दिसंबर 2020 में यह खबर समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपी थी कि भारत में बिकने वाले ब्रांडेड शहद के लगभग सभी बड़े ब्रांड शुद्धता के टेस्ट में फेल हो गए हैं।
इस खबर का असर यह हुआ कि डाबर पतंजलि जैसे बड़े ब्रांड ने अगले ही दिन अखबार में फुल पेज विज्ञापन देकर अपनी सफाई प्रस्तुत की।
मामला बहुत प्रमुखता से अखबारों में छपा था और लोगों ने इसका संज्ञान लेना भी शुरू कर दिया था इसलिए सरकारी अधिकारियों को भी कुछ काम तो करना ही था।
तो सबसे पहले तो उन्होंने ताबड़तोड़ छापे मधुमक्खी पलकों पर शुरू कर दिए। उल्लेखनीय है कि बड़ी कंपनियों को कुछ नहीं कहा...
क्योंकि बड़ी कंपनियां साहब लोगों को यह 'समझाने में' कामयाब रहे कि वह तो मधुमक्खी पालक से ही शहद खरीदते हैं।
उसके बाद कुछ और कार्यवाही भी दिखाना ही था तो छोटे-छोटे सप्लायर जिनकी छोटी-छोटी प्रोसेसिंग यूनिट है उन्हें चक्रव्यूह में लेना शुरू कर दिया।
छोटे लोगों पर जब कार्यवाही होती है तो वह खबर नहीं बनती है। लेकिन मेरे पास ऐसी शिकायतें आई हैं कि तमाम छोटे लोगों को कागजी शिकंजे में फांस लिया गया है और अब सारी कार्यवाही उन्हीं पर होगी। वे लोग बेचारे जोर शोर से इसका प्रतिकार भी नहीं करना चाहते और ले देकर पिंड छुड़ाना चाहते हैं।
मोदी युग में भी कांग्रेसी कल्चर देखकर मुझसे चुप नहीं बैठा जा रहा है। बड़ी कंपनियां जिनके पास मधुमक्खी के बक्से है ही नहीं वे मिलावट के आरोप लगने के बाद भी किसी कार्यवाही का सामना नहीं कर रहे हैं जबकि जो अपनी छोटी छोटी इकाई लगा कर बैठे हैं उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
उनकी यह पीड़ा मेरे पास लगातार आ रही थी क्योंकि मैं इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ हूं। मैंने जब भी उनसे कहा कि आप कहें तो मैं इसे सार्वजनिक मंच पर रखूँ, लेकिन उन लोगों ने हमेशा यही चाहा कि किसी भी प्रकार से वे इस जंजाल से निकल जाएं।
उनमें से बहुत से लोग जेल जाने के डर से इस कारोबार को छोड़ना चाहते हैं।
सारा प्रकरण देखकर तो यही लग रहा है कि "समरथ को नहिं दोष गोसाईं।"
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दीपावली पर पटाखे फोड़ने से पहले इसे सावधानी से पढ़ लें।
कोई संस्कृति समाप्त करनी है तो उससे उनके त्यौहार छीन लो।
और यदि कोई त्यौहार समाप्त करना है तो उससे बच्चों का रोमांच गायब कर दो।
कितना महीन षड्यंत्र है?
कितना साफ और दीर्घकालिक जाल बुना जाता है? #समझिए
दीपावली पर पटाखे बैन के षड्यंत्र की कहानी..
पंच मक्कार(मीडिया, मार्क्सवादी, मिचनरीज, मुलाना, मैकाले) किस तरह से सुनियोजित कार्य करते है आप इस लेख के माध्यम से जान पाएंगे. किस तरह इकोसिस्टम बड़ा लक्ष्य लेकर चलता है वो आप जान पाएंगे.
वे किस तरह 10, 20 साल की योजना बनाकर स्टेप बाई स्टेप नरेटिव सेट कर शनैःशनैः वार कर किले को ढहा देते है ये आप जानेंगे. जिसमें वे आपको ही अपनी सेना बनाकर अपना कार्य करते है और आपको पता भी नही चलता.
मोदीजी थाली बजाने की जगह वैक्सीन बनाओ तो देश का भला हो.
वैक्सीन बन रही है? ..इतनी जल्दी कैसे बन जायेगी?
वैक्सीन बन गयी! पता नहीं काम भी करेगी या नहीं?
क्या...लगाने जा रहे हैं?
लोगों को बीमार कर सकती है वैक्सीन.. सुरक्षित नहीं है ..नपुंसक हो जाएंगे मुस्लिम भाई.
सुरक्षित है तो मोदी जी क्यों नहीं लगवाते सबसे पहले?
हेल्थ वर्कर्स और सुरक्षा कर्मियों को लगेगी पहले? बूढ़े लोगों और गरीबों को क्यों नहीं लगवाते?
भाजपाई वैक्सीन है.
हम नहीं लगवाएंगे.
लोगों... तुम भी मत लगवाओ.
क्या? ज़ोर शोर से लग रही है? कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं?
दुसरे देशों को क्यों भेज रहे हो?
देखा... काम पड़ने लगी न?
केंद्र सरकार ठीक नहीं कर रही... राज्यों पर छोड़ दें... फिर देखों हम क्या करते हैं.
अच्छा... राज्य खरीदें वैक्सीन?
हम तो चीन से खरीदेंगे.
कितने की बेचें आम जनता को?
मोदीजी मुफ्त क्यों नहीं लगवाते?
कैसे आएगी Immunity?
(रोग प्रतिरोधक क्षमता) 1. बड़े शहरों में रहने वाले 2 से 3 दिन पुरानी ब्रेड पर 3 से 6 महीने पुराना जैम लगाकर और दो से तीन दिन पुराना थैली वाला दूध पीकर अगर आप immunity की इच्छा रखते हैं तो सोचिए यह कैसे संभव है?
2. कई महीने पुराना केमिकल युक्त mineral water जिसमें कोई मिनरल नहीं है, को पीकर अगर आप immunity की इच्छा रखते हैं तो सोचिए यह कैसे संभव है?
3. पिंजरे… जिनको अंग्रेजी में फ्लैट कहते हैं और जिनमें न ताज़ी हवा नसीब होती है और ना ही धूप। इन पिंजरों में बिना सूरज की रोशनी के और बिना ताजी हवा के रहने से अगर आप सोचते हैं कि बीमारी आपका पीछा छोड़ देगी तो यह नादानी है।
ठीक 8 वर्ष पहले, आज के ही दिन यानी 13 सितंबर 2013 को भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को आगामी 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था।
पार्टी ने फर्स्ट लाइन लीडरशिप और सेकंड लाइन लीडरशिप के ऊपर एक राज्य के मुख्यमंत्री को नेतृत्व सौंपा। परिणाम आपके सामने है।
भारतीय जनता पार्टी में मोदी के नेतृत्व संभालने के बाद निश्चित ही अनेक बदलाव देखने को मिले। पार्टी ने अपनी जंग लगी मशीनरी को ठीक करना शुरू कर दिया।
मोदी जी के तकनीक प्रेमी होने के कारण भाजपा ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से जनता के बीच छा गई।
वहीं दूसरी ओर दूसरी पार्टियों ने इन सब चीजों में बहुत देर कर दी।
10-15 दिन का एक टाइमर लगा लीजिए और यह मान लीजिए कि डेल्टा वेरिएंट रोज आपके समीप आता जा रहा है।
वैज्ञानिक बता रहे हैं कि यह सबसे ज्यादा खतरनाक और तेज गति से फैलने वाला कोरोना वायरस का वेरिएंट है।
जिन्होंने वैक्सीनशन करवा लिया है वह भी इस डेल्टा वैरीअंट के संवाहक तो बन ही सकते हैं। अर्थात यह उन के माध्यम से बहुत तेजी से दूसरों में प्रवेश कर सकता है।
अतः मौका मिलते ही अपने आपको टीका लगवा लें।
याद करें कि दूसरी लहर के आने के 15 दिन पहले तक हम लोग सोच रहे थे कि यह टीवी वाले झूठे ही हल्ला मचा रहे हैं। लेकिन बाद में आपने देखा कि वह कितना भयावह था।
आजकल न्यूजचैनली मीडियाई आर्केस्टा की पागल धुनों पर धुत्त उन्मत्त होकर नाच रहा भानुमति (ममतामती) का विपक्षी कुनबा 2024 से पहले 9 दिन चले अढ़ाई कोस, लौट के बुद्धू घर को आये, नाच ना जाने आंगन टेढ़ा, सरीखी सारी कहावतें चरितार्थ करेगा।
जानिए क्यों...
39 सीटों वाले तमिलनाडु में केवल AIDMK और DMK ही प्रभावी राजनीतिक दल हैं। इन दोनों की राजनीतिक दुश्मनी लगभग 50 साल पुरानी और पुख्ता है तथा आज भी पूरी तरह हरी भरी और जवान है।
25 सीटों आंध्र में इससे भी बुरी स्थिति TDP और YSR की राजनीतिक दुश्मनी की है।
28 सीटों वाले कर्नाटक में कांग्रेस JD(S) की दोस्ती में केवल 2 साल पहले जमकर हुई भयंकर जूतमपैजार पूरे देश ने देखी है।