़ी सी ज्यादा है। अफगानिस्तान कभी संपन्न प्रदेश हुआ करता था। धीरे-धीरे वहां पर इस्लामिक लोगों की जनसंख्या बढ़ती गई और हिंदू तथा बौद्ध वहां पर समाप्त कर दिए गए। अब वहां पर सिर्फ मुसलमान बचे थे लेकिन अब वहां पर शांति नहीं थी।
पूरी की पूरी सरकार अब इस्लामिक थी उसके बावजूद शांति और संपन्नता अफगानिस्तान से कोसों दूर होती चली गई।
अभी थोड़े दिन पहले वहां पर तालिबान का कब्जा हो गया है लेकिन अफगानिस्तान में विपन्नता इस समय अपने चरम पर है।
वहां बैंकों में पैसा नहीं है । अनिश्चितता की स्थिति यह है कि आधी से ज्यादा आबादी को यह नहीं पता कि उसका अगला भोजन उसे मिल पाएगा या नहीं।
वहां सामाजिक परिवेश इतना खराब हो गया है कि लोगों को पैसों के लिए अपनी बेटियां बेचना पड़ रहा है।
दीपावली पर पटाखे फोड़ने से पहले इसे सावधानी से पढ़ लें।
कोई संस्कृति समाप्त करनी है तो उससे उनके त्यौहार छीन लो।
और यदि कोई त्यौहार समाप्त करना है तो उससे बच्चों का रोमांच गायब कर दो।
कितना महीन षड्यंत्र है?
कितना साफ और दीर्घकालिक जाल बुना जाता है? #समझिए
दीपावली पर पटाखे बैन के षड्यंत्र की कहानी..
पंच मक्कार(मीडिया, मार्क्सवादी, मिचनरीज, मुलाना, मैकाले) किस तरह से सुनियोजित कार्य करते है आप इस लेख के माध्यम से जान पाएंगे. किस तरह इकोसिस्टम बड़ा लक्ष्य लेकर चलता है वो आप जान पाएंगे.
वे किस तरह 10, 20 साल की योजना बनाकर स्टेप बाई स्टेप नरेटिव सेट कर शनैःशनैः वार कर किले को ढहा देते है ये आप जानेंगे. जिसमें वे आपको ही अपनी सेना बनाकर अपना कार्य करते है और आपको पता भी नही चलता.
दिसंबर 2020 में यह खबर समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपी थी कि भारत में बिकने वाले ब्रांडेड शहद के लगभग सभी बड़े ब्रांड शुद्धता के टेस्ट में फेल हो गए हैं।
इस खबर का असर यह हुआ कि डाबर पतंजलि जैसे बड़े ब्रांड ने अगले ही दिन अखबार में फुल पेज विज्ञापन देकर अपनी सफाई प्रस्तुत की।
मामला बहुत प्रमुखता से अखबारों में छपा था और लोगों ने इसका संज्ञान लेना भी शुरू कर दिया था इसलिए सरकारी अधिकारियों को भी कुछ काम तो करना ही था।
तो सबसे पहले तो उन्होंने ताबड़तोड़ छापे मधुमक्खी पलकों पर शुरू कर दिए। उल्लेखनीय है कि बड़ी कंपनियों को कुछ नहीं कहा...
क्योंकि बड़ी कंपनियां साहब लोगों को यह 'समझाने में' कामयाब रहे कि वह तो मधुमक्खी पालक से ही शहद खरीदते हैं।
उसके बाद कुछ और कार्यवाही भी दिखाना ही था तो छोटे-छोटे सप्लायर जिनकी छोटी-छोटी प्रोसेसिंग यूनिट है उन्हें चक्रव्यूह में लेना शुरू कर दिया।